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सीबीआई जाँच के लिए, राज्य की मंजूरी जरूरी.?

cbi probe in sandeshkhali

भोपाल। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले के माध्यम से अब तक चली आ रही उन दुर्भावनापूर्ण सीबीआई जांचों पर पाबंदी लगा दी है, जिसका अब तक मुख्य आधार राजनीतिक विद्वेष होता रहा है, अब सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट निर्देश दे दिया है कि किसी भी राज्यके किसी भी मामले में सीबीआई बिना राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के शुरू नही कर सकती, अब तक केन्द्र में काबिज राजनीतिक दल अपने विरोधी दलों की राज्य सरकारों को सीबीआई के हथियार से डराया धमकाया करते थे और राज्य सरकार कुछ नही कर पाती थी, अर्थात् केन्द्र में राज करने वाला राजनीतिक दल अपने दल विरोधी राज्य सरकारों को सीबीआई के हथियार से डराया धमकाया करता था किंतु अब पश्चिम बंगाल की शिकायत पर दर्ज मामले में सुप्रीम कोर्ट की साफगोई के बाद यह संभव नही हो पाएगा।

आज की तारीख में पूरे देश के राज्यों में ढाई सौ से अधिक ऐसे मामले चल रहे है जो केन्द्र द्वारा राजनीतिक विद्वेष के कारण अपनी विरोधी दलीय राज्य सरकारों पर सीबीआई जांच बिठा रखी है और इस तरह सीबीआई को राजनीतिक हथियार बना रखा है, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी की पहल पर यह मामला सर्वोच्च न्यायालय पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए और केन्द्र पर यह पाबंदी लगा दी कि वह बिना सम्बंधित राज्य सरकार की पूर्व अनुमति के सम्बंधित राज्यके किसी भी सीबीआई के माध्यम से जांच नही थोप सकता।

जांच के लिए उसे पहले सम्बंधित राज्य की सरकार से जांच की अनुमति लेनी पडेगी। इस प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने देश में चल रहे उस राजनीतिक चलन पर पाबंदी लगा दी जिसका आधार पूर्वाग्रही राजनीति रही है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का देश के राजनीति व उनके नेताओं पर क्या असर होता है? यह तो इसके लागू हो जाने के बाद अब भविष्य में पता चलेगा, किंतु यह सही है कि यह भारतीय राजनीति को स्वच्छ निर्मल बनाने में सुप्रीम कोर्ट की पहल अवश्य सिद्ध होगी।

वैसे यह चलन हमारे भारत में कोई नया नही है, आजादी के बाद नेहरू युग से चला आ रहा है वैसे उस समय देश के अधिकांश राज्यों पर कांग्रेस का ही कब्जा था और उस समय सीबीआई संगठन भी नही था, किंतु केन्द्रीय जांच के नाम पर यह कथकंडा अवश्य अपनाया जाता था। धीरे-धीरे इस हथकंड़े ने प्रभावी रूप धारण किया और इस नई सदी में तो इसने विशाल रूप धारण कर लिया और यह राजनीतिक विद्वेष का प्रमुख हथियार बन गया और इसी का परिणाम है कि आज केन्द्र द्वारा अपनी दल विरोधी राज्य सरकारों को परेशान करने के लिए इसी सीबीआई को हथियार बना रखा है।

अब सर्वोच्च न्यायालय के इस अहम् फैसले के बाद उम्मीद है कि केन्द्र द्वारा सीबीआई के राजनीतिक दुरूपयोग पर अंकुश लग जाएगा और किसी भी राज्यके किसी भी मामले में सीबीआई से जांच करवाने के पहले काफी सोच-समझकर और सम्बंधित राज्य की पूर्व अनुमति लेकर ही सीबीआई जांच की प्रक्रिया शुरू की जाएगी और यह तय है कि ऐसी जांच के अधिकांश मामलों में सम्बंधित राज्यों से केन्द्र को जांच की अनुमति नही मिल पाएगी और धीरे-धीरे सीबीआई नामक महत्वपूर्ण जांच एजेंसी का राजनीतिक दुरूपयोग कम होता जाएगा।

यहाँँ यह भी उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय जांच संगठन अर्थात् सीबीआई में अफसरों की तैनाती भी अब तक काफी विवादास्पद रही है, मुख्यतः इस संगठन में तैनाती के पूर्व सम्बंधित अफसरों का राजनैतिक समर्पण भाव जांचा परखा जाता रहा है, इसीलिए सरकार बदलते ही यह संगठन सर्वाधिक प्रभावित होता रहा है, किंतु अब सर्वोच्च न्यायालय के अनुमति सम्बंधी फैसले के बाद अब केन्द्र के राजनैतिक हथकंड़ों पर थोड़ी बंदिश अवश्य लग जाएगी, ऐसी उम्मीद की जा रही है।

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