नए वर्ष में भारतीय फुटबाल की शुरुआत कड़ी चुनौती के साथ है। पहले ही मुकाबले में तथाकथित ब्लू टाइगर्स को आस्ट्रेलिया से निपटना है। बेशक, कंगारुओं से पार पाना आसान नहीं होगा। हालांकि भारतीय टीम प्रबंधन को लगता है कि भारत उलट फेर करने की क्षमता रखता है।
ओलंपिक वर्ष में भले ही भारतीय टीम पेरिस ओलंपिक से बाहर रहेगी लेकिन एशियन कप में ऑस्ट्रेलिया , उज़्बेकिस्तान और सीरिया से निपटना आसान नहीं होगा। हालांकि शुरुआत भारतीय फुटबाल के लिए कड़ी चुनौती के साथ होने जा रही है। पहले ही मुकाबले में तथाकथित ब्लू टाइगर्स को आस्ट्रेलिया से निपटना है। बेशक, कंगारुओं से पार पाना आसान नहीं होगा। हालांकि भारतीय टीम प्रबंधन को लगता है कि भारत उलट फेर करने की क्षमता रखता है।
यूं तो भारतीय चुनौती को कमतर आंकना खिलाड़ियों का मनोबल तोड़ने जैसा होगा । फिरभी रैंकिंग और रिकार्ड को देखते हुए भारत पर दांव खेलना घाटे का सौदा है। चाहे कोच इगोर स्टिमक कोई भी बहाना बनाएं और प्रतिद्वंद्वियों को मजबूत बताएं लेकिन भारतीय टीम का अगले राउंड में पहुंचना आसान नहीं होगा। भारतीय फुटबाल को ब्लू टाइगर्स की फौज बताने वालों की भावनाओं को ठेस जरूर पहुंचेगी लेकिन सच्चाई यह है कि अपने खिलाड़ियों में टाइगर्स जैसी कोई चीज फिलहाल दिखाई नहीं पड़ती।
सच तो यह है कि पिछले कई सालों से भारत फुटबाल में एक महा फिसड्डी देश बन कर रह गया है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि देश भर में फुटबाल का कारोबार प्राय भ्रष्ट और नकारा लोगों के हाथ में रहा है, जिन पर खिलाड़ियों के हिस्से के पैसों का दुरुपयोग , गबन, धोखाधड़ी , चयन में धांधली और न जाने कैसे कैसे आरोप लगते आए हैं। इतना ही नहीं लाखों रुपए जादू टोना करने वालों, ओझा और झाड़ फूंक करने वालों पर खर्च किए गए। उम्मीद की जा रही थी कि नए और युवा पदाधिकारियों के सत्ता संभालने के बाद भारतीय फुटबाल में कुछ बदलाव होगा लेकिन ऐसा नजर नहीं आता।
कल्याण चौबे के नेतृत्व वाली नई टीम ने बाकायदा 2047 तक का रोड मैप बना डाला लेकिन चंद दिनों बाद एआईएफएफ ने अपने महासचिव पर गंभीर आरोप लगाए और उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया। फिलहाल फुटबाल कोर्ट कचहरी में खेली जा रही है।जहां तक एशियन कप में भाग लेने वाली टीम की बात है तो इन तिलों में तेल नहीं है। बहानेबाज विदेशी कोच पहले ही कह रहा है कि मौके कम ही हैं। अर्थात इगोर साहब भारत की संभावना को इग्नोर कर चुके हैं।
वैसे भी एक मात्र सुनील क्षेत्री के भरोसे आखिर कब तक हेंकड़ी हांकते रहेंगे। यह ना भूलें कि सुनील पर उम्र भारी पड़ने लगी है। फिर भी उसका कोई विकल्प नहीं है।देखा जाए तो भारतीय फुटबाल में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा। यही कारण है कि एआईएफएफ विदेशों में रह रहे भारतीय मूल के खिलाड़ियों को टीम इंडिया का हिस्सा बनाने पर जोर दे रहा है।जहां तक एशियन कप की बात है तो आस्ट्रेलिया, उज़्बेकिस्तान और सीरिया भारत के मुकाबले बेहतर रैंकिंग वाली टीमें हैं। यदि भारतीय खिलाड़ी अप्रत्याशित परिणाम निकाल पाए तो इस नतीजे को साठ साल बाद के बदलाव के रूप में देखा जाएगा।