भोपाल। भाजपा ने 47 जिलों के अध्यक्ष घोषित कर दिए और इसी के साथ प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए आवश्यक कोरम पूरा हो गया है। हालांकि अभी प्रदेश अध्यक्ष की चुनाव की तारीख तय नहीं हुई है। हो सकता है पार्टी तब तक सभी 60 जिला अध्यक्ष घोषित कर दे प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए 60% जिलों में चुनाव अनिवार्य रहते हैं और पार्टी ने इससे भी ज्यादा जिला अध्यक्ष घोषित कर दिए हैं।
दरअसल संगठन पर्व के तहत संगठन चुनाव में खासकर जिला अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा को अच्छी खाशी मशक्कत करनी पड़ रही है। यहां तक की एक साथ सभी जिला अध्यक्ष घोषित न करके पार्टी ने किस्तों में जिला अध्यक्ष घोषित किया और अभी तक 60 में से 40 जिलों के अध्यक्ष पार्टी घोषित कर चुकी है और अगले दो दिन में हो सकता है। सभी पार्टी के जिला अध्यक्ष घोषित हो जाए लेकिन प्रदेश अध्यक्ष के लिए जो अनिवार्य कोरमा था वह पार्टी ने पूरा कर लिया है और अब प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए कभी भी तारीख का ऐलान हो सकता है। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर्यवेक्षक बनाए गए हैं और उनका कार्यक्रम भी कभी भी घोषित हो सकता है। 31 जनवरी तक पार्टी नया प्रदेश अध्यक्ष तय कर लेगी।
बहरहाल, जिस तरह से जिला अध्यक्ष के चुनाव को लेकर जिलों में प्रतिस्पर्धा थी कुछ जिलों में दिग्गज नेता अपनी पसंद का जिला अध्यक्ष बनवाने पर अड़े हुए थे। उससे पार्टी को भोपाल से लेकर दिल्ली तक कसरत करनी पड़ी और फिर एक-एक जिले की समीक्षा करते हुए सूची तैयार की गई और उसे किस्तों में जारी किया जा रहा है। जहां सर्वाधिक विवाद थे वह दो जिले बना दिए गए, मसलन बुंदेलखंड के सागर जिले में स्थानीय नेता अपनी-अपनी पसंद का जिला अध्यक्ष बनवाना चाह रहे थे यहां पार्टी ने सबसे पहले सागर में दो जिले संगठन की दृष्टि से बना दिए। सागर शहर जिसमें पांच विधानसभा सागर, सुरखी, नरयावली, खुरई और बीना को मिलकर बना। वहीं सागर ग्रामीण में रहली देवरी और बंडा को शामिल किया गया। सागर शहर का अध्यक्ष श्याम तिवारी को और सागर ग्रामीण का अध्यक्ष रानी कुशवाहा को बनाया गया। इसी तरह धार में भी दो जिले बना दिए गए।
कुल मिलाकर पार्टी ने बड़े करीने से संगठन चुनाव को आगे बढ़ाया है। जहां जैसी जरूरत पड़ी वैसे नए-नए नियम बना लिए। वैसे तो पार्टी संविधान में दो बार जिला अध्यक्ष बनाया जा सकता है लेकिन जिनका कार्यकाल 5 साल हो गया उनको दोबारा नहीं बनाया गया है। प्रायः पहली बार जो भी अध्यक्ष बनता है। वह अच्छा काम इसलिए करता है कि उसे दूसरी बार मौका मिले लेकिन नए नियम के तहत अच्छे काम करने वाले भी रिपीट नहीं हो पाए। हालांकि जिनका कार्यकाल लगभग डेढ़ वर्ष का था। ऐसे 11 अध्यक्ष रिपीट हुए हैं। इसमें बालाघाट के जिला अध्यक्ष को 6 महीने ही हुए थे और उसे बदल दिया गया पूर्व मंत्री कावरे को जिला अध्यक्ष बनाया गया है।
यह भी देखा गया है कि महामंत्री अध्यक्ष का दावेदार स्वाभाविक रूप से हो जाता है लेकिन मुश्किल से दो जगह ही महामंत्री अध्यक्ष बने हैं। अधिकांश जगह नए लोगों को संगठन की कमान सौपी गई है। 47 घोषित जिला अध्यक्षों में से अभी तक केवल चार महिलाएं ही जिला अध्यक्ष बन पाई हैं। अब बाकी के 16 जिला अध्यक्षों में से कितनी महिलाएं जिला अध्यक्ष बनती है। हालांकि पार्टी इस बार 33% महिलाओं को जिला अध्यक्ष बने की बात कर रही थी। यह भी माना जा रहा है कि इस बार पार्टी महिला प्रदेश अध्यक्ष बनने जा रही है। शायद इस कारण जिलों में कम महिलाएं जिला अध्यक्ष बनी है। जाहिर है पार्टी ने जिलों में रायशुमारी कराके कार्यकर्ताओ को अपनी बात रखने का मौका भी दे दिया और बाद में नेताओं की पसंद खासकर सांसदों की पसंद को महत्व देकर सर्वसम्मति भी बना दी और 47 जिला अध्यक्ष घोषित करके पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष का रास्ता साफ कर लिया है।