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लड़ाने वाले खुद लड़ रहे खंदक की लड़ाई

भोपाल। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहते दिग्विजय सिंह कमलनाथ और कांतिलाल भूरिया कभी पूरे प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में सभी सीटों पर प्रत्याशियों को लड़ाते थे वक्त का तकाजा है कि इस समय दोनों नेता अपने-अपने क्षेत्र में खंदक की लड़ाई लड़ रहे हैं।

दरअसल पूरे देश के साथ-साथ प्रदेश में भी कांग्रेस एक ऐसे संकट के दौर से गुजर रही है जब उसके नेता एक-एक करके पार्टी छोड़कर जा रहे हैं प्रदेश कांग्रेस की कमान युवा प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार संभाल रहे हैं पिछले तीन दशक से दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की जोड़ी प्रायः विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में जमावट करने और उम्मीदवारों को चुनाव लड़वाने का काम देखते थे लेकिन इस समय दिग्विजय सिंह जहां राजगढ़ लोकसभा सीट पर पसीना बहा रहे हैं वही कमलनाथ छिंदवाड़ा में अपने पुत्र नकुलनाथ के लिए दिन-रात एक कर रहे हैं

इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया रतलाम झाबुआ सीट पर कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं उनके पुत्र विक्रांत भूरिया ने युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते समय स्पष्ट तौर पर लिखा है इस समय भी अपने पिता कांतिलाल भूरिया के चुनाव क्षेत्र में समय देंगे इस कारण वह युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहे हैं समझा जा सकता है की कांतिलाल भूरिया कितनी कठिन लड़ाई लड़ रहे हैं जिसके लिए उनके पुत्र को युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद से इस्तीफा देना पड़ा। पार्टी ने भी उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए उनकी जगह ग्वालियर के युवा नेता मितेंद्र सिंह को युवक कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया।

बहरहाल प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ इस समय प्रतिष्ठा की लड़ाई लड़ रहे हैं पहली बार दोनों नेता अपने-अपने क्षेत्र में मतदाताओं से जाने अनजाने हुई किसी भी प्रकार की गलती के लिए माफी भी मांग रहे हैं दिग्विजय सिंह ने पदयात्रा के माध्यम से अपना चुनावी अभियान आगे बढ़ाया उनके साथ उनके परिवार के सदस्य भी गांव गांव में घूम रहे हैं इसी तरह छिंदवाड़ा सीट कमलनाथ की परंपरागत सीट मानी जाती है जहां केवल एक बार छोड़कर कभी भी कमलनाथ को पराजय का सामना नहीं करना पड़ा

लेकिन इस बार भाजपा ने जिस तरह से कमलनाथ की घेराबंदी की है उससे कमलनाथ अपने पुत्र कांग्रेस प्रत्याशी नकुलनाथ को जीतने के लिए न केवल अंतिम सांस तक छिंदवाड़ा की सेवा करने की दुहाई दे रहे हैं वरन पूरी जवानी छिंदवाड़ा को समर्पित कर देने की बात भी कर रहे हैं और बीच-बीच में किसी भी प्रकार की कोई गलती के लिए मतदाताओं से क्षमा याचना भी कर रहे हैं।

कुल मिलाकर भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से सभी 29 सीटों को जीतने का माहौल बनाया है जमीनी जमत की है उसके चलते कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को अपने जीवन की अधिकतम मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है जो नेता पूरे प्रदेश में प्रत्याशियों को लड़ते थे अब वे केवल अपने-अपने क्षेत्र तक सीमित हो गए हैं यहां तक की अब तक अपने समर्थकों के लिए भी समय नहीं दे पा रहे हैं जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं दिग्गजों के क्षेत्र में बाहरी नेताओं की दस्तक भी बढ़ गई है और यह चुनाव इन नेताओं के लिए किसी खंदक की लड़ाई से काम नहीं।

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