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प्रदेश में जीतू अब बने पटवारी से चीफ…

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भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी को आधी अधूरी ही सही दस महीने बाद अंततः 177 सदस्यीय टीम मिल ही गई। टीम पटवारी में अभी सचिवों की नियुक्ति होना है। इस हिसाब से अनुमान है कि करीब 50 नेताओं को और एडजेस्ट किया जा सकेगा। कुछ नेताओं की पैराशूट लेंडिंग  हुई है और 25 ऐसे पदाधिकारी भी हैं जो विधायक होने के साथ संगठन के पदों का रसपान कर सकेंगे। इधर भाजपा में भी संगठन चुनाव की तैयारियों का जोर शुरू हो गया है। जल्द ही राष्ट्रीय स्तर से लेकर प्रदेश भाजपा को चुनाव होने तक कार्यकारी अध्यक्ष मिल सकते हैं।

कुछ आसमानी सुल्तानी नही हुआ तो पीएससी चीफ के रूप में जीतू पटवारी 2028 तक संगठन के सर्वेसर्वा बने रहेंगे। कुल मिलाकर विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव का काम पीसीसी चीफ पटवारी ही करेंगे। इसके बाद अलबत्ता जयवर्धन सिंह, नकुलनाथ से लेकर उमंग सिंघार, हेमंत कटारे, कमलेश्वर पटेल, राजकुमार पटेल, कुणाल चौधरी,जैसे नेताओं को मौका मिलने की चर्चाएं चलेंगी। हालांकि अभी तो ये बहुत दूर की बात है । कई नेताओं के नाम कटेंगे- जुड़ेंगे। इस बार पूर्व पीसीसी चीफ कमलनाथ की एक हजार पदाधिकारी की तुलना में टीम पटवारी बहुत छोटी है।

इसमे कहा जा रहा है कि  ऐसे नेताओं को दूर रखने की कोशिश थी विधायक या सांसद हैं। कुल मिलाकर एक व्यक्ति एक पद। विधायक हैं तो फिर प्रदेश संगठन का काम जिले में अच्छा काम करने वाले नेताओं को दिया जाए। मगर 25 शक्तिशाली विधायक पटवारी के इस फार्मूले को तोड़कर पद पाने में सफल हो ही गए। पटवारी की सोच यह बताई जाती है कि विधायक संगठन के काम मे उतनी ही रुचि लेते है जितने में उनकी पसंद के ब्लाक और जिला अध्यक्ष बन जाए। बहुत से तो ऐसे भी विधायक हैं जो केवल चुनाव के समय ही टिकट पाने की कोशिश में पीसीसी ऑफिस के चक्कर लगाते हैं। जो पदाधिकारी बन गए हैं उनसे संगठन का कराना टेढ़ी खीर होता है।  इस मुद्दे पर जरूर संगठन में तनातनी होने की खबरें आ सकती है।

बहरहाल पटवारी को ठंडे दिमाग के साथ काम करने और मेहनत के मामले में पूर्व सीएम दिग्विजयसिंह की सक्रियता को आदर्श बनाकर काम करने की दरकार रहेगी।  हालांकि शुरुआती दौर में कहें तो टीम बनाने में काफी संतुलन नजर आ रहा है। अभी सचिवों की तैनाती का काम शेष है पटवारी इसमे अपनी पसंद के ऐसे नेताओं को चुन सकते हैं जिन्हें वे आपने साथ जोड़कर भविष्य के नेता तैयार कर सकें। यद्द्पि इस काम के लिए बड़े दिल- दिमाग की जरूरत पड़ेगी। अभी आलोचना-समालोचना की जरूरत नही है। जैसे जैसे समय बीतेगा उस हिसाब सब छिद्रान्वेषण करेंगे। अभी तो टीम पटवारी को बधाई और दीपावली की शुभकामनाएं। कांग्रेस को विजयपुर और बुदनी विधानसभा के उपचुनाव को ताकत लड़ना है। इसके प्रदर्शन के हिसाब से यह भी तय होगा कि पीसीसी के रणनीतिकारों की काबिलियत कैसी है और आगे उसमें किस तरह के सुधार की जरूरत है।

इस बीच भाजपा पूरी तरह आश्वस्त है कि बुदनी और विजयपुर में जीत हासिल होगी। बुदनी में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। अभी चुनाव के सरगर्म होने में समय है इसलिए इस पर चर्चा अगले दौर तक के मुल्तवी की जाती है।

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