देशद्रोह और जासूसी के आरोपों का सामना करने के बाद भी इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने पीएसएलवी का इंजन तैयार किया था। आर माधवन की फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफ़ेक्ट’ इन्हीं नंबी नारायणन के जीवन पर बनी थी। इसमें आर माधवन ने अभिनय ही नहीं किया, इसे लिखा भी और निर्देशन भी दिया। इस फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है जो कि चंद्रयान-3 की सफलता के मौजूदा माहौल में पूरी तरह फिट होता है। ‘पुष्पा: द राइज़’ में अल्लू अर्जुन को श्रेष्ठ अभिनेता के लिए चुना गया है। यह पुरस्कार पाने वाले वे पहले तेलुगु अभिनेता हैं और इस फिल्म के सीक्वल ‘पुष्पा: द रूल’ में भी काम कर रहे हैं जो अगले साल रिलीज़ होगी। इसी तरह आलिया भट को ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ के लिए और कृति सेनन को ‘मिमी’ के लिए, यानी दोनों को साझा तौर पर श्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला है। ‘मिमी’ जो कि ओटीटी पर रिलीज़ हुई थी उसके लिए पंकज त्रिपाठी को भी श्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार दिया गया है। ये 69वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार हैं जो 2021 के लिए दिए जाएंगे। ध्यान रहे, कोई पुरस्कार ऐसा नहीं होता, शायद हो भी नहीं सकता, जो सभी लोगों को संतुष्ट कर सके। अपने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी इसकी कोई गारंटी नहीं देते। किसी सरकार ने कभी ऐसा कोई दावा भी नहीं किया।
श्रेष्ठ बाल अभिनेता का पुरस्कार ‘छेलो शो’ के कलाकार भाविन राबारी को दिया गया है और इसे श्रेष्ठ गुजराती फिल्म भी माना गया है। यह वही फिल्म है जिसे अधिकृत तौर पर भारत की तरफ से ऑस्कर के लिए भेजा गया था जबकि एसएस राजामौली और उनकी टीम ने अमेरिका जाकर इतनी मार्केटिंग की कि ऑस्कर में उनकी ‘आरआरआर’ का गीत ‘नाटू नाटू’ छा गया। अब ऑस्कर जीत चुकी फिल्म को आप कैसे अनदेखा कर सकते हैं, इसलिए ‘आरआरआर’ को कुल सात राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। मगर ‘नाटू नाटू’ के लिए ऑस्कर के मंच पर पहुंचने वाले एमएम कीरवानी को श्रेष्ठ बैकग्राउंड संगीत का पुरस्कार दिया गया है, जबकि गानों के श्रेष्ठ संगीत का पुरस्कार ‘पुष्पा’ के लिए देवी श्री प्रसाद को मिला है। ‘आरआरआर’ यानी ‘नाटू नाटू’ वाले चंद्रबोस को श्रेष्ठ गीतकार का पुरस्कार तो मिला है, लेकिन एक अन्य फिल्म ‘कोंडा पोलम’ के लिए। मगर ‘नाटू नाटू’ के गायकों में से एक काल भैरव को श्रेष्ठ गायक का और प्रेम रक्षित को श्रेष्ठ कोरियोग्राफी का पुरस्कार दिया गया है। सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म विकी कौशल वाली ‘सरदार ऊधम’ मानी गई है। असल में ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ और ‘सरदार उधम’ को पांच-पांच पुरस्कार दिए गए हैं।
मगर सबसे दिलचस्प मामला है विवेक अग्निहोत्री की ‘द कश्मीर फ़ाइल्स’ को राष्ट्रीय एकता के लिए श्रेष्ठ फीचर फिल्म का नरगिस दत्त पुरस्कार दिया जाना। जब यह फिल्म रिलीज़ हुई थी, उन दिनों भी इसके विरोध और समर्थन का खूब हंगामा मचा था। उस विभाजनकारी हंगामे के बावजूद इसे राष्ट्रीय एकता वाला पुरस्कार दिया गया है। खुद विवेक अग्निहोत्री कहते हैं कि रिलीज़ के बाद जो कुछ हुआ, उससे हमें इस श्रेणी में पुरस्कार की उम्मीद नहीं की थी। उनकी पत्नी पल्लवी जोशी को भी इसी फिल्म के लिए श्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार मिला है। अनुपम खेर जो ‘कश्मीर फ़ाइल्स’ के एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर थे और जिन्होंने इसमें अभिनय भी किया था, वे भी इस पुरस्कार से खुश हैं। मगर उन्होंने इस फिल्म के लिए श्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार नहीं जीत पाने का मलाल भी जताया क्योंकि वे इसे अपनी बेहतरीन भूमिकाओं में गिनते हैं। अनुपम खेर और विवेक अग्निहोत्री, दोनों ने ही कहा कि अब सभी ने यह मान लिया है कि यह फिल्म सच्ची है। विवेक के शब्द थे कि ‘मैं खुश हूं कि अब इस फिल्म की प्रामाणिकता पर कोई सवाल नहीं उठाएगा।‘ लेकिन क्या सचमुच ऐसा होगा? क्या किसी मतांतर की स्थिति में कोई पुरस्कार निर्णायक भूमिका अख़्तियार कर लेता है?