भोपाल। भाजपा के मध्य प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव की चुनाव में भूमिका को लेकर जिज्ञासा से ज्यादा सवाल खड़े होने लगे है.. मध्य प्रदेश में नई चुनावी जमावट में क्या मुरलीधर अलग-अलग पड़ते नजर आ रहे.. इस बात में दम है तो फिर इसकी वजह क्या है.. आखिर प्रदेश प्रभारी कहां है.. क्या उन्हें ठिकाने लगा दिया गया है.. यह स्थिति खुद उनकी विवादित कार्यशैली के कारण निर्मित हुई है या फिर वो खुद चुनाव लड़ने की तैयारी में और पार्टी ने उनके लिए कोई नया काम तलाश लिया है.. या फिर मध्य प्रदेश से उनका मोह भंग होने लगा है.. खुद को क्या चुनावी गतिविधियों से दूरी बनाने का मन बना लिया है.. पाटौर चुनाव प्रभारी उन्होंने जिनको टिकट दिलवाने का मन बना लिया था या जिन्हें भरोसा दिलाया था आखिर अब उनका क्या होगा.. एक साथ ऐसे कई सवाल खड़ा होना लाजिमी भी है.. क्योंकि न सिर्फ शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार हो चुका है बल्कि एक नहीं पांच जन आशीर्वाद यात्रा के एजेंडे को अंतिम रूप दे बाकायदा उसके अधिकृत ऐलान के लिए चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव और चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस करने वाले..
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पहली जन आशीर्वाद यात्रा को हरी झंडी दिखाने के लिए 3 सितंबर को चित्रकूट पहुंच रहे हैं.. इस दौरान मुख्यमंत्री निवास, प्रदेश बीजेपी दफ्तर और कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन हॉल से लेकर दिल्ली तक मैराथन बैठकों का दौर तेजी पकड़ चुका है और मुरलीधर फिलहाल इन बैठकों से दूरी बनाए हुए हैं.. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विकास यात्राएं कर रहे हैं.. चुनाव आचार संहिता के ऐलान से पहले मध्य प्रदेश की चुनाव कमान अपने हाथ में ले चुके केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और दूसरे केंद्रीय नेता जब इन जन आशीर्वाद यात्रा का शुभारंभ करने और इसमें शामिल होने आगे भी मध्य प्रदेश आएंगे.. तो सवाल क्या चुनाव प्रभारी मुरलीधर राव आखिर कहां होंगे.. क्या मिशन 2023 में अपनी भूमिका को निभाते हुए सक्रिय तौर पर नजर आएंगे.. क्या राष्ट्रीय नेतृत्व खासतौर से अमित शाह की लाइन को आगे बढ़ा रहे चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव के बीच समन्वय नहीं बन पाया है..दो उप प्रदेश प्रभारी पंकजा मुंडे और राम शंकर कथारिया की सक्रियता से ज्यादा उपयोगिता पर पहले ही सवाल खड़े होते रहे..
सवाल मुरलीधर राव की आखिर इस चुनाव खासतौर से टिकट चयन में क्या भूमिका होगी.. जो मंत्रियों, विधायक और टिकट के दावेदारों को अभी तक हड़काते रहे.. सवाल हारी हुई 39 सीटों पर क्या उनकी सलाह सुझाव लिए गए.. यह सवाल इसलिए क्योंकि बतौर चुनाव प्रभारी कार्यकर्ता से ज्यादा मुरलीधर ने निजी एजेंसियों पर भरोसा जताया.. जब से अमित शाह के कमान में भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव चिंतन मंथन से आगे फैसले लेने लगे है तब से मुरलीधर का भोपाल से बाहर रहना बढ़ गया है.. जिसमें उनकी नाराजगी की झलक देखने को मिल रही.. वजह उनके गृह प्रवेश तेलंगाना में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव में उनकी कोई भूमिका या मध्य प्रदेश में कम होती उनकी पूछ फर्क फिलहाल समझ से परे है .. चर्चा यह भी है हाई कमान की अपेक्षा के अनुरूप चुनाव प्रभारी मध्य प्रदेश में सत्ता और संगठन के बीच समन्वय नहीं बना पाए थे.. अमित शाह ने मध्य प्रदेश सरकार का रिपोर्ट कार्ड जारी करते वक्त मीडिया की नाराजगी पर अपनी जो जानकारी उस वक्त शेयर की थी.. और बाद में अप्रत्याशित तौर पर मीडिया सहयोगियों से व्यक्तिगत मेल मुलाकात कर डैमेज कंट्रोल किया उसे भी प्रदेश प्रभारी की मीडिया से समन्वय बनाने की नीति को नए सिरे से दुरुस्त करने से जोड़कर देखा जा रहा है.. मुरलीधर के वर्चस्व के चलते भाजपा का प्रदेश मीडिया चुनावी साल में जिम्मेदार लोगों से वह संबंध नहीं बन पाया जो अब तक बना लेना चाहिए था..
जिसके कारण बदलाव भी देखने को मिला..पिछले दिनों ग्वालियर प्रदेश कार्य समिति में बतौर वक्ता मंच से जब ज्यादातर नेता 150 से ज्यादा सीट पर जीत सुनिश्चित करने का दावा कर रहे थे.. तब इसी मंच से अंतिम बार मुरलीधर राव को अबकी बार 200 पर का नारा दोहराते हुए सुना गया था.. इसी मंच से उद्घाटन भाषण में चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव ने 150 से आगे का लक्ष्य तो कैलाश विजयवर्गीय ने 160 और बाद में अमित शाह ने भी 150 से ज्यादा सीटों पर जीत की बात कही थी जबकि मुरलीधर ने आंकड़ा बढ़ा दिया था.. सवाल उस वक्त भी खड़ा हो गया था जब मध्य प्रदेश के चुनाव प्रभारी को पहली पंक्ति से उठकर पीछे की पंक्ति में अपना स्थान सुरक्षित करना पड़ा था.. करीब 2 साल के अभी तक के अपने सीमित कार्यकाल में स्वदेशी आंदोलन से निकले मुरलीधर बदलती है राजनीतिक परिदृश्य समय बदलता बीजेपी की महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुए.. सत्ता और संगठन में बेहतर समन्वय की बात हो या कार्यकर्ताओं से जरूरी संवाद हर मोर्चे पर सवाल खड़े होते रहे.. चर्चा है अंततः हाई कमान को समय रहते हस्तक्षेप करना पड़ा और मुरलीधर को बिना डिस्टर्ब किया अमित शाह ने मध्य प्रदेश में भूपेंद्र और अश्विनी और मीडिया की विशेष एक्सपर्ट टीम के साथ अपनी लाइन आगे बढ़ा दी..
मुरलीधर ने अपने विवादित बयानों से खूब सुर्खियां बटोरी तो भारत की नीति की लाइन पर आगे बढ़ते हुए प्रबंधन के मोर्चे पर भी बड़ी जमावट का लोहा बनवाया.. दक्षिण की आईटी कंपनियों की मध्य प्रदेश में दिलचस्पी में दखलअंदाजी.. हो या फिर सुरक्षा से ज्यादा शान शौकत रूतवे के नाम पर पायलट गाड़ी का शौक.. ब्राह्मण, बनिया के वोट जेब में रखने का दावा करने वाले मुरलीधर मंत्री, विधायक, पदाधिकारी कार्यकर्ता की बैठकों में सोशल मीडिया प्रेम और उत्तरदायित्व से ज्यादा ट्विटर पर फॉलोवर की संख्या के टारगेट की आड़ में टिकट कटवा देने की कड़वी घुट्टी भी खूब पिलाते रहे.. समय के साथ कार्यालय व्यवस्था में बदलाव पर उनके सुझाव आई कार्ड सिस्टम और बैरियर ही नहीं भोजन बैठक विश्राम में भी सख्ती के लिए प्रदेश के इस चुनाव प्रभारी को कार्यकर्ता अभी भी खूब याद करते हैं.. प्रेस कॉन्फ्रेंस पर भोपाल में भले ही पाबंदी के चलते उन्होंने मीडिया से दूरी बनाई लेकिन कथित सलाहकारों की लाइन पर आगे बढ़ते हुए राजधानी से दूर ही सही उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस चर्चा में जरूर रही.. बड़ा सवाल ग्वालियर प्रदेश कार्यसमिति के बाद क्या जन आशीर्वाद यात्रा के आगाज के मौके पर मुरलीधर राव चित्रकूट पहुंचेंगे.. आखिर इस बीच महत्वपूर्ण बैठकों से मुरलीधर दूरी बनाए हुए हैं या उनकी उपयोगिता सवालों के घेरे में आ चुकी है..