भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव अपने कामकाज -कार्यशैली, निर्णय और व्यवहार से धीरे धीरे ही सही प्रभावी होने लगे हैं। सरकारी फैसलों में संजीदगी से लगता है मुख्यमंत्री मोहन मन मोहने लगे हैं। हालांकि बतौर मुख्यमंत्री डॉ यादव को अभी एक साल ही हुआ है। इतने कम समय में जनता से जुड़े मुद्दों पर उनका नज़रिया और फिर सरकार का एक्शन लोगों को एहसास कराता है कि सकारात्मक परिवर्तन जरूर आएंगे।
सीएम डॉ यादव हाल ही में उद्योग, खेती और युवाओं के रोज़गार के लिए जो निर्णय लिए हैं उनकी कामयाबी से राज्य के लोकप्रिय नेता के रूप में स्थान बनाने की दिशा में चल पड़ेंगे। असल मे डॉ यादव ने उद्योगों की स्थापना और उनमें निवेश के लिए इंडस्ट्रियल समिट को मेट्रो सिटीज से बाहर निकाल कर संभाग, जिले से लेकर कस्बों तक ले जा रहे है। ये बहुत बड़ा कदम है। इससे निवेश गांव देहात की तस्वीर और तकदीर बदलने का काम करेगा। सड़क-बिजली, पानी और शांतिपूर्ण श्रमिक माहौल से रोजगार के अवसर शहरी सीमा से निकल गांवों तक दस्तक देंगे। यही बदलाव डॉ मोहन यादव को मुख्यमंत्री के रूप में जनता के दिल दिमाग जगह दिलाएगा। एक कहावत है कि ” प्यासे को कुएं के पास जाना पड़ता है मगर अब प्यासे के पास कुएं जाते दिखे तो हैरत मत करिए ”
उद्योगों के जिलों तक जाने से आसपास के गांवों के मजदूर और लिखे पढ़े युवाओं के पास खुद निवेशक अपने उद्योग लेकर जाएंगे तब बदलाव की बयार सब महसूस करेंगे। मोहन सरकार विकास की नई इबारत लिखने के जतन करती दिख रही है। बस कोशिशों के मुताबिक नतीजे आ जाएं तो फिर हर कोई कहेगा “चलो बजाओ ताली…” अभी तक आम लोग जो सीएम की सभाओं में जाते हैं वे डॉ यादव को उनके सहज अंदाज़ में यह कहते सुनते हैं चलो बजाओ ताली…
असल में विकसित होते गांवों के पास यदि उद्योगों का स्थापित होने आरम्भ हो जाए तो गरीब लोगों को रोजगार की तलाश में अपना घर परिवार और बूढ़े माता पिता को छोड़ शहरों में दर -दर की खाक नही छाननी पड़ेगी। गांव में ही 10-15 हजार रुपए की नौकरी उसे शहरों के 20 हजार रुपए के बराबर ही पड़ेगी। साथ ही उसकी मौजूदगी से घर परिवार सुरक्षित भी रहेगा।
इसके अलावा प्रदेश और देश में शुद्ध दूध घी का संकट गहराता जा रहा है। इसे सीएम यादव ने महसूस कर राज्य में दूध का उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य रख कर दुग्ध उत्पादक किसानों के हित में बड़ा निर्णय किया है। नई पीढ़ी को नकली घी दूध से बचाने का प्रयास यादव की सरकार कर रही है। इस तरफ अभी तक कम ही ध्यान दिया गया है। मिलावट रोकने के मामले में डॉ मोहन की सरकार से मिलावटियों के खिलाफ आजन्म कारावास का कानून लाने की भी दरकार है।
युवाओं को स्किल्ड करने के ट्रेनिंग सेंटर खोलने का फैसला भी उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने के साथ बेरोजगारों की जिंदगी बदलने वाला साबित होगा। लेकिन यह सब निर्भर होगा नौकरशाही पर । दरअसल सरकारों की हर अच्छी योजनाओं को सफल और असफल करने की चाबी अधिकारी- कर्मचारियों के हाथ मे होती है। बेहतरीन अफसरों का चयन करना भी मुख्यमंत्री के लिए किसी चुनौती से काम नहीं होगा। अभी तक उद्योग विभाग के अफसरों की टीम उम्मीद के मुताबिक परिणाम देने की दिशा में बढ़ती दिख रही है। लेकिन कानून व्यवस्था के मामलों में सीएम को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शैली में टीम बनाने और उसे आतंकवाद, गुंडागर्दी खासकर महिलाओं व बेटियों के खिलाफ अपराध करने पर त्वरित एक्शन के आर्डर देने होंगे। ग्वालियर-चंबल से लेकर मालवा निमाड़, इंदौर-उज्जैन, जबलपुर और राजधानी भोपाल में पुलिस व प्रशासन को सीधी कार्रवाई करने के साफ साफ निर्देश देने होंगे। कुछ गम्भीर घटनाओं से पुलिस प्रशासन के खुद मुख्यमंत्री की इमेज पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। यदि सीएम डॉ मोहन ऐसा जितने जल्दी कर पाएंगे उनकी राष्ट्रीय स्तर पर उनकी छवि चमकदार होती जाएगी फिर हर कोई कहेगा चलो बजाओ ताली…