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पाताल लोक: ख्वाहिशों के ख़ूबसूरत झमेले

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पाताल लोकके दूसरे सीज़न ने मनोरंजन के स्तर को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। जहां पहला सीज़न अपने उत्कृष्ट लेखन और दिलचस्प किरदारों के लिए मशहूर हुआ था, वहीं दूसरा सीज़न उस विरासत को और भी भव्यता के साथ आगे बढ़ाता है। इस बार की कहानी इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी (जयदीप अहलावत) और एसीपी अंसारी (इश्वाक सिंह) के ईर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी अपनी जांच के दौरान ऐसे मोड़ पर पहुंचते हैं, जहां उनकी राहें आपस में टकरा जाती हैं।

सिने–सोहबत

2025 की शुरुआत, दर्शकों के लिए वेब सीरीज़ की दुनिया में एक सुनहरा दौर लेकर आई है। पहले विक्रमादित्य मोटवानी की ‘ब्लैक वारंट’ ने दर्शकों का मन मोहा, और अब बहुप्रतीक्षित सीरीज़ ‘पाताल लोक’ के दूसरे सीज़न ने मनोरंजन के स्तर को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। जहां पहला सीज़न अपने उत्कृष्ट लेखन और दिलचस्प किरदारों के लिए मशहूर हुआ था, वहीं दूसरा सीज़न उस विरासत को और भी भव्यता के साथ आगे बढ़ाता है।

इस बार की कहानी इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी (जयदीप अहलावत) और एसीपी अंसारी (इश्वाक सिंह) के ईर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी अपनी जांच के दौरान ऐसे मोड़ पर पहुंचते हैं, जहां उनकी राहें आपस में टकरा जाती हैं। इस टकराव के बाद उन्हें नागालैंड की ओर रुख करना पड़ता है, जहां एक बड़ी राजनीतिक और सामाजिक समस्या उभरती हुई दिखाई देती है। कहानी नागालैंड और दिल्ली के बीच घूमती है, जिसके केंद्र में नॉर्थ ईस्ट के एक बड़े लीडर की देश की राजधानी में हुई राजनीतिक हत्या है, जिससे इस कहानी की शुरुआत होती है।

सीरीज़ में तीन मुख्य पहलुओं को गहराई से उजागर किया गया है। पहला है मानवीय संबंधों की जटिलता। इस कहानी में ह्यूमन रिलेशन्स और उनकी बारीकियों पर बहुत गहराई से काम किया गया है। इस कहानी का लेखन और इसकी मेकिंग इसे बस एक फ़िल्मी शो बनाने से बचाती है और ज़मीन से जोड़कर ही नहीं, बल्कि गाड़कर रखती है। फिर चाहे नागालैंड का केस हो और वहां मिले लोग या फिर ज़िंदगी की उथल पुथल में कई बार चक्की में पिसते अनजान और मासूम लोग, सभी किरदारों पर काफी एम्पथी से नज़र डाली गई है।

दूसरा अहम् पक्ष है, ‘दोस्ती का महत्व और ताकत’। इस कहानी में किरदारों की दोस्ती और उस दोस्ती की ताकत को काफी वास्तविक तरीके से रेखांकित किया गया है। कहानी के सभी सबप्लॉट्स इतने ज़मीनी और आम ज़िंदगी से जुड़े हुए लगते हैं, जैसे कि तमाम घटनाक्रम अपने आस पास के ही हों।

पाताल  लोक की कहानी का तीसरा मज़बूत आयाम है इसके मुख्य किरदार इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी का अपने कर्तव्यों को निभाने का जुनून। वो हमेशा अपनी दाल रोटी चलाने वाली नौकरी और समाज व इंसानियत के प्रति अपनी ड्यूटी को अलग अलग परिभाषित करके जीता है।  उसके लिए उसकी प्रतिबद्धतता सिर्फ़ ऑफिस तक  सीमित नहीं रह कर उसके दिल, उसकी भावना से जुड़े होते हैं और वो बिना अपनी परवाह किये बिना उसे सुलझाने में लगा रहता है।

‘पाताल लोक’ के क्रिएटर हैं सुदीप शर्मा जो इस ज़बरदस्त कहानी के लेखक भी हैं। सुदीप शर्मा के बारे में ये बता देना ज़रूरी है कि उन्होंने इससे पहले नेटफ़्लिक्स के लिए ‘कोहरा’ नाम की एक सीरीज़ बनाई थी जो कि पंजाब की पृष्ठभूमि पर थी और काफ़ी सराही गई थी।

बहरहाल, ‘पाताल लोक’ के औसतन 45  मिनटों वाले आठ एपिसोड्स के निर्देशक हैं अविनाश अरुण द्वारे।

इस सीरीज़ में मुख्य कलाकार हैं जयदीप अहलावत, इश्वाक सिंह, गुलपनाग, तिलोत्तमा शोम, मरेनला इम्सॉन्ग, एलसी सेकहोसे, नागेश कुकुनूर और कई अन्य छोटे बड़े लेकिन सब के सब दिग्गज कलाकार।

जयदीप अहलावत ने फिर से यह साबित किया है कि वे इस समय के सबसे बेहतरीन अभिनेताओं में से एक हैं। उनके किरदार, इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी, की संवेदनशीलता और कड़वी सच्चाई को उन्होंने इतनी सजीवता से निभाया है कि दर्शक उनके हर कदम पर साथ चलने को मजबूर हो जाते हैं। उनकी डायलॉग डिलीवरी, हाव-भाव और भावनात्मक गहराई ने शो को और भी यादगार बना दिया है।

उनके आलावा तिलोत्तमा शोम और सह कलाकारों की प्रभावशाली उपस्थिति है।  तिलोत्तमा शोम, जो पुलिस अधीक्षक मेघना बरुआ के किरदार में हैं, ने अपने प्रदर्शन से शो को एक अलग स्तर पर पहुंचा दिया है। उनके दृढ़ और प्रभावशाली किरदार ने कहानी में मजबूती और विश्वसनीयता जोड़ी है। मरेनला इम्सॉन्ग और एलसी सेकहोसे जैसे कलाकारों ने नागालैंड की संस्कृति और उसकी राजनीतिक पृष्ठभूमि को बेहद संवेदनशीलता और सटीकता के साथ प्रस्तुत किया है।

सुदीप शर्मा ने इस बार कहानी को न केवल मनोरंजक बनाया है, बल्कि इसे सामाजिक और राजनीतिक गहराइयों तक भी ले गए हैं। हालांकि नागालैंड की पृष्ठभूमि का चित्रण थोड़ा और  बेहतर हो सकता था, लेकिन मुख्य कहानी और किरदारों की मज़बूती इस कमी को ढक देती है। डायरेक्टर ने हर फ्रेम को बारीकी से गढ़ा है। नागालैंड की प्राकृतिक सुंदरता, स्थानीय तत्त्व और सामाजिक समस्याओं को दिखाने के लिए सिनेमैटोग्राफी का बेहतरीन उपयोग किया गया है।

‘पाताल लोक 2’ सिर्फ़ एक क्राइम थ्रिलर नहीं है; यह मानवीय रिश्तों, सामाजिक विषमताओं और हमारी व्यवस्था के अंधेरे पहलुओं की पड़ताल करता है। यह शो हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि सच्चाई के कितने पहलू हो सकते हैं और हर इंसान की अपनी कहानी होती है। भारत में आमतौर पर ऐसी फिल्में बनती हैं, जिनमें कलाकारों को एकदम ब्लैक एंड व्हाइट में प्रस्तुत किया जाता है। यानी जो अच्छा है वह हर तरह से अच्छा है और जो बुरा है वह हर तरह से बुरा है। लेकिन चाहे ‘ब्लैक वारंट’ हो या ‘पाताल लोक 2’ इनमें कई कैरेक्टर हैं, जिनको आप सिर्फ अच्छे या बुरे की बाइनरी में जज नहीं कर सकते हैं। ‘पाताल लोक 2’ का मुख्य विलेन बहुत गलत कर रहा होता है लेकिन उसको न्यायसंगत ठहराने की उसके पास बहुत जायज वजह होती है। आम हिंदी फिल्मों या सीरीज की तरह विलेन अपने फायदे या मौज मस्ती के लिए विलेन नहीं है। इसी तरह बेहद बारीकी और सहजता से समलैंगिकता को व्यक्ति की निजी पसंद के तौर पर स्थापित करने का प्रयास भी निर्देशक ने किया है।

इसका संगीत और बैकग्राउंड स्कोर कहानी के साथ पूरी तरह मेल खाता है। हर दृश्य में संगीत ने भावनाओं को और गहराई दी है, खासकर उन दृश्यों में जहां संवाद कम हैं और भावनाएं ज्यादा।

हालांकि शो ने अधिकतर पहलुओं में शानदार प्रदर्शन किया है, लेकिन नागालैंड की राजनीतिक पृष्ठभूमि को गहराई से चित्रित करने में थोड़ी कमी महसूस होती है। इसके अलावा, कुछ एपिसोड में कहानी थोड़ी धीमी पड़ती है, जो दर्शकों की धैर्य की परीक्षा ले सकती है।

‘पाताल लोक 2’ एक बेहतरीन क्राइम थ्रिलर है, जो न केवल मनोरंजन करता है, बल्कि दर्शकों को सोचने पर भी मजबूर करता है। यह शो दर्शकों को इंसानी भावनाओं की जटिलता, सामाजिक समस्याओं और राजनीति की गहरी परतों से रूबरू कराता है। कहानी ने एकाध जगह सुराग छोड़ दिए हैं कि ताकि कुछ किरदारों और सबप्लॉट्स का इस्तेमाल सीज़न 3 में स्वाभाविक लगे।  जयदीप अहलावत और अन्य कलाकारों के शानदार प्रदर्शन, दमदार लेखन और सटीक निर्देशन की वजह से यह शो इस साल अब तक की सबसे बेहतरीन सीरीज़ में से एक बन गया है।

यह सिर्फ़ एक शो नहीं, बल्कि एक अनुभव है, जो आपको लंबे समय तक याद रहेगा। ‘पाताल लोक’ के इस सीज़न की कहानी पहले सीज़न से अलग है, इसलिए अगर आपने वो नहीं भी देखी हो तो कोई बात नहीं। प्राइम वीडियो पर है, देख लीजिएगा।  (पंकज दुबे मशहूर बाइलिंग्वल उपन्यासकार और चर्चित यूट्यूब चैट शो, “स्मॉल टाउन्स बिग स्टोरीज़” के होस्ट हैं।)

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