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दिग्गज लौटे: सीएम इन वेटिंग नरोत्तम के भरोसे ‘विन्ध्य’…

भोपाल। जन आशीर्वाद यात्रा के आगाज के साथ मध्य प्रदेश में भाजपा द्वारा अपने पक्ष में चुनावी माहौल बनाने की एक और कोशिश भगवान श्री राम की तपोभूमि चित्रकूट से शुरू की गई है.. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की जगह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस पहली यात्रा को हरी झंडी दिखाई.. जिसे गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा स्थानीय नेता और नेतृत्व के साथ मिलकर अगले कुछ दिन तक नेतृत्व देंगे.. यानि शिवराज सरकार में नंबर दो, सरकार में रहते शिवराज के संकटमोचन.. दिल्ली की सियासत में दखल.. अमित शाह के भरोसेमंद सिपहसलार .. वर्तमान विधानसभा के संसदीय मंत्री और सीएम इन वेटिंग की सूची में शामिल वो नेता जिसकी भाजपा विरोधियों में भी पकड़.. मीडिया फ्रेंडली टीवी पर अपने बयानों से घर-घर चर्चित हो गए दतिया बुंदेलखंड के नरोत्तम जिनकी ग्वालियर चंबल में धमक ..

अब विंध्य क्षेत्र की जिम्मेदारी.. 11 चुनिंदा नेताओं में शामिल पहले है नरोत्तम जिन्हें जन आशीर्वाद यात्रा का चेहरा क्षेत्र में बनाया जा रहा.. चुनाव की दहलीज पर खड़ी भाजपा में नेतृत्व पर अस्पष्टता कहे या सामूहिक नेतृत्व की दरकार अब भाजपा की रणनीति का हिस्सा बन चुकी.. नए नेतृत्व को निखार कर आगे लाने की नई कोशिश लेकिन मंच से बोलने का मौका उन्हें भी नहीं दिया जाता.. जिनके फोटो रथ में चशपा कर दिए गए.. इनमें से अधिकांश चेहरों की चमक गायब.. क्योंकि साख तो उनके प्रभाव वाले क्षेत्र पर दांव पर लग चुकी है.. यह सभी शिवराज के मुख्यमंत्री रहते चर्चित चेहरे बने और सियासी कब इनका काम ज्यादा होता रहा.. पीढ़ी परिवर्तन के दौर में बदलती बीजेपी मैं इन सभी चेहरों को कसौटी पर रखा है.. चित्रकूट से शुरू हुआ जन आशीर्वाद यात्रा का सिलसिला और इस दौरान व्यवस्था के तहत मुख्य अतिथि प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री का ही वक्तव्य शायद नीमच खंडवा मंडल और शिवपुरी में भी देखने को मिले..

मंच से एक दूसरे की तारीफ और विरोधी कांग्रेस से आगे अब गठबंधन इंडिया को कोस कर पहले पार्टी कार्यकर्ता फिर उनके मार्फत स्थानीय मतदाताओं को रिझाना रणनीत नजर आ रही.. राष्ट्रभक्ति, राष्ट्रवाद राष्ट्र प्रेम और सियासत में धर्म का छोंका से भी इनकार नहीं किया सकता.. चित्रकूट के मंच से नड्डा ने शिवराज के नेतृत्व की तारीफ कर उपलब्धियां की याद दिलाई.. राष्ट्रीय नेतृत्व की लाइन और अमित शाह के एजेंडे को आगे बढ़ाया.. मंच से मुख्यमंत्री शिवराज और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त ने भी अपनी सारगर्भित बात रखी.. समय अभाव कहे या फिर सोची समझी दूरगामी रणनीति जो मंच पर मौजूद सीएम इन वेटिंग की दौड़ में शामिल नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतरादित्य सिंधिया, कैलाश विजयवर्गीय तो दूर की बात पहले ही पार्टी की इंटरनल पॉलिटिक्स में अलग-अलग पड़ चुके प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव ही नहीं चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव को भी बोलने का मौका नहीं मिला.. पहले दिन रथ पर नरोत्तम के साथ कैलाश विजयवर्गीय नजर आए..

लेकिन बाद में काफिला आगे बढ़ा तो सतना के सांसद गणेश सिंह के भरोसे.. हाल ही में शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल किए गए राजेंद्र शुक्ला मौजूद जरूर थे लेकिन शायद उन पर फोकस रीवा में प्रवेश करने के साथ बनाया जाएगा.. मौसम की गर्मी पर पार्टी समर्थको, कार्यकर्ताओं का हुजूम और उनका धैर्य उम्मीदों के साथ जरूर भारी पड़ता नजर आया.. सीमित उद्बोधन के दौरान सभागृह से रेस्पॉन्ड और नेताओं का आई कांटेक्ट फिलहाल पार्टी में जोश भरने के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं.. प्रबंधन के मोर्चे पर भाजपा अपनी पीठ थपथपा सकती है.. चित्रकूट जहां से यात्रा का आगाज यह वह सीट है जहां पार्टी ने पिछली हार की चुनौती को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया और कार्यक्रम के पहले और उसके बाद तक कहीं से भी विरोध के स्वर नहीं सुनाई दिए.. अलबत्ता स्थानीय नेतृत्व संयुक्त तौर पर मंच और उसके सामने मौजूद नजर आया.. इसे भाजपा का डैमेज कंट्रोल कहे.. या राष्ट्रीय नेतृत्व की धमक..

या फिर शिव विष्णु पर बरकरार भरोसा.. पहला दिन भाजपा के लिए संतोष भरा माना जा सकता.. लेकिन यहीं से नई चुनौती भी शुरू हो जाती.. क्योंकि राष्ट्रीय ही नहीं प्रदेश नेतृत्व भी अब यात्रा से गायब रहेगा.. चाहे वह यात्रा के अगले दिनों के लिए हो या फिर चुनाव जीतने के लिए.. कार्यक्रम स्थल आदिवासी बहुल क्षेत्र लेकिन मंच पर मौजूद फगन सिंह नहीं बोल पाए.. पहले दिन ही यात्रा जिस रैगांव क्षेत्र से निकली.. वहां कुछ महीने पहले ही भाजपा उप चुनाव हार चुकी है.. यही नहीं बीजेपी के लिए प्रतिष्ठित परिवार रहा बागड़ी परिवार और उसके अधिकांश सदस्य का पार्टी से मोह भंग ही नहीं हुआ.. बल्कि उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया.. मैहर धार्मिक स्थल यात्रा का पड़ाव जहां भाजपा के ही विधायक नारायण त्रिपाठी के बगावती तेवर पिछले 5 साल में खूब देखने को मिले.. कभी कमलनाथ के नजदीक तो कभी शिवराज को चिट्ठी.. कभी विष्णु दत्त की भाजपा को चुनौती तो कभी नई पार्टी का राग .. और पृथक विंध्य प्रदेश की मांग की आड़ में.. नारायण भाजपा के लिए सर दर्द बढाते रहे.. संसदीय क्षेत्र के सांसद ओबीसी खासतौर से कुर्मी समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले गणेश सिंह के समर्थकों की क्षेत्र में भरमार, जिन्हें मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने का इंतजार तो उनके विरोधियों की भी पार्टी में कमी नहीं..

यात्रा के लिए विरोधियों से ज्यादा पार्टी के अंदर से समस्या से इनकार नहीं किया जा सकता.. क्योंकि स्थानीय नेतृत्व की अनदेखी उनके समर्थकों को निराश कर सकती.. इन्हें राष्ट्रीय नेतृत्व और प्रदेश के 11 चेहरे ही दिखाई जा रहे.. विंध्य वह क्षेत्र है जहां भाजपा शिखर पर है.. क्योंकि पिछले चुनाव में कांग्रेस को मात देकर भगवाधारियों ने यहां निर्णायक बढ़त ली थी.. लेकिन शिवराज मंत्रिमंडल का कोई हिस्सा नहीं बन पाया था.. विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को जरूर प्रतिष्ठा से नवाजा गया.. अब पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल को मंत्रिमंडल में शामिल कर उनके भरोसे भाजपा जातीय समीकरण दुरुस्त करने में जुटी है.. ऐसे में भाजपा के लिए बड़ी चुनौती अपनी सीटों को बचाना.. देखना दिलचस्प होगा जन आशीर्वाद यात्रा माहौल बनाती है.. सोशल इंजीनियरिंग मजबूत होती है या फिर गुस्सा निराशा बिखराव के साथ भितरघात की आशंका को बढ़ावा देती…

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