भोपाल। भले ही चुनाव की घोषणा ना हो लेकिन प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए दोनों ही प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस के अधिकांश टिकट सितंबर में तय हो जाएंगे जिसका भी टिकट कटता है वह सितम महसूस करता है और जिसको अचानक से मिल जाता है वह पार्टी की रहम मानता है।
दरअसल, प्रदेश की राजनीति में अब तक टिकट वितरण का काम चुनाव आयोग द्वारा कार्यक्रम घोषित होने के बाद होता था और अनेकों बार तो नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख तक सूचियां आती थी लेकिन इस बार जल्दी टिकट घोषित करने के लिए प्रयास तेज हो गए हैं बल्कि भाजपा ने 103 आकाशी सीटों में से 39 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं और शेष सीटों पर जल्दी ही प्रत्याशी घोषित करने जा रही है। 20 अगस्त से 27 अगस्त तक सभी 230 सीटों पर उत्तरप्रदेश बिहार गुजरात और महाराष्ट्र के विधायको ने विधानसभा क्षेत्र में घूम कर फीडबैक ले लिया है। हालांकि कुछ सीटों पर विधायक इसलिए नहीं पहुंच पाए कि उनकी ड्यूटी मध्य प्रदेश के साथ-साथ राजस्थान में भी लगाई गई थी लेकिन पार्टी का अपना सर्वे है और पार्टी की पूरी कोशिश है की जल्दी ही दूसरी सूची जारी कर दे।
रविवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में पार्टी के दिग्गज नेताओं की बैठक हुई जिसमें जन आशीर्वाद यात्रा का कार्यक्रम क्या-क्या किया गया पांच स्थानों से यात्रा निकलेगी और 3 सितंबर को गृहमंत्री अमित शाह चित्रकूट से जन आशीर्वाद यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे। इस दौरान सत्ता और संगठन से जुड़े सभी बड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं का जमावड़ा चित्रकूट में लगेगा। इस बार जन आशीर्वाद यात्रा किसी एक चेहरे पर फोकस करने की बजाय अलग-अलग स्थान से निकलने वाली यात्रा का नेतृत्व भी अलग-अलग नेता करेंगे। जिसमें क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को सदा जाएगा और स्थानीय मुद्दों को उभारा जाएगा। पिछली बार जन आशीर्वाद यात्रा जहां से निकलती थी वहां टिकट के दावेदार स्वागत में अलग-अलग स्थान पर शक्ति प्रदर्शन करते थे, भीड़ जुटाते थे, भारी खर्च करते थे। किसी-किसी विधानसभा में एक-एक दर्जन नेता ऐसा करते थे और जब किसी एक को टिकट मिला तो बाकी निपटने में लग गए। इस कारण बैठक में इस बात पर विशेष जोर दिया गया है कि जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान विधानसभा क्षेत्र के दावेदारों के बीच गुटबाजी पनपे और ना ही यात्रा के स्वागत को लेकर शक्ति प्रदर्शन हो। वैसे जिस तरह से एक झटके में भाजपा ने 39 टिकट घोषित कर दिए हैं उससे दावेदार भी समझ गए हैं। इस बार ना शक्ति प्रदर्शन से और ना नेताओं की सिफारिश पर टिकट मिलना है। शायद इसी कारण इस बार बायोडाटा कम टाइप हो रहे हैं और नेताओं के चक्कर लगाना भी कम हो गया है और जो टिकट का विरोध कर रहे हैं उनसे भी कह दिया गया है कि किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं होगा यहां तक कि 39 घोषित प्रत्याशियों का प्रशिक्षण भी कर दिया गया है कि उन्हें कैसे चुनाव लड़ना है। चुनाव की पहले पार्टी का सबसे बड़ा शक्ति प्रदर्शन सितंबर को राजधानी भोपाल में होगा जहां लगभग लगभग 10 लाख लोगों को आमंत्रित करने की योजना है।
वहीं दूसरी और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की की रणनीति दो से 4 सितंबर के बीच राजधानी भोपाल में बनाई जाएगी। जिसमें कांग्रेस के सभी बड़े नेता और जिला अध्यक्ष भी बुलाए गए हैं। प्रभारी और पर्यवेक्षक पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला भी 3 दिन राजधानी भोपाल में रहेगे। पहले 2 दिन संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा होगी प्रत्येक विधानसभा की बूथ स्तर तक जमावट का जायजा लिया जाएगा। तीसरे दिन 4 सितंबर को प्रदेश स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक होगी जिसमें टिकट के दावेदारों के नाम पर विचार किया जाएगा। सर्वे रिपोर्ट और नेताओं की राय के आधार पर कोशिश की जाएगी कि अधिकांश सीटों पर सिंगल नाम तय करके सेंट्रल इलेक्शन कमिटी को भेजे जाए लेकिन विवाद की स्थिति में पैनल बनाकर भेजा जाएगा पार्टी की कोशिश होगी कि 10 सितंबर के पहले अधिकांश प्रत्यशों की घोषणा कर दे।
कुल मिलाकर प्रदेश की सियासत में सितंबर का महीना बेहद महत्वपूर्ण होने जा रहा है जिसमें दोनों ही दलों के न केवल अधिकांश प्रत्याशी तय हो जाएंगे। बल्कि रणनीति भी अंतिम रूप ले लेगी जैसे की संभावनाएं जताई जा रही है। इस बार दीपावली के पहले भी विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं। इस कारण चुनाव आयोग के साथ-साथ दलों की तैयारी भी तेज हो गई है देखना होगा। सितंबर किसके लिए सितम और किसके लिए रहम देकर जाएगा।