समझ नहीं आ रहा कि आखिरी चरण आते-आते नरेंद्र मोदी का चेहरा यूपी और बिहार की जातीय राजनीति में कैसे इतना दब गया? इसलिए दोनों हिंदी प्रदेशों में अनहोनी होती लगती है। सातवें राउंड की उत्तर प्रदेश की 13 सीटों में आज सवाल है कि बनारस को छोड़ भाजपा की सुरक्षित सीट कौन सी है तो बिहार की आठ सीटों के मतदान में यह सवाल है भाजपा-जदयू के अभेदी किले नालंदा, पाटलीपुत्र और पटना साहिब क्या वापिस एनडीए को मिलेंगे या गड़बड़ाएंगे। बावजूद इसके इन दोनों बड़े राज्यों का मेरा आंकड़ा पिछले सप्ताह वाला ही है। लेकिन आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा घूम कर आए लोगों से जो जानकारी मिली है तो इस कारण कुछ चेंज है। चुनाव की इस आखिरी सूची में एनडीए बनाम एनडीए- विरोधी पार्टियों के आंकड़ों में एनडीए को लेकर 257 और एनडीए विरोधी पार्टियों की सीटों का आंकड़ा 283 अनुमानित है। और एनडीए की 257 सीटों में भाजपा की 235 सीटें।