सीबीआई ने चार्जशीट सौंपी है एक आरोपी के खिलाफ उसके अलावा अभी तक कोई सबूत नहीं है। मगर आंदोलन को और तेज और लंबा किया जा रहा है। बुधवार को बंगाल बंद है, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग को लेकर। उससे पहले मंगलवार के प्रदर्शन में किस तरह पत्थर फेंके गए, पुलिस वाले घायल हुए। उसके बावजूद बुधवार को बंद का काल दिया गया, खुद भाजपा द्वारा। देश में कहीं और आंदोलन हो तो प्रधानमंत्री कहते हैं आन्दोलनजीवी। परजीवी। अरबन नक्सल। किसानों को कहा गया आतंकवादी, खालिस्तानी, मवाली देश को पूरा बेवकूफ समझ रखा है।
बंगाल में बीजेपी निर्भया प्रयोग दोहरा रही है। जैसे दिल्ली में निर्भया बलात्कार में आरोपी गिरफ्तार होने के बाद भी बीजेपी और उसके उस समय के मुखौटे अन्ना हजारे आन्दोलन चलाते रहे और पहले दिल्ली की राज्य सरकार और फिर केन्द्र सरकार को जाना पड़ा वैसे ही वह अब एक और बलात्कार के जरिए पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को गिराना चाहते हैं।
कोलकाता में भी आरोपी गिरफ्तार हो गया है। और भाजपा की केन्द्र सरकार जिस सीबीआई से जांच चाहती थी उसने अपनी जांच के बाद आरोप पत्र पेश करते हुए साफ कहा है कि यह गेंग रेप नहीं था। मगर इसके बाद भी मीडिया में झूठे गेंग रेप के आरोपियों के नाम चलाए जा रहे हैं। मीडिया और भाजपा समर्थकों को मालूम है कि रेप करने वाले यह यह थे। मगर सीबाआई को नहीं मालूम। अगर ऐसा झूठ किसी भाजपा शासित राज्य में कोई कहता तो यह मीडिया तूफान मचा देता।
बलात्कार पर राजनीति सबसे गंदी बात है। और यह शुरू की अन्ना हजारे उनके दाएं बाएं जुटे बहुत सारे चर्चित नाम और उनके पीछे छुपे संघ और भाजपा ने। निर्भया बलात्कार के बाद सारे आरोपी गिरफ्तार हुए। निर्भया को बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया। उसके परिवार को सुरक्षा और हर तरह की सहायता दी। बाद में पता चला और तब जब निर्भया के भाई ने खुद बताया कि उस पायलट राहुल गांधी ने पायलट बनवाया। चुपचाप सारी व्यवस्थाएं कीं।
मगर इन सबके बावजूद केन्द्र और दिल्ली की राज्य सरकार के खिलाफ आन्दोलन चलता रहा। इंडिया गेट पर जाकर मोमबत्ती जलाते थे। पुलिस वालों को ठुल्ला बोलकर उनके साथ धक्का मुक्की करते थे। यूपीए की सरकार ने सख्त आदेश दे रखे थे कि पुलिस सयंम रखे। गृह राज्य मंत्री की ड्यूटि लगाई कि वह रात को बस में चले और महिला सुरक्षा के इंतजाम देखे।
मीडिया में अगर जरा सी भी ईमानदारी है तो वह बताए कि क्या निर्भया के बाद कार्रवाई करने में सरकार ने कोई चूक की? कांग्रेस की सरकार थी दोनों जगह केन्द्र और दिल्ली राज्य में क्या कोई भी राजनीति की? मीडिया में अगर ईमानदारी बची भी है तो हिम्मत नहीं है।
उस समय के सच को कोई स्वीकार नहीं करता है। अन्ना हजारे कहां भागे यह तक कोई नहीं पूछता है। उनके साथ वालों में किसी में हिम्मत नहीं है कि वह उस समय के नकली आन्दोलन के लिए माफी मांग ले। एक विनोद राय सीएजी की माफी जरूर हमने देखी थी। जो उन्हें कोर्ट में मांगना पड़ी कि उन्होंने 2 जी में गलत आरोप लगाए थे। उनके पास कोई सबूत नहीं थे।
कोलकाता का मामला भी ठीक बिल्कुल वैसा ही है। जो सीबीआई ने चार्जशीट सौंपी है एक आरोपी के खिलाफ उसके अलावा अभी तक कोई सबूत नहीं है। मगर आंदोलन को और तेज और लंबा किया जा रहा है। बुधवार को बंगाल बंद है, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग को लेकर। उससे पहले मंगलवार के प्रदर्शन में किस तरह पत्थर फेंके गए। पुलिस वाले घायल हुए। उसके बावजूद बुधवार को बंद का काल दिया गया, खुद भाजपा द्वारा। देश में कहीं और आंदोलन हो तो प्रधानमंत्री कहते हैं आन्दोलनजीवी। परजीवी। अरबन नक्सल। किसानों को कहा गया आतंकवादी, खालिस्तानी, मवाली।
देश को पूरा बेवकूफ समझ रखा है। सोचते हैं जो कहेंगे मान लेगा। लेकिन हर चीज की एक सीमा होती है। लोगों की सहज बुद्धि को कामन सेंस को आप हमेशा के लिए दबा कर नहीं रख सकते। अभी के लोकसभा चुनाव ने यह बता दिया। मोदी जी ने वही सारी कोशिशें की। आपकी भेंस उठा कर ले जाएंगे, मंगल सूत्र छीन लेंगे!
बिल्कुल वैसा ही जैसे शोले में धर्मेंन्द्र कहत है आंधी आएगी, तूफान आएगा, भूखमरी आएगी, सूखा आएगा और भी पता नहीं क्या क्या! वैसे ही मोदी जी ने क्या क्या कहा किसीके लिए भी याद करने बहुत मुश्किल है।
हां, मगर जैसे धर्मेंन्द्र इंसान के रूप में नहीं उपर से कोई आकाशवाणी हो यह बता रहा था वैसे ही हमारे प्रधानमंत्री ने कह दिया कि मैं तुम लोगों की तरह जन्मा या नष्ट होने वाला नहीं हूं। मैं नान बाययलोजिकल हूं। मतलब जिस तरह तुम सब लोग मां के गर्भ से जन्म लेते हो वैसा मैंने नहीं लिया। अवतार हूं मैं।
मगर जनता ने क्या किया? जमीन पर उतार दिया। बहुत ऊपर जा रहे थे। चार सौ पार। नीचे 240 पर लाकर पटक दिया। साधारण बहुमत से भी कम। अब रात दिन जेडीयू, चन्द्र बाबू नायडू, चिराग पासवान, जितनराम मांझी, जयंत चौधरी की तरफ देखना पड़ता है। एक के बाद एक फैसले वापस ले रहे हैं। अभी वक्फ बिल पर जेडीयू ने कह दिया कि हम जेपीसी में मुसलमानों की चिंताओं की बात उठाएंगे। चिराग पासवान पहले ही कह चुके हैं।
बिहार में चुनाव होने वाले हैं। अगले साल तो निर्धारित हैं। मगर जैसे तेवर जेडीयू दिखा रहा है उससे लगता है समय पूर्व भी हो सकते हैं। चिराग पासवान पूरी तरह अपने पिता रामविलास पासवान के पदचिन्हों पर चल रहे हैं। लोकसभा में उन्हें लगा कि भाजपा के साथ जाने में फायदा है तो गए। फायदा मिला भी। मगर अब विधानसभा में तेजस्वी का झंडा ज्यादा फहराता हुआ दिख रहा है। तो क्या नीतीश बाबू और क्या चिराग किसी को उनके साथ आने में कोई परेशानी नहीं है।
राजनीति तो इकबाल की होती है। अब वक्फ बिल, ब्राडकास्ट बिल, लैटरल एंट्री और उसके पहले बजट में मीडिल क्लास के मकान बेचने पर लगाया कैपिटल गैन टैक्स वापस लेने के बाद मोदी जी का इकबाल ही खतम हो गया है।
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि घरेलू मोर्चें पर पिटने के बाद मोदी अब विदेशी मामलों के जरिए अपनी छवि फिर चमकाना चाहते हैं। रूस युक्रेन के दौरे। बाइडन पुतिन से फोन पर बात का हेडलाइन मैनेजमेंट किया जा रहा है। मगर अन्तराष्ट्रीय मीडिया और विदेशी राजनयिकों को तो छोड़ दीजिए भारत के विदेशी मामलों के जानकार प्रधानमंत्री के युक्रेन दौरे पर सवाल उठा रहे हैं।
वे पूछ रहे हैं कि प्रधानमंत्री को युक्रेन जाने की जरूरत क्या थी? वहां सवाल तो मोदीजी से पूछा मगर आंच भारत की प्रतिष्ठा को पहुंची। भारत की मध्यस्थता के प्रस्ताव को ठुकराते हुए जेलेन्स्की ने कहा कि आप को जो करना चाहिए था, रुस से तेल खरीदना बंद वह तो आपने किया नहीं।
भारत बड़ा देश है। लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता वाला। नेहरू की गुट निरपेक्ष नीति वाला। इस लिहाज से उसका बड़ा सम्मान है। मगर मोदी जी यह समझे कि उनका दबदबा है। अन्तरराष्ट्रीय मामलों में यहां की मीडिया और भाजपा नेताओं भक्तों के झूठ की तरह नहीं चलता। यहां तो एक विज्ञापन बनाकर चलवा दिया कि पापा मोदी जी वार ने रूकवा दी। लोग समझे लड़की ने वास्तव में आकर कहा है। और समझें क्यों ना रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने कहा। और खुद प्रधानमंत्री ने कहा कि रुस युक्रेन युद्ध में केवल एक पासपोर्ट भारतीय चल रहा था।
मजबूर होकर विदेशों में इमेज बचाने के लिए भारत के विदेश विभाग को कहना पड़ा कि ऐसा कुछ नहीं था। यहां तक कहा कि अगर हम थोड़ी देर के लिए वार रुकवा सकते तो पूरी तरह नहीं रुकवा देते! दूसरे देशों के मामले में झूठ बोलने से देश की विश्वसनीयता खराब होती है।
मगर फिर विश्व गुरु होने की अपनी इमेज देश में दिखाने के लिए रुस अमेरिका के राष्ट्रपतियों से फोन पर यह कहा वह कहा बताने लगे। वे लोग यह भी नहीं कह रहे कि बात हुई। हम ही बताए जा रहे हैं।
नेता घरेलू मोर्चा मजबूत होने से चमकता है। मगर यहां इकबाल लगातार गिरता जा रहा है। इसलिए उन्हें ममता बनर्जी का विकेट चाहिए। विपक्ष को समझना चाहिए कि अगर वह गिरा तो मोदी जी खेल में फिर वापसी कर जाएंगे।