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ये चुनाव एकजुटता के मुद्दे पर

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भाजपा के पूर्व सांसद श्री किरीट सोमैया ने मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यह आंकड़ा प्रस्तुत किया कि अगर इसी तरह चलता रहा तो सिर्फ 26 साल के बाद 2050 तक देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में हिंदू आबादी महज 54 फीसदी रह जाएगी। टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइसेंज की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1961 की जनगणना के मुताबिक तब के बॉम्बे में हिंदू आबादी 88 फीसदी थी, जो 2011 की जनगणना में घट कर 66 फीसदी हो गई।

चाहे जिस कारण से या जिस नारे की वजह से हुआ हो लेकिन यह वास्तविकता है कि महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा का चुनाव हिंदू एकजुटता और देश की एकता व अखंडता के मुद्दे पर केंद्रित हो गया है। भाजपा विरोधी पार्टियों और कुछ सहयोगियों ने भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के दो नारों का इतनी बार जिक्र किया या इतनी तरह से व्याख्या कर दी कि आम लोगों के दिल दिमाग में यह बात बैठ गई कि अगर एक नहीं रहे तो आने वाले समय में मुश्किल होगी। उनको यह बात समझ में आई है कि देश की जनसंख्या संरचना बदल रही है, कई राज्यों में हिंदू पहले ही अल्पसंख्यक हो गए हैं, कई राज्यों में अल्पसंख्यक होने की ओर बढ़ रहे हैं, घुसपैठ की वजह से राज्यों में आदिवासी व दलित आबादी तेजी से घट रही है, व्यापक पैमाने पर धर्मांतरण हो रहा है और चुनाव का असली प्रश्न ‘रोटी, बेटी और माटी’ का है। इस क्रम में कांग्रेस और जेएमएम जैसी घनघोर तुष्टिकरण करने वाली पार्टियों के साथ साथ श्री उद्धव ठाकरे की राजनीति भी एक्सपोज हो गई है।

कांग्रेस अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खड़गे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के नारे ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का विरोध करते हुए इतने भवावेश में आ गए कि उन्होंने कह दिया कि यह साधु की नहीं, बल्कि आतंकी की भाषा हो सकती है। उनका यह बयान इतना तल्ख और संदर्भ से बाहर का था कि मुख्यमंत्री को भी उसी अंदाज में प्रतिक्रिया देनी पड़ी। उन्होंने पूछा कि मल्लिकार्जुन खड़गे बार बार कहते हैं कि जब वे छोटे थे तभी उनकी मां और बहन सहित परिवार के कुछ दूसरे सदस्यों को जला कर मार दिया गया था। लेकिन आज तक उन्होंने बताया नहीं कि किसने उनकी मां को जलाया था। यह बड़ा सवाल है, जिससे इतिहास के एक ऐसे अध्याय का खुलासा होता है, जो देश और समाज के माथे पर कलंक की तरह है? असल में हैदराबाद निजाम के सेना में शामिल रजाकारों ने उनकी मां और बहन को जला कर मार डाला था। खड़गे के बेटे और कर्नाटक सरकार के मंत्री प्रियंका खड़गे ने इशारों इशारों में एक बार इसका जिक्र किया था। असल में देश की आजादी तय होने के बाद हैदराबाद के निजाम ने भारत में शामिल होने से इनकार कर दिया था। उस समय रजाकारों ने वहां की हिंदू आबादी पर और खास कर दलितों पर बड़े अत्याचार किए थे। वे जोर जबरदस्ती दलितों को इस्लाम अपनाने के लिए बाध्य कर रहे थे। लेकिन खड़गे की मां और परिवार के दूसरे सदस्य बहादुर थे, जिन्होंने मर जाना कबूल किया लेकिन इस्लाम नहीं अपनाया। क्या दलितों पर मुस्लिम अत्याचार का यह अध्याय आम लोगों के सामने नहीं आना चाहिए? लेकिन तुष्टिकरण की राजनीति के चलते इतिहास के इस काले अध्याय को और खड़गे के परिवार की महिलाओं के शौर्य की कहानियों को सामने नहीं आने दिया गया। अच्छा हुआ, जो खड़गे ने श्री योगी आदित्यनाथ के नारे पर सवाल उठाया और उनके परिवार के इतिहास के बहाने एक भयावह सचाई देश के लोगों के सामने आई।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पांच अक्टूबर को महाराष्ट्र में एक नारा दिया ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’। इसके बाद कई ऐसे तथ्य सामने आए, जिनसे पता चलता है कि एक नहीं रहना समूचे हिंदू समाज के लिए और व्यापक रूप से भारत की एकता व अखंडता के लिए कितना बड़ा खतरा बन सकता है। भाजपा के पूर्व सांसद श्री किरीट सोमैया ने मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यह आंकड़ा प्रस्तुत किया कि अगर इसी तरह चलता रहा तो सिर्फ 26 साल के बाद 2050 तक देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में हिंदू आबादी महज 54 फीसदी रह जाएगी। टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइसेंज की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1961 की जनगणना के मुताबिक तब के बॉम्बे में हिंदू आबादी 88 फीसदी थी, जो 2011 की जनगणना में घट कर 66 फीसदी हो गई। यानी 50 साल में हिंदू आबादी 20 फीसदी घट गई। उस समय मुस्लिम आबादी आठ फीसदी थी, जो बढ़ कर 21 फीसदी हो गई है। असल में मुंबई की जनसंख्या संरचना कई कारणों से बदल रही है। बिहार, उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी का पलायन मुंबई की ओर हुआ है, जिनको वहां से मुस्लिम गैंगेस्टर्स और नेताओं की वजह से प्रश्रय मिला। इसके अलावा रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठिए भी बड़ी संख्या में मुंबई पहुंचे हैं। दूसरे राज्यों के मुसलमानों और घुसपैठियों के अलावा लव जिहाद का भी इसमें हाथ है। इस तरह बड़े व्यवस्थित तरीके से मुंबई की जनसंख्या संरचना को बदला जा रहा है।

परंतु हैदराबाद के निजाम के आधिपत्य वाला इलाका या मुंबई अपवाद नहीं हैं। वहां से बहुत दूर झारखंड के संथालपरगना प्रमंडल में भी यही कहानी दोहराई जा रही है। बांग्लादेशी घुसपैठियों से जुड़े एक मसले पर केंद्र सरकार ने पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया, जिसमें बताया गया है कि संथालपरगना की पूरी जनसंख्या संरचना बदल गई है। पहले वहां आदिवासियों की आबादी 44 फीसदी थी, जो अब घट कर 28 फीसदी रह गई है। यानी इसमें 16 फीसदी की कमी आई है। इसके मुकाबले संथालपरगना के छह जिलों में 20 से 40 फीसदी तक मुस्लिम आबादी बढ़ी है। पाकुड़ और साहिबगंज जिलों में यह प्रतिशत और ज्यादा है। पाकुड़ से कांग्रेस के विधायक आलमगीर आलम हैं, जो अभी जेल में बंद हैं। उनके निजी सचिव के नौकर के यहां से ईडी ने 25 करोड़ रुपए की नकदी जब्त की थी। उस पूरे इलाके में सारा खेल बालू, पत्थर से लेकर मवेशी और इंसानों की तस्करी का चल रहा है, जिसके पीछे कांग्रेस और जेएमएम के लोग हैं। यह भी हैरान करने वाली बात केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में बताई है कि इसाइयों की संख्यों में छह हजार गुना तक बढ़ोतरी हुई है। एक तरफ आदिवासी आबादी का अपने मूल स्थान से पलायन हो रहा है और दूसरी ओर व्यापक पैमाने पर धर्मांतरण हो रहा है। भारत के सॉलिसीटर जनरल श्री तुषार मेहता ने संथालपरगना की स्थिति को ‘अलार्मिंग’ यानी चिंताजनक बताया। पिछले अनेक बरसों से कांग्रेस और जेएमएम ने अपनी वोट बैंक की राजनीति के तहत घुसपैठियों को बसाया और धर्मांतरण होने दिया। इस इलाके में घुसपैठिए मुस्लिम आदिवासी लड़कियों से शादी कर रहे हैं और आदिवासी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं।

झारखंड और महाराष्ट्र ऐसे ही दो राज्य हैं, जहां अभी चुनाव हो रहे हैं। महाराष्ट्र की सभी 288 सीटों पर और झारखंड में दूसरे चरण की 38 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान होगा। दोनों जगह मतदाताओं को इस बात का ध्यान रखना होगा उन्हें ‘रोटी, बेटी और माटी’ की रक्षा के लिए वोट करना है। वे एक रहेंगे और एक होकर वोट करेंगे तभी इस अवश्यंभावी संकट का सामना सक्षम तरीके से कर पाएंगे। उनको जाति के नाम पर बांटने के दस तरह से प्रयास हो रहे हैं लेकिन उनको ध्यान रखना है कि जो लोग जाति गणना और आरक्षण के नाम पर उनको बांटने का प्रयास कर रहे हैं उनका असली मकसद क्या है? कांग्रेस ने कभी भी पिछड़ी, दलित जातियों का भला नहीं किया है। मौका मिलते ही उसने दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों का आरक्षण मुसलमानों में बांटा। इसलिए उसका मकसद पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों की भलाई नहीं है, बल्कि उसकी प्राथमिकता में घुसपैठिए हैं, जिनके लिए झारखंड में कांग्रेस के प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने कहा कि कांग्रेस की सरकार बनी तो वह घुसपैठियों को भी सस्ता सिलेंडर देगी। इससे कांग्रेस की वास्तविक मंशा जाहिर हो जाती है। (लेखक दिल्ली में सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) के कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त विशेष कार्यवाहक अधिकारी हैं।)

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