भाजपा को यदि हिंदू-मुस्लिम नैरेटिव का भरोसा है तो विपक्ष को संविधान का सहारा है। राहुल गांधी इन दिनों हर जगह मंच पर संविधान की प्रति लेकर जा रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि भाजपा की सरकार बन गई तो वह इस किताब को फाड़ कर कचरे के डब्बे में फेंक देगी। राहुल किताब को इस तरह से डिस्प्ले कर रहे हैं, जिससे लग रहा है कि यह खतरे में है। इस तरह के ऑप्टिक्स का लोगों के दिल दिमाग पर असर होता है। इसी तरह 1989 के चुनाव में वीपी सिंह अपने जेब से एक परची निकालते थे और कहते थे कि उनके पास स्विस बैंक खाते का नंबर है, जिसमें राजीव गांधी की पैसा जमा है।
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उनकी सरकार बनते ही यह खाता जब्त कर लिया जाएगा और पैसे वापस लाए जाएंगे। इसी तरह नरेंद्र मोदी ने 2914 में कहा कि दुनिया में कितना काला धन है और वे जानते हैं कि कहां कहां काला धन जमा है। वे उसे वापस ले आएंगे। अरविंद केजरीवाल भी अपने आंदोलन के समय देश के भ्रष्ट नेताओं की एक सूची दिखाते थे। यह अलग बात है कि आज वे उन्हीं लोगों के साथ हैं, जिनकी सूची दिखाया करते थे। न वीपी सिंह स्विस बैंक से राजीव गांधी का कथित पैसा ले आए और न नरेंद्र मोदी 10 साल में काला धन विदेश से ले आए। लेकिन उनके ऑप्टिक्स ने जनता को प्रभावित किया था।
उसी तरह का ऑप्टिक्स राहुल गांधी बनवा रहे हैं। वे भाजपा के आने पर संविधान फाड़ कर कचरे के डब्बे में फेंक देने की बात बहुत भरोसा दिलाने वाले अंदाज में कह रहे हैं। चूंकि भाजपा ने चार सौ से ज्यादा सीटों का नारा दिया है तो विपक्षी नेताओं को यह बताने में आसानी हो रही है कि चार सौ से ज्यादा सीट इसलिए मांगी जा रही है ताकि संविधान को समाप्त किया जा सके और लोकतंत्र को खत्म किया जा सके। यह बात लोगों को अपील कर रही है।
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अनुसूचित जाति के लोगों के लिए संविधान सिर्फ अधिकार देने वाला दस्तावेज नहीं है, बल्कि उनके लिए इसका भावनात्मक महत्व इसलिए है क्योंकि इसे तैयार करने में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने बड़ी भूमिका निभाई है। आदिवासी और पिछड़ी जातियों को पता है कि उनके सम्मान, समानता और अधिकार की बातें संविधान में लिखी गई हैं। उनको इस बात का अंदाजा होगा कि कोई भी पार्टी या सरकार संविधान नहीं बदल सकती है। लेकिन राहुल की बातों से उनके मन में संदेह पैदा हुआ है।
विपक्ष का दूसरा सहारा खटाखट रेवड़ी बांटने का वादा है। बाकी सारी रेवड़ियों पर भारी पड़ रही है कांग्रेस की यह रेवड़ी की उसकी सरकार बनी तो हर महिला को हर साल एक लाख रुपए मिलेंगे। सोचें, मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की लाड़ली बहना योजना ने खेल बदल दिया था। इस योजना में उन्होंने महिलाओं को हर महीने साढ़े 12 सौ रुपए देने का वादा किया था। यानी साल में 15 हजार रुपए। कांग्रेस कह रही है कि वह साल में एक लाख रुपए देगी यानी हर महीने साढ़े आठ हजार रुपए! सोचें, साढ़े 12 सौ रुपए के मुकाबले साढ़े आठ हजार रुपए का वादा कितना कारगर हो सकता है?
क्या यह नहीं हो सकता है कि बड़ी संख्या में महिलाएं निकल कर इस योजना के लिए वोट डाल रही हों? आखिर हर महीने घर बैठे साढ़े आठ हजार रुपए तो बहुत ज्यादा होते हैं! ऊपर से कांग्रेस ने कह दिया है कि पांच किलो की बजाय 10 किलो अनाज मुफ्त में देंगे। बाकी सारी रेवड़ी वाली योजनाएं चलती ही रहेंगी। तभी विपक्ष के प्रचार को लेकर भाजपा बैकफुट पर है और तभी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूछा कि क्या कांग्रेस ने इसका हिसाब लगाया है कि वह जितने पैसे देने का वादा कर रही है उतने पैसे कहां से आएंगे? सबको पता है कि इसमें मुश्किल होगी लेकिन अभी तो विपक्ष का भी लक्ष्य किसी तरह से भाजपा को सत्ता से हटाने का है।