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किंतु, परंतु, यद्यपि, लेकिन, चूंकि 3 दिसंबर तक

भोपाल। नवंबर को प्रदेश में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में मतदाताओं में अपनी चुप्पी भारी मतदान करके तोड़ी जिससे राजनीतिज्ञों के गणित उलझ गए सत्ताधारी दल भाजपा जहां लाडली बहना को भारी मतदान का श्रेय दे रही है वहीं विपक्षी दल कांग्रेस इस बदलाव का और आक्रोश का मतदान बता रहे हैं वही प्रत्याशी अपनी अपनी सीटों पर गुणा भाग में उलझे हुए हैं बहुत कम प्रत्याशी हैं जो अपनी जीत के प्रति निश्चित हैंI

दरअसल विधानसभा चुनाव 2023 के लिए प्रदेश में दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस ने हर हाल में चुनाव जीतने की तैयारी की थी टिकट वितरण में कसरत करने के बाद चुनाव अभियान में भी पूरी ताकत झोकी लेकिन चुनाव प्रचार अभियान के दौरान मतदाताओं की खामोशी ने बेचैन किया हुआ था 17 नवंबर को जैसे ही सुबह से मतदान शुरू हुआ और मतदान केंद्रों पर कतारें लगने लगी तब जाकर राहत की सांस ली गई लेकिन शाम होते-होते भारी मतदान ने एक बार फिर रणनीतिकारों को उलझा दिया है सरकार बनाने के दावे और प्रत्याशियों की हार जीत का गुणा भाग दूर गांव की चौपाल से लेकर सत्ता के गलियारों तक चल रहा है वहीं प्रत्याशी अपने-अपने चुनाव कार्यालय में कार्यकर्ताओं और पोलिंग एजेंट से फीडबैक लेने में जूटे हैI

बहरहाल अधिकांश जो भी राजनीति में थोड़ी भी रुचि रखता है वह अपने विधानसभा क्षेत्र के साथ-साथ आसपास की विधानसभा क्षेत्र या जहां उनके परिचित चुनाव लड़ रहे हैं वहां की जानकारी तो ले ही रहे हैं जहां-जहां दिग्गज प्रत्याशी मैदान में है उनके बारे में भी मित्रों और रिश्तेदारों को फोन लगाकर फीडबैक ले रहे हैं और फिजाओं में जो शब्द गूंज रहे हैं वह यही है जीत रहे हैं किंतु यदि वादे के वोट नहीं दिए तो हर भी सकते हैं परंतु इसका एहसास पहले से था यहां धोखा हो सकता है इसलिए उसका इंतजाम दूसरी जगह से किया था यद्यपि इसकी जरूरत नहीं थी लेकिन हर हाल में जितना था इसलिए वह सब इंतजाम किया जो चुनाव में जरूरी होता है चूंकि वह लगातार बढ़त बनाए हुए था इसलिए आखिरी के दो दिन में 50 पोलिंग पर सभी प्रकार के इंतजाम कर लिए जिससे अब हमारी जीत हो सकती है इसके अलावा भी किसने धोखा दिया किसने साथ दिया इसकी भी चर्चा है कुछ प्रत्याशी संभावित चुनावी हार को देखते हुए बौखलाहट में है और कुछ स्थानों पर लड़ाई झगड़े की भी स्थिति बन गई हैI

इन सब स्थितियों के बीच मध्य प्रदेश के सबसे वरिष्ठ विधायक और लगातार आठ चुनाव जीत चुके गोपाल भार्गव और उनके समर्थक नौवीं जीत के प्रति भी निश्चित है पिछले तीन चुनाव की तरह ही इस बार भी गोपाल भार्गव गांव-गांव प्रचार को नहीं गए और उन्होंने इस बार क्षेत्र में किसी बड़े नेता की सभा भी नहीं कराई पार्टी के रणनीतिकार जब किसी की सभा रहली क्षेत्र में किसी बड़े नेता स्टार प्रचारक की सभा कराने की बात करते थे तो भार्गव यही कह देते थे कि जहां कमजोर सीटों पर जरूरत हो वहां सभाएं करना ठीक रहेगा हमारे यहां जनता चुनाव लड़ रही है इसलिए अभी सभा की जरूरत महसूस नहीं हो रही है जबकि रहली में अपनी व्यवस्थाओं के बावजूद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने रविवार दीपावली के दिन सभा की और यह भी वास्ता दिया कि मैं अपनी दीपावली छोड़कर आपके बीच वोट मांगने आया हूं सागर जिले में ही विभिन्न विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशी अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में बड़े नेताओं की सभा करने की मांग करते रहे और कहीं-कहीं तो तीन या चार सभाएं बड़े नेताओं की हुईI

कुल मिलाकर प्रदेश में भारी घमासान के साथ विधानसभा के चुनाव तो संपन्न हो गए लेकिन 3 दिसंबर तक परिणामों को लेकर प्रयासों के दौर जारी है खासकर अपने क्षेत्र के साथ-साथ दिग्गजों के विधानसभा क्षेत्र के परिणाम जानने को कुछ ज्यादा ही उत्सुकता है।

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