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भारतीय फुटबाल: खुली सपनों की पोल

भारतीय फुटबाल को 2047 तक शिखर पर पहुंचाने और एशिया में बड़ी ताकत बनाने का सपना दिखाने वाली एआईएफएफ के शीर्ष पदाधिकारियों और उनके सपनों की पोल खुल गई है। चौदह महीने पहले नाटकीय अंदाज में सता कब्जाने के बाद अध्यक्ष और पूर्व खिलाड़ी कल्याण चौबे ने भारतीय फुटबाल को बड़े बड़े सपने दिखाए। लेकिन अब यह जोड़ी टूट गई है। इसलिए क्योंकि शाजी प्रभाकरण ने  विश्वास का हनन किया है, ऐसा अध्यक्ष कल्याण चौबे का कहना है।

बेशक, शाजी ऐसे पहले महासचिव हैं, जिसे बीच कार्यकाल के चलते हटाया गया है। जहां तक विश्वास के हनन और घोटालों की बात है तो पूर्व अध्यक्षों  दास मुंशी और प्रफुल पटेल पर भी गंभीर आरोप लगे। खासकर, फेडरेशन के पैसे का दुरुपयोग के मामले प्रकाश में आए। लेकिन उनका बाल भी बांका नहीं हुआ। इसलिए क्योंकि दोनों राजनीति के खिलाड़ी थे। कल्याण चौबे भले ही फुटबालर रहे हैं लेकिन अब वे भी दलगत राजनीति से जुड़े हैं। शायद  उन्होंने  भी अपनी पहुंच और ताकत का प्रमाण दे दिया है।

वरना क्या कारण है कि जिस शाजी की कल तक तारीफों के पुल बांधते फिरते थे उसको दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल बाहर कर दिया। पिछले कुछ महीनों में चौबे  और शाजी ने बयानबाजी कर देश में फुटबाल के लिए जो माहौल बनाने का स्वांग रचा था उसकी कलई खुल चुकी है। दो दिन पहले दोनों महाशयों ने संयुक्त बयान देकर देश के फुटबाल प्रेमियों का विश्वास हनन किया था और जी हुजूरों से गठित तकनीकी समिति की मार्फत एशियाई खेलों में भारतीय टीम के प्रदर्शन को संतोषजनक बताया था।

बेशक,  यह बयान हैरान करने वाला था। जिस टीम ने  एशियाड में भाग लेने के लिए सरकार और खेल मंत्रालय को गुमराह किया , देशवासियों के खून पसीने की कमाई को बेवजह बहाया ,  उसका प्रदर्शन शर्मनाक रहा था। कुछ पूर्व खिलाड़ियों के अनुसार चौबे और शाजी पद संभालने के बाद से शेखचिल्ली की तरह बयानबाजी करते रहे, मृतवत भारतीय फुटबाल पर जीवंत होने का कफन पहनाया गया लेकिन उनके कार्यकाल में भारत फीफा रैंकिंग में और नीचे लुढ़क चुका है।

कुल मिला कर भारतीय फुटबाल के कुछ और महीने बेकार चले गए हैं। शीर्ष पदाधिकारियों की लड़ाई में खिलाड़ियों का क्या नुकसान हुआ है जल्द पता चल जाएगा। आजादी के सौवें साल तक का रोड मैप भी अब  झूठ का पुलिंदा लगता है। कौन कुसुरवार है जांच से ही पता चल पाएगा लेकिन देश के खिलाड़ियों , फुटबाल प्रेमियों और फुटबाल प्रशासकों के विश्वास का हनन हुआ है उसकी भरपाई कौन करेगा?

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