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झूठ की फिर होगी भारी जीत!

मैं विपक्ष को हताश नहीं करना चाहता। यह भी नहीं बता रहा हूं कि विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी कहां और कितने रिकॉर्ड से भाजपा को जिताएंगे। पर दो बाते नोट करें। एक, विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के झूठ का जादू चलेगा। दो, समय पर होने वाले लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी वापिस जीतेंगे यदि विपक्षी एलायंस ‘इंडिया’ ने मोदी से बड़े झूठ नहीं बोले। झूठ केनैरेटिव में नरेंद्र मोदी एवरेस्ट के शिखर पर है। उनके आगे किसी भी एक्सवाईजेड (नीतीश, राहुल, केजरीवाल से लेकर किसी भाजपाई याकि अमित शाह, नितिन गडकरी, राजनाथ सिंह) का वैसे ही कोई अवसर नहीं है, जैसे पुतिन के आगे किसी भी रूसी की संभावना नहीं बनती। सही है भारत और रूस का फर्क है। हम आज भी लोकतांत्रिक हैं, जबकि रूसी व्यवस्था तानाशाह। मगर भारत में नरेंद्र मोदी का पुतिन से अधिक एकाधिकार है तो इसलिए क्योंकि भारत के लोग झूठ के नशे में जीते हैं। हजार साल की गुलामी ने हिंदुओं के दिमाग को ऐसा नशेड़ी बनाया है जो बिना झूठ के उसका जीवन नहीं है। हमें झूठ चाहिए। मुंगरीलाल के विशाल सपने चाहिए, इस हकीकत को 1947 के बाद भारत के हर नेता ने बूझा है। तभी रामराज्य के सपने में लोग गांधी के दिवाने रहे। नेहरू भारत की जमीं पर समाजवाद उतार दे रहे थे। इंदिरा गांधी गरीबी मिटा दे रही थीं। राजीव गांधी ने इक्कीसवीं सदी के सपने दिखाए तो वीपी सिंह मंडल मसीहा हुए और वाजपेयी ने इंडिया को चमकीला बना दिखाया।

और नरेंद्र मोदी सभी के गुरू। वे झूठ के विश्वगुरू तो अपनी गुरूता से भक्त हिंदुओं को विश्वगुरू बनाने की हवा भरते हुए। नरेंद्र मोदी एक मुक्का पाकिस्तान को मारते हैं तो दूसरा चीन को और उनकी शूरवीरता से मुदित लोग मुंगेरीलाल की तरह कभी कनाडा व कभी अमेरिका को किक मारते हुए तो कभी खालिस्तानियों को या संसद में …..दानिश अली को । मोदीजी ने दुनिया को गेंद समझे हुए है और हर हिंदू सपनों में किक मार रहा है। सुबह उठते हैं तो व्हाट्सऐप से नई सुबह के साथ नया मैच। कभी ईसाई से, कभी मुसलमान से, कभी देशद्रोही हिंदू से तो कभी चीन, कभी पाकिस्तान, कभी कनाडा को किक मारने-हराने का मैच। हर दिन नई कथा, नए प्रवचन, नई झांकी से शुरू। साल के 365 दिन के मोदी कैलेंडर का कोई दिन खाली नहीं। और न ही कोई चुनाव ऐसा है, जिसमें सर्वस्व होम करने का संकल्प न हो।

तब भला विपक्ष के बूते में क्या? सोचें, कमलनाथ, भूपेश बघेल, अशोक गहलोत या चंद्रशेखर राव पर। इन सबकी और मोदी विरोधी पार्टियां क्याचुनावी तैयारी करते हुए है? ज्यादा से ज्यादा अपना विकल्प बताना। अपनी घोषणाएं, अपना नैरेटिव बनाना। अपने फोटो छापना। अपने काम बताना। घोषणापत्र-रेवड़ियों का ऐलान। जबकि नरेंद्र मोदी मंच पर आते है तो क्या होगा? यह हल्ला, देखो-देखो शेर आया, शेर आया….देखो हमारे इस शेर ने कनाडा का कचमूर निकाल दिया। है कोई एक वहां प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रूडो… उसने मोदीजी को रूल ऑफ लॉ बताया तो कनाडा पर उनका वह पंजा पड़ा कि घायल हैं ट्रूडो। कनाडा बरबाद हो गया। पहले पाकिस्तान कोउसके भीतर घुस कर मारा। अब कनाडा में खालिस्तानी को जा मारा… खालिस्तानियों को नानी याद आ गई… देखो कितने छापे पड़ रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी सबको सांप सूंघ गया है। सब मोदीजी की लल्लोचप्पो कर रहे हैं। मोदी और भारत की गरज है बाइडेन को। देखा नहीं जी-20 में नरेंद्र मोदी ने जो चाहा वह कराया।

हां, ऐसे ही झूठों में होना चुनावी प्रदेशों के लोगों की ग्राउंड रियलिटी है। गुजरे सप्ताह नरेंद्र मोदी की भोपाल और जयपुर के पास सभाएं थी। टिकटार्थियों, कार्यकर्ताओं, संगठन सबने बेइंतहा खर्च कर मैदान में भीड़ बनाई। जबरदस्त भीड़। जिलों से बसों में भर कर लोग पहुंचे। लोगों को कहा गया चलों दर्शन करने। मोदी को सुनेंगे तो खाटू श्याम के दर्शन भी कर लेंगे। मतलब सभी व्यवस्थाओं के साथ खाटूजी, मोदीजी के दर्शन का मौका। और यह फीडबैक अपने जानकार से है कि ज्योंहि मोदी का हेलीकॉप्टर पहुंचा, पेड़ों पर, उसकी छाया या इधर-उधर बैठे (नौजवान बड़ी संख्या में) लोग हल्ला करते हुए दौड़े, खड़े हुए कि मोदी आ गए, शेर आ गया। मानो किसी दुश्मन देश को परास्त कर राजा आकाश से उतर रहा है।

जाहिर है लंदन, न्यूयॉर्क, कैनबरा याकि विदेश में भारतीयों की भीड़ इकठ्ठी करवा कर मोदी की झांकी (वहां हिंदू यह झूठ लिए होते हैं कि मोदी भारत में कमाल कर रहे हैं) बनती है वैसे देश में, चुनावी सभाओं में लोग शेर और उसकी गर्जना सुनने को पहुंचते हैं। विदेशी नेताओं तक मे मोदी ने यह हल्ला बनाया है कि वे भारतीयों के सुपरस्टार हैं तो देश के भीतर हिंदुओं में यह आस्था बनाई है कि दुनिया में मोदी का जलवा है इसलिए दर्शन करने चलो। मैं रेडियो नहीं सुनता हूं लेकिन इस सप्ताह सफर में सुना तो हतप्रभ हुआ। नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान व उसके तुरंत बाद ज्यादा विशाल दूरी के सूर्य मिशन के हवाले नौजवानों से बड़ा, और बड़ा लक्ष्य बनाने की जैसी फट्टेबाजी की तो सचमुच लगा मोदी के वैश्विक, अंतरिक्ष लेवल के झूठ के आगे भला केजरीवाल के मोहल्ला क्लिनिक व स्कूल के रामराज्य का झूठ कहां क्लिक होगा?

सचमुच नरेंद्र मोदी का जवाब नहीं है। उन्होंने उत्तर भारत के औसत हिंदू दिल-दिमाग की नस-नस बूझ ली है। इस बात को हल्का सा अरविंद केजरीवाल ने समझा हुआ है लेकिन नरेंद्र मोदी ने यह व्यवस्था कर दी है कि ठीक चुनावों के वक्त मनीष सिसोदिया की तरह केजरीवाल जेल में रहें। ताकि मार्च-अप्रैल में केजरीवाल और उनकी टीम से कोई ऐसा भारी जवाबी झूठ न बन सके, जिससे लोगों का दिमाग ‘इंडिया’ की और दौड़ने लगे। तभी विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव मोटा-मोटी एकतरफा हैं। आप भी सोचें एक तरफ विश्व को कंधे पर उठाए वैश्विक महाबली, महागुरू नरेंद्र मोदी का बुलंद-बड़े से बड़ा झूठ तो दूसरी और स्कूल चलाते केजरीवाल या कुली का बैग उठाए राहुल गांधी की छोटी बातें, छोटे झूठ। कभी नरेंद्र मोदी को सचमुच विपक्ष को भी आह्वान करना चाहिए-अरे बड़ा सोचो, बड़े झूठ बोलो। तभी तो बड़ी सत्ता मिलेगी।

By हरिशंकर व्यास

मौलिक चिंतक-बेबाक लेखक और पत्रकार। नया इंडिया समाचारपत्र के संस्थापक-संपादक। सन् 1976 से लगातार सक्रिय और बहुप्रयोगी संपादक। ‘जनसत्ता’ में संपादन-लेखन के वक्त 1983 में शुरू किया राजनैतिक खुलासे का ‘गपशप’ कॉलम ‘जनसत्ता’, ‘पंजाब केसरी’, ‘द पॉयनियर’ आदि से ‘नया इंडिया’ तक का सफर करते हुए अब चालीस वर्षों से अधिक का है। नई सदी के पहले दशक में ईटीवी चैनल पर ‘सेंट्रल हॉल’ प्रोग्राम की प्रस्तुति। सप्ताह में पांच दिन नियमित प्रसारित। प्रोग्राम कोई नौ वर्ष चला! आजाद भारत के 14 में से 11 प्रधानमंत्रियों की सरकारों की बारीकी-बेबाकी से पडताल व विश्लेषण में वह सिद्धहस्तता जो देश की अन्य भाषाओं के पत्रकारों सुधी अंग्रेजीदा संपादकों-विचारकों में भी लोकप्रिय और पठनीय। जैसे कि लेखक-संपादक अरूण शौरी की अंग्रेजी में हरिशंकर व्यास के लेखन पर जाहिर यह भावाव्यक्ति -

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