भोपाल। राजनीतिक दलों को जनता का विश्वास हासिल करने के लिए क्या-क्या नहीं करना पड़ता पहले चुनाव के वादों के लिए घोषणा पत्र जारी हुआ करता था बाद में भाजपा ने से संकल्प पत्र कहा वह कांग्रेस ने वचन पत्र के रूप में जारी किया। विधानसभा चुनाव 2023 के पहले कांग्रेस के कार्यकर्ता गंगा जल की बोतलों के साथ कमलनाथ के 11 वचनों का पंपलेट लेकर घर-घर जाएंगे जिससे कि मतदाता को वादों पर पूरा भरोसा हो सके।
दरअसल, राजनीतिक क्षेत्र में विश्वास की कमी इसी कारण आई है की चुनाव के पहले जितनी विनम्रता के साथ नेता आम जनता के सामने पेश होते हैं चुनाव के बाद उतने ही कठोर हो जाते हैं। ऐसा ही चुनावी बातों का हाल होता है। चुनाव के पहले आसमान से तारे तोड़ लाने की बात भी कर सकते हैं लेकिन सत्ता पाने के बाद छोटी-छोटी मांगों के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ता है। धीरे-धीरे नेताओं की बातों से और राजनीतिक दलों की घोषणा पत्र से आमजन का विश्वास घटता गया और हर बार चुनाव के समय विश्वास हासिल करने के लिए नए-नए तरीके राजनीतिक दलों और नेताओं द्वारा अपनाए जाते हैं। सो, राजनीतिक दल घोषणा पत्र का नाम बदलकर जनता के सामने आए भाजपा ने घोषणा पत्र को संकल्प पत्र के नाम से जारी किया कांग्रेस ने वचन पत्र के नाम से जारी किया और कांग्रेस को 2018 में वचन पत्र के नाम पर सफलता भी मिल गई तो इस बार फिर कांग्रेस वचन पत्र जारी कर रही है और कुछ बिंदुओं को कांग्रेस नेता गंगाजल की बोतल के साथ घर-घर ले जा रहे हैं। जिसमें वह गंगा का वास्ता देकर कांग्रेस को वोट देने की अपील करेंगे और सरकार में आने के बाद वह 11 वचन पूरे करेंगे जो इस पम्पलेट ट में लिखे गए हैं।
प्रमुख रूप से महिलाओं को रु. 1500 महीने रु. 500 में गैस सिलेंडर 100 यूनिट बिजली फ्री 200 यूनिट तक हाफ किसानों का कर्ज माफ, पुरानी पेंशन योजना लागू होगी, 5 हॉर्स 5 हॉर्स पावर तक सिंचाई के लिए बिजली फ्री मिलेगी किसानों के बिजली बिल माफ होंगे, ओबीसी को 27% आरक्षण मिलेगा, 72 घंटे सिंचाई के लिए बिजली मिलेगी। जाति का जनगणना कराएंगे और किसानों के मुकदमे वापस लिए जाएंगे। इंदौर ओबीसी प्रकोष्ठ के लोकसभा अध्यक्ष हिमांशु यादव हरिद्वार से गंगाजल की बोतले लेकर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय भोपाल पहुंचे। यहां उन्होंने गंगाजल की बोतल और उन पर लगे 11 वचन के परिचय जारी किए जिन पर कमलनाथ की तस्वीर भी है।
कुल मिलाकर धीरे-धीरे ही सही लोकतंत्र मजबूत हो रहा है और जनता जागरुक हो रही है अब हुआ है। चुनाव के समय किए जाने वाले वादों को कसौटी पर बोलती है। जिसके लिए वह पिछले कार्यकाल की समीक्षा करती है। खासकर चुनाव जीतने के बाद 4 साल किसी राजनीतिक दल या जनप्रतिनिधि का उसके प्रति कैसा व्यवहार रहा है और अब 1 साल या 6 महीने के लिए उसके व्यवहार में जो परिवर्तन आया है। इसका मूल्यांकन करती है इसलिए कई बार हुआ है खामोश रहती है और मतदान केंद्र पर ही अपना निर्णय देती है। शायद इसी कारण उलट फेर वाले परिणाम देखने को मिलते हैं और जनता की यही ताकत है जो चुनाव के पहले ही सही अच्छा-अच्छा को अहम और वहम से दूर कर देती है।