भोपाल। देश के साथ-साथ प्रदेश में भी लोकसभा चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है। मकर संक्रांति के पूर्व जनप्रतिनिधियों द्वारा सफाई और स्वच्छता का संदेश भी दिया गया है जिस तरह से 22 जनवरी के लिए उत्सवी माहौल बनता जा रहा है उससे लोकसभा चुनाव में मुद्दों का भी नयापन देखा जा सकता है। दरअसल, प्रदेश में पांच राज्यों के साथ विधानसभा के चुनाव संपन्न हुए और हार जीत की समीक्षा भी चल ही रही है कि लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। निर्वाचन आयोग के निर्देश पर जरा मतदाता सूची में नाम जोड़ने का अभियान चल रहा है। वहीं राजनीतिक दल मुद्दों को धार देने और बेहतर प्रत्याशियों की तलाश में जुट गए हैं। लोकसभा स्तर पर जमावट की जा रही है। प्रभारी की नियुक्तियां की गई हैं और अभी से सौपे गए लोकसभा क्षेत्र में दौरे करने के लिए कहा गया है।
बहरहाल, प्रदेश में 29 में से 28 लोकसभा क्षेत्र पर भाजपा का कब्जा है और इस चुनाव में वह सभी 29 सीटें जीतने की रणनीति बना रही है। भाजपा के पास इस समय आकर्षक मुद्दे हैं और प्रदेश और देश में भाजपा की सरकार है । पार्टी को प्रत्याशियों की दृष्टि से जमावट करना है। 7 सांसद विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। जिसमें पांच जीत गए हैं उनके स्थान पर नए प्रत्याशी तलाशे जाने हैं और कुछ सीटों पर प्रत्याशी बदले भी जाना है। इस कारण पार्टी संगठन स्तर पर आकलन करवा रही है।
वहीं विपक्षी दल कांग्रेस के पास अधिकांश सीटों पर विधानसभा चुनाव के हारे हुए प्रत्याशी ही दमदार नजर आ रहे हैं। प्रदेश प्रभारियों की पिछले दिनों दिल्ली में बैठक हुई उसमें भी मजबूत प्रत्याशी तलाश करने को कहा गया है चाहे वर्तमान विधायक को चुनाव लड़ना पड़े या हारे हुए प्रत्याशी को लड़ना पड़े इसके लिए अभी से लोकसभा क्षेत्र के बनाए गए प्रभारी अपने-अपने लोकसभा क्षेत्र में जाएंगे और बेहतर प्रत्याशी की रिपोर्ट पार्टी हाईकमान को सौंपेंगे और उन तीन नाम पर पार्टी सर्वे भी करावेगी। पार्टी के रणनीतिकार ऐसे प्रत्याशियों की तलाश कर रहे हैं जो भाजपा के हिंदुत्व के उभार से मुकाबला कर सके।
कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव की तैयारी का भी उत्तरायण हो चुका है। इस बार के चुनाव पिछले चुनाव की अपेक्षा कई मायनो में अलग होंगे राष्ट्रीय मुद्दों और राष्ट्रीय नेतृत्व पर जहां भाजपा का फोकस रहेगा वहीं कांग्रेस स्थानीय मुद्दों के सहारे लोकसभा का चुनाव लड़ेगी।