भोपाल। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव के चरण बढ़ते जा रहे हैं वैसे-वैसे राजनीतिक दलों पर दबाव बढ़ता जा रहा है इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ाना भी चुनौती बन गया है क्योंकि कम मतदान का क्या असर होगा निश्चित तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता इस कारण अपने-अपने पक्ष का मतदान बढ़ाने का टारगेट दिया गया है।
दरअसल प्रदेश में प्रथम चरण और द्वितीय चरण में 2019 की अपेक्षा का मतदान के कारण तीसर और चौथे चरण में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए राजनीतिक दलों पर दबाव बढ़ गया है भाजपा के सबसे बड़े रणनीतिकार और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हाल ही में राजधानी आए और प्रदेश के जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों से स्पष्ट तौर पर मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए गए हैं कहा तो यहां तक जा रहा है की मंत्रियों और विधायकों का परफॉर्मेंस भी मतदान प्रतिशत तय करेगा।
तीसरे चरण में 10 मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्र आएंगे और चौथे चरण में 8 मंत्रियों को विधानसभा क्षेत्र में मतदान प्रतिशत बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है। बहरहाल राजनीतिक दल ही नहीं चुनाव आयोग भी कम मतदान से चिंतित हो गया है क्योंकि दूसरे चरण में वोटिंग बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग ने भी बहुत प्रयास किए थे लेकिन 2019 में मतदान का प्रतिशत 67% था जो की घाट का 58% पर आ गया है भाजपा ने घटते मतदान प्रतिशत को गंभीरता से लिया है।
भाजपा के अधिकांश नेताओं ने घटते मतदान के लिए कांग्रेस की निष्क्रियता शादी विवाह का सीजन और बढ़ते तापमान को बड़ा कारण बताया है लेकिन अब शादी ब्याह का सीजन भी समाप्त हो गया है और कांग्रेस में सक्रियता भी बढ़ा दी है क्योंकि कम मतदान से उसकी उम्मीदें बढ़ रही है ऐसे में अब तीसरे और चौथे चरण में कोई बहाना भी नहीं चलेगा हर हाल में भाजपा के मंत्रियों और विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में मतदान प्रतिशत बढ़ाना ही होगा।
तीसरे चरण के मतदान के लिए प्रदेश में राष्ट्रीय नेताओं की सभाएं भी हो रही है राहुल गांधी आज जहां भिंड में रहेंगे वही 2 मई को प्रियंका गांधी मुरैना में और जगत प्रकाश नड्डा 2 में को सागर में समय करेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुरैना और खरगोन में सभाये होने जा रही है। कुल मिलाकर मतदान प्रतिशत बढ़ाना
नया टारगेट राजनीतिक दलों के सामने है चुनाव आयोग भी इस दिशा में प्रयास कर रहा है जिस तरह से पहले और दूसरे चरण में कम मतदान हुआ है उससे तीसरे और चौथे चरण में अधिकतम मतदान करने के लिए भाजपा की तरफ से जहां सत्ता और संगठन के प्रयास तेज हो गए हैं वही कांग्रेस में भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। बूथ स्तर से लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व तक मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चिंतित है लेकिन मतदाता अपने मताधिकार के उपयोग के लिए कब चिंतित होगा यह भी चिंता का विषय है।