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कौन बनेगा उम्मीदवार ने की दावेदारों की धड़कनें तेज…

भोपाल । मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर हर दिन भाजपा, कांग्रेस, आप, सपा- बसपा से कौन बनेगा उम्मीदवार किसको मिलेगा टिकट और किस दिग्गज का होगा पत्ता साफ,किसकी सीट बदलेगी, कौन लेगा सन्यास। किसे लड़ाएंगे लोकसभा का चुनाव , किसे बैठाएंगे घर ? इस आशंका ने बड़े बड़े को चिंता में डाल दिया है। कहा जाता है कि मोदी है तो सब मुमकिन है। भाजपा उम्मीदवारों की अब तक की तीन फेहरिस्त ने सबकी नींद उड़ा रखी है। ऐसी बातों और उलझन भरे सवालों को लेकर दावेदारों की धुकधुकी तेज हो रही है। उनके समर्थकगण प्रत्याशियों की सूची आने को लेकर न्यूज चैनल्स पर टकटकी लगाए हुए हैं।

आम मतदाताओं के मन मे भी कौन बनेगा उम्मीदवार, कौन करेगा बगावत, कैसे- कौन करेगा डैमेज और कौन करेगा मैनेज..? जैसे सवाल पार्टी ऑफिस से लेकर कॉफी हाउस, हेयर कटिंग सैलून व चाय- पान की दुकानों पर बहस का विषय बने हुए हैं। सिंधिया घराने की राजकुमारी यशोधरा राजे ने सियासत से सन्यास का ऐलान कर सबको हैरत में डाल दिया। उनके इस कदम ने इस बात की आशंका बढ़ा दी है कि अब स्वेच्छा या केंद्र के इशारे पर कुछ नेता ऐसे ही कुछ ऐलान हो सकते हैं। मसलन वे पार्टी के निर्देश पर विधानसभा के स्थान पर लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। ये ठीक वैसे ही हो सकता है जैसे सांसदों को यकायक विधानसभा का प्रत्याशी बना दिया।

भाजपा में पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी जिस तरह विरोधियों को सरप्राइज करती है उसी अंदाज़ में वे पार्टी को भी चकित करते रहते हैं। मोशा की यही स्टाइल है। जैसे क्रिकेट में महेंद्र सिंह धोनी अपनी टीम के साथ सामने वाली टीम को भी चकित करते रहते थे। अब देखिए मप्र में तीन केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को विधानसभा का टिकट दिया है उसकी गूंज लंबे समय तक सुनाई देगी। इस रणनीति ने कांग्रेस को भी नए सिरे से सोचने को जरूर मजबूर कर दिया होगा। कांग्रेस की सूची में देरी की एक यह भी वजह बताई जाती है।

बहरहाल भाजपा में चौथी सूची की देरी ने दिग्गजों की धड़कने बढ़ा दी है। इसके चलते कुछ नेताओं ने खामोशी ओढ़ ली है तो कुछ मुखर होने लगे हैं। अब सबसे वरिष्ठ और मोदी से निकटता रखने वाले नेता गोपाल भार्गव का यह बयान की उनके गुरुदेव ने चुनाव लड़ने के लिए कहा है। वे कहते हैं इसका आशय कुछ बड़ा होने वाला है। अर्थात श्री भार्गव मुख्यमंत्री बन सकते हैं। इसी तरह इंदौर एक से विधानसभा उम्मीदवार बनाए गए राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी।

मतलब वे भी सीएम बनाए जा सकते हैं। इसलिए कार्यकर्ता और वोटर उन्हें भारी मतों से जिताएं। बेशक श्री विजयवर्गीय संगठन की परंपराओं से गहरे तक जुड़े उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं जिन्हें पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे और सुंदर लाल पटवा ने आगे बढ़ाया है। ऐसे ही नेताओं में नरेंद्र सिंह तोमर के साथ केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल को श्री ठाकरे के समकक्ष रहे नेताओं में शामिल प्यारेलाल खंडेलवाल ने तराशने का काम किया था। तोमर , पटेल और विजयवर्गीय में एक खास बात है कि ये सब और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पक्के साथियों में रहे हैं।सब एक दूसरे को आगे बढ़ाने में सहज, साफ और निर्मल मन से संघर्ष में साथ रहे हैं।

हरेक की कामयाबी में एकदूसरे की अहम भूमिका रही है। अब चूंकि दावा मुख्यमंत्री पद का है तो अलबत्ता सबके गणित अलग अलग हो गए हैं। लेकिन ये टीम ऐसी रही है कि राजनीतिक तौर पर एक दूसरे के लिए जान दे सकती है और ले भी सकती है। आने वाले दिन भाजपा की प्रदेश भाजपा की राजनीति में बेहद महत्वपूर्ण होने वाले हैं। टिकटों के बंटबारे से लेकर कौन केंद्र की रणनीति में सक्रिय होगा किसे राज्य में अहम रोल मिलेगा बहुत कुछ तय होने वाला है। अभी तो भारतीय युवा मोर्चा काल की इन नेताओं की टीम का जलवा बरकार रहेगा या सूबे में नए नेताओं का उदय होगा इस पर भारी कशमकश होने वाली है।

कांग्रेस में नाथ और दिग्विजय के साथ जीतू और कमलेश्वर…
मध्य प्रदेश कांग्रेस में लगता है भविष्य के नेताओं की जोड़ी में जीतू पटवारी और कमलेश्वर पटेल का नाम जोड़ सकता है यह ठीक वैसे ही होगा जैसे वर्तमान में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी कम कर रही है। हालांकि जो गहराई और आपसी समझ बहुत नाथ और दिग्विजय सिंह में है वैसा समन्वय जीतू पटवारी और कमलेश्वर में पैदा हो इसके लिए लंबा समय लग सकता है यदि ऐसा होता है तो फिर वरिष्ठ नेताओं के पुत्रों कि भविष्य को लेकर शंका को शंकाएं भी जन्म लेंगी। अभी तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के निकटवर्ती नेताओं में पटवारी और पटेल का नाम चर्चाओं में है लेकिन मध्य प्रदेश के राजनीति में दिग्विजय सिंह के चिरंजीवी जयवर्धन सिंह अर्थात जेवी की अनदेखी करना आसान नहीं होगा। यह ठीक वैसे ही होगा जैसे वरिष्ठ नेता अर्जुन सिंह के बाद उनकी राजनीतिक विरासत संभालने वाले पुत्र अजय सिंह राहुल को पार्टी हमेशा महत्वपूर्ण स्थान देती रही है।

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