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मांड (राइस वाटर) से निखारे खूबसूरती!

सन् 2007 में रिसर्च हुई तो मालूम हुआ कि बालों के अलावा त्वचा की खूबसूरती बढ़ाने में इसका कोई सानी नहीं। यह रूखी, मुर्झायी, सूर्य की यूवी किरणों से डैमेज त्वचा के दाग-धब्बे मिटाकर उसे स्मूथ और क्लियर बनाता है। रूप-रंग निखारने में यह आज उपलब्ध किसी भी क्रीम से बेहतर है। इसके एंटी-एजिंग गुण बढ़ती उम्र का असर कम करके त्वचा जवान रखते हैं। अपने इन्हीं गुणों से ये बन गया है सबसे बेहतर, सबसे सस्ता प्राकृतिक सौन्दर्य प्रसाधक। 

चावल के पानी (मांड) का जापान में हजार साल से इस्तेमाल हो रहा है। और काले, घने, खूबसूरत बालों के लिए। इसे ले कर जब सन् 2007 में रिसर्च हुई तो मालूम हुआ कि बालों के अलावा त्वचा की खूबसूरती बढ़ाने में इसका कोई सानी नहीं। यह रूखी, मुर्झायी, सूर्य की यूवी किरणों से डैमेज त्वचा के दाग-धब्बे मिटाकर उसे स्मूथ और क्लियर बनाता है। रूप-रंग निखारने में यह आज उपलब्ध किसी भी क्रीम से बेहतर है। इसके एंटी-एजिंग गुण बढ़ती उम्र का असर कम करके त्वचा जवान रखते हैं। अपने इन्हीं गुणों से ये बन गया है सबसे बेहतर, सबसे सस्ता प्राकृतिक सौन्दर्य प्रसाधक।

आज दुनिया की बड़ी-बड़ी कॉस्मेटिक्स बनाने वाली कम्पनियां अपने ज्यादातर उत्पादों में (फेस क्रीम, फेस वाश, स्क्रबर्रस, बाथ सोक और शैम्पू बगैरा) में इसे प्रयोग कर मोटा मुनाफा कमा रहीं हैं। लेकिन आपको इनके जाल में फंसने की जरूरत नहीं। आप इसे घर में बना सकते हैं वह भी बिना कुछ खर्च किये। आइये जाने इसके बनाने और इस्तेमाल की विधि लेकिन पहले राइस वाटर के उन गुणों को जिनकी वजह से दुनिया इसकी दीवानी है।

आज ज्यादातर पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स में होता है कोई न कोई कैमिकल जैसे सोडियम लॉरेल सल्फेट। पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स मतलब स्किन केयर क्रीम्स, फेस वाश, फेस पैक और शैम्पू बगैरा, जो दावा करते हैं जवान, खूबसूरत, निखरी त्वचा और काले, घने, लम्बे बालों का। शुरूआत में ये अच्छी फील देते हैं लेकिन महीने-दो-महीने बाद त्वचा पहले से ज्यादा रूखी और बाल बेजान होने लगते हैं। निखार तो दूर चेहरा डल हो जाता है। बाल दो-मुंहे हो जाते हैं। झड़ने की स्पीड बढ़ जाती है। मतलब खूबसूरती बढ़ने के बजाय मामला पहले से खराब।

जब इस तरह की बातें सामने आयीं तो कॉस्मेटिक कम्पनियों ने अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटजी बदली और ज्यादा मुनाफे के लिये बाजार में उतारे सल्फेट फ्री उत्पाद जो सामान्य उत्पादों से लगभग दस गुना मंहगे हैं। मजे की बात ये कि उन्होंने सल्फेट युक्त उत्पाद बनाने बंद नहीं किये। यानी हर हाल में नुकसान आपका। सुंदरता तो बढ़ी नहीं जेब और ढीली हो गयी। इसलिये कॉस्मेटिक कम्पनियों की मार्केटिंग में फसने के बजाय अगर आप स्किन और हेयर केयर के लिये राइस वाटर अपना लें तो सुंदरता में लगेंगे चार-चांद वह भी बिना पैसे खर्च किये।

राइस वाटर पर रिसर्च करते हुए वैज्ञानिकों ने पाया कि इसमें कई ऐसे प्राकृतिक रसायन हैं जो त्वचा और बालों के लिये बहुत फायदेमंद हैं। ये सोडियम लॉरेल सल्फेट (एसएलएस) जैसे कैमिकल्स से डैमेज त्वचा रिपेयर करने के साथ चेहरे से झाइयां और झुर्रियां भी हटाते हैं। दिन में केवल दो बार राइस वाटर लगाने से त्वचा का रूखापन दूर होने के साथ एसएलएस और यूवी किरणों से डैमज त्वचा ठीक होने लगती है। एक्जिमा,  मुंहासे (एक्ने), रैशेज और त्वचा की सूजन दूर करने में राइस वाटर दवा का काम करता है। प्रभावित त्वचा पर दिन में तीन बार राइस वाटर लगायें। सप्ताह भर में एक्जिमा ठीक होने लगेगा। कील-मुंहासे, झाइंया, दाग-धब्बे दूर होने से स्किन स्मूथ और उजली नजर आयेगी।

फरमेन्ट्ड राइस वाटर और भी असरदार

सन् 2013 में हुए एक शोध के मुताबिक फरमेन्ट्ड राइस वाटर में कमाल के एंटी-एजिंग गुण होते हैं। ये त्वचा में कोलेजन बढ़ाता है जिससे झुर्रियां दूर होती हैं। त्वचा लम्बे समय तक जवान नजर आती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेन्ट्स दाग-धब्बे दूर कर निखार लाते हैं। यह सूर्य की खतरनाक अल्ट्रावॉयलेट किरणों (यूवी रेज) से स्किन को उसी तरह से बचाता है जैसे कोई सन्सक्रीन। इसलिये इसे नेचुरल सन्सक्रीन भी कहते हैं। आज बाजार में मिलने वाले सैकड़ों ब्यूटी प्रोडक्ट्स में इसे इस्तेमाल किया जाता है। शोध से सामने आया कि अगर फरमेन्ट्ड राइस वाटर को पौधों के एक्सट्रेक्ट के साथ इस्तेमाल किया जाये तो इसका असर कई गुना बढ़ जाता है।

बालों के लिये वरदान

राइस वाटर में मौजूद नेचुरल कैमिकल इनोसिटॉल डैमेज बालों को रिपेयर कर उन्हें मजबूती प्रदान करता है। यह बालों को आंतरिक रूप से स्वस्थ बनाने के साथ दो-मुंहे बालों की समस्या से छुटकारा दिलाता है। इसके नियमित इस्तेमाल से झड़ना रूकने के साथ बालों की थिकनेस बढ़ती है। शायद यही वजह है कि जापान में इसे बालों की खूबसूरती बढ़ाने के लिये करीब 1000 साल से इस्तेमाल किया जा रहा है।

आंखों के लिये भी फायदेमंद

प्राकृतिक सौन्दर्य प्रसाधक होने के अलावा राइस वाटर बुढ़ापे में होने वाली आंखों की खतरनाक बीमारी मैकुलर डिजेनरेशन में फायदा करता है। मैकुलर डिजेनरेशन में आंखों के बीचो-बीच काला धब्बा आने से दिखाई देना धीरे-धीरे कम हो जाता है। यह उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता है। अभी तक इसका कोई इलाज नहीं है। ऐसे में राइस वाटर के नियमित सेवन से मैकुलर डिजेनरेशन की ग्रोथ धीमी होती है जिससे आंखों की रोशनी लम्बे समय तक बनी रहती है।

कैसे बनायें मांड?

राइस वाटर बनाने के लिये चावल अच्छी तरह धोयें। इन धुले चावलों में चार गुना पानी डालकर उबालें। उबलने से चावलों में मौजूद नेचुरल रसायन पानी में रिलीज हो जायेंगे। जब चावल पक जायें तो पानी छान लें। छने पानी को एयर टाइट कंटेनर में एक सप्ताह के लिये फ्रिज में रख दें। लो हो गया राइस वाटर तैयार। जब इस्तेमाल करना हो तो सादा पानी मिलाकर इसे डॉयलूट करें, फिर त्वचा और बालों में लगायें।

आप चाहें तो बिना उबाले भी राइस वाटर बना सकते हैं। इसके लिये चावल धोने के बाद पानी में कम से कम 45 मिनट पानी में भिगोयें। 45 मिनट के बाद इन्हें छान लें और पानी को एयरटाइट कंटेनर में एक सप्ताह के लिये फ्रिज में रख दें।

अब बात फरमेन्टेड राइस वाटर बनाने की, तो इसके लिये ऊपर दिये किसी भी तरीके से राइस वाटर तैयार करें। लेकिन इसे फ्रिज में न रखकर दो दिन के लिये रूम टेम्प्रेचर पर बाहर रखें। दूसरे दिन आपको फरमन्टेशन की महक आने लगेगी। यह संकेत है राइस वाटर के फरमेंट होने का। अब इस कंटेनर को फ्रिज में रख दें। जब इस्तेमाल करना हो तो सादे पानी से डॉयलूट करके प्रयोग करें।

त्वचा हो या बाल, राइस वाटर को इन पर सीधे प्रयोग किया जा सकता है। लेकिन इस्तेमाल से पहले इसे डॉयलूट करना जरूरी है। आप चाहें तो इसमें थोड़ा खुशबूदार तेल मिला लें। तेल मिलाने के बाद इसे बालों में जड़ों से लेकर अंतिम छोर तक लगायें और 10 मिनट के लिये छोड़ दें। 10 मिनट बाद बालों को अच्छी तरह धो लें। अगर इसे शैम्पू के रूप में प्रयोग करना है तो इसमें थोड़ा लिक्विड कैस्टाइल सोप, एलोवेरा जेल, कैमोमाइल टी और ऑयल मिलायें।

टोनर के रूप में इस्तेमाल करने के लिये इसे एक कॉटन बॉल में लेकर हल्के हाथों से चेहरे और गरदन पर लगायें। अगर क्लीनजर के रूप में प्रयोग करना हो तो कॉटन बॉल को राइस वाटर में भिगोकर चेहरे, गरदन या कहीं की भी त्वचा क्लीन कर सकते हैं। टोनर और क्लीनर के रूप में प्रयोग करने के तीन-चार मिनट बाद पानी से धो लें।

बॉडी स्क्रब के तौर पर इस्तेमाल करने के लिये राइस वाटर में थोड़ा सी-सॉल्ट, नींबू का रस और ऑयल मिलायें। इससे तैयार होगा एक कमाल का नेचुरल एक्सफोलियेंट या क्लीनजर। इसे त्वचा पर अच्छी तरह रब करें और फिर नहा लें। बाथ सोक के रूप में इस्तेमाल करने के लिये नहाने के साबुन को घिसकर कर राइस वाटर में मिलायें। इसमें एक कैपसूल विटामिन E मिला लें। तैयार हो जायेगा आपका नेचुरल बाथ सोक।

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