भोपाल। कहते हैं की नीव मजबूत हो तब इमारत भी मजबूत बनती है, लगता है कि सांप्रदायिक और धार्मिक विभाजन पर चुनाव जीतने से बनी सरकार की इमारत धसकने लगी है। मोदी जी के कुछ फैसले बानगी के तौर पर देखे जा सकते हैं। मौजूदा संसद भवन को संग्रहालय बनाने के लिए अरबों रुपये की लागत से बना विवादित सेंट्रल विस्टा में संसद का वर्षा ऋतु का अधिवेशन की ज़ोर –शोर की घोषणा, आखिरकार उस नव निर्मित इमारत (स्मारक कहना ज्यादा उचित होगा) में नहीं हो सकी ! उसी भांति जैसे कालाधन खत्म करने की घोषणा के साथ दो हजार रुपये के नोट बंद किए गये थे अथवा मंहगाई पर रोक लगाने की तरकीब भी बताई गयी थी। पर हुआ क्या टमाटर और अदरख तथा हरी मिर्च जैसी सब्जियां ही सैकड़ा पार करके एक किलो में मिल रही हैं। वैसे अंडमान के पोर्ट ब्लेयर में नव निर्मित हवाई अड्डे का नामकरण संघ और बीजेपी के युग पुरुष सावरकर के नाम पर हुआ परंतु द्वीप की पहली ही बरसात में ना केवल वहां पानी भर गया वरन उसमे छत पर सजावट के लिए लगे फाल्स सीलिंग भी फाल्स ही साबित हुई और लटक गयी !
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी बड़े भारी आयोजन में डबल इंजन की सरकार वाले उत्तर प्रदेश में भगवधारी मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की मौजूदगी में उदघाटन किया, परंतु एक सप्ताह में ही वह राष्ट्रीय राजमार्ग अनेकों स्थानों पर ध्वस्त हो गया। इसी के साथ मोदी जी ने देश को स्मार्ट बनाने के लिए बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर के इलाके में बने सैकड़ों शिवालयों और मकानों को ही नहीं हटाया वरन उस इलाके को सुंदर (अपनी परिभाषा के अनुसार) बनाने के लिए धराशायी कर दिया। जिन मकानों को हटाया गया और बाद में धराशायी कर दिया गया उन्हें तो मुआवजा दिया गया, परंतु मंदिर के अर्चकों और पुजारियों को छूछा छोड़ दिया गया !
वैसे मोदी जी को पुरातन दिखने वाली इमारतें बिलकुल नहीं भांती, इसीलिए उन्होंने साबरमती में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विश्व विख्यात आश्रम को भी पाँच सितारा लुक देने के लिए ट्रस्ट के बचे – लोगों को बेदखल कर दिया। अब वहां सुनते हैं एक बहुत बड़ा माल बनेगा और बगल में महात्मा गांधी की भी प्रतिमा लगी हो सकती है! बस इतना ही बचेगा शायद, परंतु क्या आरएसएस और बीजेपी तथा मौजूदा सरकार भी उस क्राशकाय महामानव की दुनिया में जो छवि है, उसको मिटा पाएंगे ? कोशिश कर ले।
जैसे आजकल सत्ताधारी दल के कुछ अति मुखर और स्वनाम धन्य नेता जैसे मोदी सरकार की मुसीबतों के लिए पंडित नेहरू को ही दोष देते है। जैसे मणिपुर में कुकी जनजाति के नर संहार और उनकी महिलाओ के साथ सार्वजनिक रूप से बलात्कार के द्रश्य से देश में उठे जन आक्रोश को देखते हुए सत्ता के करीबियों ने यह कहना शुरू कर दिया है कि यह समस्या तो आज़ादी के समय मणिपुर रियासत के इंडिया दैट इस भारत में मिलने के समय से ही शुरू हो गयी थी। तभी तो कांग्रेस के समय में पूर्वोतर में रास्ता बंदी हुआ करती थी। हमारे 9 साल में एक बार भी ऐसा नहीं होने दिया ! वैसे लगता है कि सरकार सही है, पर विगत बीस वर्षो में सड़क और –आवागमन की सुविधाओं में बहुत व्रद्धि हुई हैं। इसलिए पहले की भांति एक ही पहुँच मार्ग नहीं है, की पेड़ गिराकर सड़क बंद की जा सके। अनेक वैकल्पिक सड़कें हैं जो देश के विभिन्न भागों से जोड़ती है ट्रकों के काफिले चाय के बागानों से हरियाली से पूरित पहाडि़यों की प्रष्ठभूमि में देखे जा सकते हैं। इसलिए सरकारी मीडिया और सत्ता समर्थक नेताओं, मंत्रियों के बयान निराधार और तथ्य से परे है।
वैसे लोकसभा में नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ लाये गए अविश्वास प्रस्ताव के जवाब में बीजेपी के मंत्री और नेता तथा एनडीए गठबंधन के कुछ वक्ता मणिपुर कांड में मोदी सरकार की अलाली और निष्क्रियता का जवाब यही होगा की यह मर्ज ईतना पुराना है और हमारी पार्टी की विरेन सिंह सरकार ने भरसक प्रयास किया है।
हालांकि इन सरकारी भोंपुओं को यह भी कहना चाहिए की देश के अन्य बंधुआ राज्यपालों से अलग हट कर मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया ऊईके जो खुद भी एक आदिवासी है, जैसे राष्ट्रपति है, उसने एक टीवी चैनल को दिये गए बयान में बताया है कि उन्होंने अनेकों बार राज्य की सरकार को और संदेशों और रेपोर्टों के माध्यम से राष्ट्रपति को यहां की विस्फोटक स्थिति के बारे में बता दिया था। अब सरकार लोकसभा में राज्यपाल की रिपोर्ट के बारे में कन्नी काट जाएगी।
राज्य में विधानसभा चुनावों की तैयारी में मोदी जी ने अपने गुईया यानि कि गृहमंत्री अमित शाह जी को मध्यप्रदेश का जिम्मा दे रखा है। वैसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तर्ज पर हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी बात – बात में डबल इंजन सरकार का जुमला नहीं लगाते हैं, शायद इसलिए की वे सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने का रेकॉर्ड बनाने (कम से कम मध्यप्रदेश में) वाले है।
जो बीजेपी विपक्ष के गठबंधन इंडिया के चेहरे की बात करती है – वह आज अपने मुख्य मंत्री को ही चुनाव में नकार रही है। रविवार को इंदौर में कार्यकर्ताओं और जन सभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा की प्रदेश में बीजेपी की सरकार और दिल्ली में मोदी की सरकार रहेगी। इससे यह तो साफ हो गया की बीजेपी का नेत्रत्व शिवराज सिंह को डंप करने वाला है। अन्यथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो की एनडीए दलो की दिल्ली के अशोका होटल की बैठक में अपने भाषण के दौरान कम से कम तीस बार अपनी सरकार को एनडीए की सरकार कह कए संबोधित किया था। आज वही नेत्रत्व अपनी ही पार्टी की सरकार के मुख्य मंत्री को दरकिनार कर रहा है। तब एनडीए के सहयोगी दलो का क्या होगा?