भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को मतदान संपन्न होने के बाद इतने आंकड़े और अनुमान सोशल मीडिया पर आ रहे हैं कि सुबह किसी को लगता है उसके जीत के अरमान पूरे हो रहे हैं और शाम तक अरमानों पर पानी फिरता दिखता है। 30 नवंबर की शाम को और भी एग्जिट पोल के नतीजे आएंगे। 3 दिसंबर तक दिन में चैन ना रात की नींद प्रत्याशियों की ऐसी ही हालत है। दरअसल, प्रदेश के इतिहास में विधानसभा 2023 का चुनाव एक अभूतपूर्व चुनाव माना जा रहा है जिसमें भाजपा और कांग्रेस पिछले 5 वर्षों में विपक्ष और सत्ता पक्ष की भूमिका निभाकर चुनाव मैदान में पहुंचे। दोनों ने आकर्षक संकल्प पत्र और वचन पत्र जारी किए।
महिला वोटरों को लुभाने का पूरा प्रयास किया। युवाओं को उम्मीद जगाई। किसानों के कष्ट दूर होने के वादे भी किया। खूब सभाएं हुई, घर-घर जनसंपर्क के माध्यम से दस्तक दी गई। परिणामस्वरूप भारी मतदान करने भी मतदाता घरों से निकले लेकिन जिस तरह से मतदान के बाद सोशल मीडिया पर जीत हार के आंकड़े प्रसारित हो रहे हैं उससे समाधान की बजाय बेचैनी बढ़ रही है क्योंकि अलग-अलग आंकड़े आ रहे हैं विपरीत अनुमान बताए जा रहे हैं।
बहरहाल, प्रदेश में जहां भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी सरकार बनाने के दावे कर रहे हैं। वहीं विधानसभा वार भी प्रत्याशी जीत के दावे ठोक रहे हैं किसी सीट पर दो प्रत्याशी जीत का दावा कर रहे हैं तो कहीं-कहीं तीन और चार प्रत्याशी भी अपनी जीत तय बता रहे हैं। ऐसे में सट्टा बाजार भी रंग बदलता दिखाई दे रहा है। खासकर राजस्थान के फलोदी सट्टा बाजार को लेकर कयास लगने लगे हैं। फलोदी ने पहले कांग्रेस की सरकार बनाने का अनुमान बताया था लेकिन अब वह कांटे की टक्कर बता रहा है।
सूत्र बताते हैं कि फलोदी सट्टा बाजार में मध्यप्रदेश में भाजपा को 110 से 112 सीटें और कांग्रेस को 114 से 116 सीटे मिलने का अनुमान जताया है। फलोदी सट्टा बाजार के पिछले कुछ अनुमान परिणाम से मेल खाए हैं। मसलन फलोदी की सटीकता का आकलन कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणामों से लगाया जा सकता है। फलोदी सट्टा बाजार में कर्नाटक में कांग्रेस को 137 और भाजपा को 55 सीटें दी थी जब परिणाम आया तो कांग्रेस को 136 और भाजपा को 66 सीटे मिली। इसके पहले फलोदी सट्टा बाजार में गुजरात में भी भाजपा की सरकार रिपीट होने का अनुमान लगाया था जो सही साबित हुआ। हिमाचल में कांटे की टक्कर के बीच भी फलोदी बाजार में कांग्रेस की जीत बताई थी और हुआ भी वैसा ही लेकिन पश्चिम बंगाल में फलोदी की भविष्यवाणी सही नहीं निकली थी।
कुल मिलाकर मतदान के बाद से सोशल मीडिया पर जिस तरह से अनुमान और आकलन आ रहे हैं उससे जहां राजनीतिक दलों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, वहीं प्रत्याशियों की नींद उड़ गई है क्योंकि कभी उनको अपने जीत के अरमान पूरे होते हुए दिखाई देते हैं तो कभी अरमानों पर पानी फिरता नजर आता है। अधिकांश प्रत्याशी चुनावी खर्च का हिसाब किताब करने की बजाय मतदान केंद्र के हिसाब से वोटो का गुणा – sssssभाग करने में जुटे हैं उनके समर्थक भी उनकी जीत का दावा कर रहे हैं।