भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 के लिए दोनों में दिन प्रतिदिन दिल्ली का दखल बढ़ता जा रहा है। प्रदेश से फीडबैक के आधार पर पार्टी हाई कमान निर्णय ले रहा है और जिस तरह से कई बार पैटर्न बदलकर क्वेश्चन पेपर आता है ठीक उसी तरह इस बार पैटर्न बदलकर चुनाव लड़ा जा रहा है।
दरअसल, भाजपा और कांग्रेस हर हाल में प्रदेश में सरकार बनाने के लिए जोड़-जोड़ कर रहे हैं। अभी तक प्रदेश नेतृत्व अपनी रणनीति के अनुसार चुनाव लड़ता आया है लेकिन 2018 की विधानसभा चुनाव परिणाम से सबक लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व बहुत पहले से सतर्क और सावधान है और छोटी-छोटी बारीकियां पर भी नजर रख रहा है और बड़े-बड़े निर्णय भी ले रहा है दोनों ही दलों के ऑब्जर्वर लगातार फीडबैक ले रहे हैं और उसी के रणनीति पर राष्ट्रीय नेतृत्व चौकाने वाले निर्णय भी ले रहा है।
बहरहाल, प्रदेश में भले ही अभी आचार संहिता ना लगी हो लेकिन प्रत्याशियों को लेकर चर्चा अच्छी खासी बन गई है। खासकर भाजपा ने जिस तरह से पहली सूची अचानक से जारी करके और दूसरी सूची में 7 सांसदों जिसमें तीन केंद्रीय मंत्री एक राष्ट्रीय महासचिव को टिकट देकर चौकाया है उसके बाद भाजपा और कांग्रेस में बयानों के तीर चल रहे हैं।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि पार्टी ने 100 दिन पहले 39 प्रत्याशियों की सूची जारी कर ऐतिहासिक निर्णय लिया था और अब पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में 39 नए प्रत्याशियों की घोषणा की है। अभी तक 78 प्रश्न प्रत्याशियों की घोषणा हो चुकी है। यह पार्टी नेतृत्व का बिल पावर है कॉन्फिडेंस है जिन्होंने हमारे इतने प्रत्याशियों को घोषित कर चुनावी मैदान में उतार दिया है। यह भाजपा की बढ़त है और सभी प्रत्याशी चुनाव जीतकर आने वाले हैं केंद्रीय मंत्री जिन्हें प्रत्याशी बनाया गया है। वे अपने अधिक मेहनत परिश्रम से पार्टी को यहां तक पहुंचा है। वह अनुभव नेत्र ताजमहल निश्चित रूप से पार्टी प्रचंड बहुमत से सरकार बनाएगी। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने ट्वीट किया था कि एमपी में हार स्वीकार कर चुकी भाजपा ने उम्मीद का आखिरी झूठा तव खेल है। उन्होंने एक दूसरे ट्वीट में कहा कि भाजपा की दूसरी लिस्ट पर एक ही बात फिट है कि नाम बड़े और दर्शन छोटे भाजपा ने मध्यप्रदेश में अपने सांसदों को विधानसभा की टिकट देकर साबित कर दिया है कि भाजपा ना तो 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत रही है और ना 2024 के लोकसभा चुनाव में इसका सीधा अर्थ ही हुआ कि वह यह मान चुकी है कि एक पार्टी के रूप में तो वह इतना बदनाम हो चुकी है कि चुनाव नहीं जीत रही तो फिर क्यों ना पटक तक बड़े नाम पर ही दाव लगाकर देखा जाए।
कुल मिलाकर एक तरफ जहां भाजपा की सूचिया पर भाजपा और कांग्रेस के बीच बहस चल पड़ी है वहीं दूसरी ओर भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा का समापन हो चुका है और कांग्रेस की जन आक्रोश यात्रा प्रदेश में चल रही है। विधानसभा चुनाव के लिए आईसीसी ने राष्ट्रीय प्रवक्ताओं की ड्यूटी लगा दी है जिनमें डॉक्टर रागिनी नायक और अमरीश रंजन पांडे भोपाल और जबलपुर में आलोक शर्मा और चंद्रेश वर्मा वही इंदौर में चरण सिंह सापरा और हर्ष चौधरी तथा ग्वालियर में सुरेंद्र सिंह राजपूत और अणुमा आचार्य को जिम्मेदारी सौंप गई है। भाजपा और कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व जिस तरह से प्रदेश के चुनाव पर नजर लगाए हुए हैं और जहां कमी नजर आ रही है उसकी भरपाई कर रहा है इसके कारण प्रदेश का चुनाव दिन प्रतिदिन रोचक होता जा रहा है।