BJP Congress: बीते वर्षों से सबक लेकर राजनीतिक दल नए साल में नए कलेवर में देखने के लिए अभी से रणनीति बना रहे हैं।
भाजपा जहां संगठन और सरकार में दमदार विचारवान नेताओं को आगे लाने जा रही है वहीं कांग्रेस माहौल के भरोसे न रहकर अब संगठन को बूथ स्तर से लेकर प्रदेश तक मजबूती देने में जुट गई है।
दरअसल, जोड़-तोड़ करके चुनावी मैनेजमेंट करके चुनाव जीत जाना ही भविष्य के लिए काफी नहीं है बल्कि कार्यकर्ता, नेता उत्साहित रहें जनता में सकारात्मक वातावरण रहे तब कहीं जाकर लंबी राजनीतिक पारी जारी रह सकती है, अन्यथा गुब्बारा कभी भी फट सकता है।
वहीं दूसरी ओर माहौल कितना भी आपके लिए अनुकूल लगे सत्ताधारी दल के खिलाफ लोग सड़कों पर बोले लेकिन इससे चुनाव जीतना अब आसान नहीं रहा।
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नए वर्ष में नए कलेवर(BJP Congress)
यह सब बातें पिछले वर्षों के अनुभव के आधार पर भाजपा और कांग्रेस समझ चुकी है और भविष्य में पार्टी मजबूत कदमों के साथ आगे बढ़े इसके लिए दोनों ही प्रमुख दल संगठन को दुरुस्त करके आगामी वर्ष के लिए मजबूती से कदम बढ़ाना चाह रहे हैं और इसकी आहट अभी से सुनाई देने लगी है जो नए वर्ष में नए कलेवर के रूप में दिखाई भी देगी।(BJP Congress)
बहरहाल, भाजपा की प्रदेश स्तरीय बैठक में संगठन के पदाधिकारी ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि मंडल अध्यक्ष जिला अध्यक्ष सर्वसम्मति से ऐसे व्यक्तियों को चुना जाए जो क्षमतावान भी हो और विचारवान भी हो।
पार्टी समझ चुकी है कि लगातार प्रदेश में और देश में भाजपा की सरकार है। अनेकों जन कल्याण की योजनाएं संचालित है इसके बावजूद चुनाव में पार्टी को काफी मशक्कत करना पड़ती है जबकि विपक्षी दल कांग्रेस बिखरा हुआ है।
सड़कों पर संघर्ष कांग्रेस का दिखाई नहीं देता इसके बावजूद भाजपा अभी तक अनुकूल वातावरण में चुनाव नहीं लड़ पा रही है।
विजयपुर विधानसभा सीट का उपचुनाव
यहां तक कि विजयपुर विधानसभा सीट का उपचुनाव पार्टी तब हार गई जब उसका कैबिनेट मंत्री चुनाव लड़ रहा था और जो उसे क्षेत्र से छह बार विधायक भी रह चुका है।
इसी तरह बुधनी विधानसभा सीट में पार्टी जहां 2023 के विधानसभा चुनाव में एक लाख से भी ज्यादा वोटो से जीती थी वहीं मैच बड़ी मुश्किल से 13000 वोटों से चुनाव जीत पाई।
चावल के दाने की तरह पार्टी नेताओं को जमीनी हक हकीकत समझने में देर नहीं लगी और संगठन चुनाव के माध्यम से संगठन में और मंत्रिमंडल विस्तार के माध्यम से सरकार में क्षमतावान और विचारवान वाले नेताओं को शामिल किया जाएगा और मजबूत कदमों से आगे बढ़ेगी। पार्टी नए साल में नए कलेवर में पार्टी नजर आएगी।
लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीट हार
वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेस तमाम अनुमानों के मुताबिक 2023 में प्रदेश में सरकार बना रही थी लेकिन बुरी तरह से कांग्रेस की पराजय हुई फिर नेतृत्व परिवर्तन किया और लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीट हार गई मजबूत गढ़ छिंदवाड़ा भी हाथ से चला गया इसके बाद अमरवाड़ा विधानसभा का उपचुनाव भी पार्टी हार गई।
नए अध्यक्ष जीतू पटवारी के लिए अब चुनौती थी कि वे कुछ कर कर दिखाएं और विजयपुर एवं बुधनी विधानसभा सीट के उप चुनाव घोषित हुए। कांग्रेस ने दोनों ही सीटों पर बेहतर प्रत्याशियों के साथ-साथ अनुभव नेताओं को चुनाव की कमान सौंपी।
जातीय समीकरण साधे और कांग्रेस जहां विजयपुर विधानसभा जीतने में सफल हो गई वहीं बुधनी जैसी कठिन सीट पर वह मामूली अंतर से चुनाव हारी।
इन दो उपचुनाव से कांग्रेस पार्टी ने सबक लेकर अब नए साल में बूथ, ब्लॉक और जिला कमेटियों में आमूल चूल परिवर्तन करके संघर्षशील और कांग्रेस के लिए समर्पित नेताओं को शामिल करके नई छवि बनना चाहती है जो सरकार के खिलाफ संघर्ष करें, जन आंदोलन करें और चुनाव में पार्टी के लिए बूथ पर लड़ाई लड़े।
अभी से कांग्रेस चुनाव को लेकर एक चुनावी विंग का गठन करने जा रही है जो पूरे समय मतदाता सूचियां से लेकर परिसीमन और चुनाव तक की व्यवस्थाओं पर नजर रख सके।
कुल मिलाकर प्रदेश के दोनों ही प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस ने बीते वर्षों में अनुभव के आधार पर जो सबक सीखे हैं उसी को ध्यान में रखते हुए नए साल की रणनीति बनाई जा रही है और दोनों ही दल 2025 में नए कलेवर में नजर आएंगे।