भोपाल। एक बार फिर चुनाव के दौरान कांग्रेस को संगठन में कसावट की कमी का एहसास हो गया है और मतदान से ज्यादा उसे मतगणना की चिंता है। शायद इसी कारण लोकसभा चुनाव के बाद पहली बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने प्रत्याशियों से चर्चा करने के बाद निष्कर्ष निकला है कि कांग्रेस को संगठन में और भी कसावट लाने की जरूरत है। इसके लिए भले ही भाजपा की तर्ज पर संगठन महामंत्री मंत्री नियुक्त करना पड़े।
दरअसल, कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में लोकसभा क्षेत्र के सभी प्रत्याशियों और वरिष्ठ नेताओं की बड़ी बैठक बुलाई। जिसमें पहले नेताओं से सुझाव लिए गए और बाद में निष्कर्ष लिए गए प्रत्याशियों ने जहां मतगणना में गड़बड़ी की आशंका जताई वहां पार्टी ने तय किया है, जहां जरूरत होगी, जहां जीत रहे हैं। वहां एक दिन पहले से प्रदेश से बड़े नेता मॉनिटरिंग के लिए जाएंगे।
कुछ प्रत्याशियों ने यह भी बताया कि उनके क्षेत्र में संगठन ने कोई मदद नहीं की हम अपनी दम पर चुनाव लड़े। इस पर पार्टी ने सुझाव निकला की संगठन में नए सिरे से कसावट के लिए प्रयास किए जाएंगे प्रदेश भर में मंथन अभियान चलेगा इसके बाद फीडबैक के आधार पर संगठन पर बदलाव किया जाएगा। सबसे बड़ा बदलाव भाजपा की तर्ज पर अब जिला स्तर पर संगठन महामंत्री नियुक्त होंगे। जिले का यह सबसे महत्वपूर्ण पद रहेगा। संगठन महामंत्री की सहमति से ही जिले के सभी निर्णय लिए जाएंगे। पार्टी में इसको लेकर सहमति बन चुकी है।
स्थानीय स्तर पर गुटबाजी से ऊपर संगठन महामंत्री कम करें इसके लिए जिले के बाहर की ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति की जाएगी जो व्यक्ति की बजाय पार्टी को सर्व परिमाण कर पूरी निष्ठा से कम करें। इसके अलावा प्रदेश के प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में प्रभारी नियुक्त होंगे 29 प्रभारी की नियुक्ति प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं में से की जाएगी इसके साथ ही जिला स्तर पर एक कोर ग्रुप गठित किया जाएगा। यह कोर ग्रुप जिला प्रभारी की अनुशंसा पर बनेगा पार्टी संगठन महामंत्री नियुक्त करने के बाद और ग्रुप गठन करके इन सबके सुझावों के आधार पर जब पार्टी का प्रदेश स्तरीय अधिवेशन आयोजित किया जाएगा तो इन सुझावों पर तेजी से अमल किया जाएगा।
बैठक के दौरान जिस तरह के अनुभव प्रत्याशियों ने सुनाएं उसके आधार पर पार्टी ने यह निर्णय लिए हैं पार्टी ऐसे नेताओं को भी चिन्हित कर रही है की जो भाषण तो अच्छा देते हैं लेकिन वह अपने बूथ पर ही पार्टी को नहीं जिता पाते ऐसे नेताओं को सोच समझकर पद देना चाहिए अधिकांश का सुझाव था कि जो लोग चुनाव के समय पार्टी छोड़कर गए हैं उन्हें अब वापस न दिया जाए इस दौरान कुछ अच्छे अनुभव भी प्रत्याशियों ने साझा किया। मसलन सीधी से कांग्रेस प्रत्याशी कमलेश्वर पटेल ने कहा कि मेरे चुनाव का प्रबंध अजय सिंह ने संभाला हम चुनाव जीत रहे हैं क्योंकि सभी का सहयोग रहा। भोपाल के प्रत्याशी अरुण श्रीवास्तव का कहना था कि इस बार सब ने मिलकर चुनाव लड़ा सबका सहयोग रहा इस कारण पार्टी पूरे प्रदेश में अच्छे से चुनाव लड़ पाई।
कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव के अनुभव के आधार पर पार्टी ने कुछ निर्णय लिए हैं जिससे संगठन में कसावट लाई जा सके वैसे ऐसे निर्णय पहले भी कई बार लिए जा चुके हैं लेकिन उन पर जमीन स्तर पर अमल नहीं हो पा रहा है। इस बार पार्टी ने जमीनी स्तर पर इन निर्णय को उतारने का फैसला लिया है यह समय बताएगा कि पार्टी अपने ही निर्णय पर कितना अमन कर पाती है फिलहाल पार्टी की सबसे बड़ी चिंता 4 जून को होने वाली मतगणना को लेकर है पार्टी नेता लगभग 10 सीटों को जीतने का दावा कर रहे हैं इस कारण मतगणना को लेकर कुछ ज्यादा ही कांग्रेस चिंतित नजर आ रही है।