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भारतीय फुटबाल के हत्यारे!

आईएसएल नाम की बूढ़े खिलाड़ियों की लीग नीम चढ़ी साबित हो रही है। पता नहीं आईएसएल के आयोजन से भारतीय फुटबाल को कौनसा खजाना मिल गया है लेकिन बूढ़े और खेल मैदान से बेदखल कर दिए गए विदेशी खिलाड़ी आयोजकों के साथ मिल कर भारतीय फुटबाल को तमाशा बनाने पर तुले हैं।

फुटबाल में सुपर पावर बनने और चंद सालों में फुटबाल जगत में हड़कंप मचाने का दावा करने वाली भारतीय फुटबाल अपने ही बुने जाल में उलझती नजर आ रही है। लगातार दर्जन भर मैचों में अजेय रिकार्ड बनाने वाली फुटबाल कहां जा रही है हाल के प्रदर्शन से साफ हो गया है। यह हाल तब है जबकि एक खिलाड़ी  और देश की रूलिंग पार्टी के  नेता के हाथ में भारतीय फुटबाल की बागडोर है। किंग्स कप के दयनीय प्रदर्शन के बाद अब भारत एएफसी कप से भी बाहर हो गया है।

23 साल तक के खिलाड़ियों के आयोजन में उसे पहले चीन और अब यूएई ने हरा दिया। अर्थात दिन पर दिन और मैच दर मैच रिकार्ड  तोड़ प्रदर्शन करने का दम  भरने वाला देश  जैसे फुटबाल खेलना ही भूल गया है। लेकिन भारतीय फुटबाल की दयनीय कहानी का पटाक्षेप यहीं नहीं हो जाता। आईएसएल नाम की बूढ़े खिलाड़ियों की लीग नीम चढ़ी साबित हो रही है। पता नहीं आईएसएल के आयोजन से भारतीय फुटबाल को कौनसा खजाना मिल गया है लेकिन बूढ़े और खेल मैदान से बेदखल कर दिए गए विदेशी खिलाड़ी आयोजकों के साथ मिल कर भारतीय फुटबाल को तमाशा बनाने पर तुले हैं।

रोते गिड़गिड़ाते और दबाव की राजनीति खेल कर भीख में एशियाई खेलों में भाग लेने की स्वीकृति मिलने के बाद एआईएफएफ अब आईएसएल के सामने असहाय खड़ी है। पता नहीं आईएसएल का कद इतना बड़ा कैसे  हो गया है कि लीग में खेलने वाले क्लब भारतीय राष्ट्रीय टीम के  हितों की भी परवाह नहीं कर रहे।  नतीजन  चीन में खेले जाने वाले एशियाई खेलों और आईएसएल की तिथियों में टकराव बड़ा मुद्दा बन गया है। एशियाई खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ियों में ज्यादातर  ऐसे हैं , जिन्हें पहली बार बड़े मंच पर मौका मिल रहा है। सिर्फ सुनील क्षेत्री ही जाना पहचाना नाम है।

टीम की बनावट देख कर आम फुटबाल प्रेमी कह रहा है कि बेकार ही फुटबाल टीम को एशियाड में भेजा जा रहा है। यदि कोई चमत्कार हो गया तो भारत एक दो राउंड टाप सकता है।लेकिन अकेला क्षेत्री क्या कर लेगा? झिंगन और संधू जैसे सीनियर खिलाड़ियों को टीम में शामिल नहीं किए जाने का सीधा सा मतलब है कि एक बेहद कमजोर टीम एशियाड में उतारी जा रही है। सवाल यह पैदा होता है कि  क्या एआईएफएफ और आईएसएल की अकड़ धकड़ देश के मान सम्मान से बढ़ कर है?

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