दिल्ली की सड़कों की स्थिति 90 के दशक के पिछड़े राज्यों की सड़कों जैसी हो गई है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की पहले से दिल्ली के चारों तरफ एक्सप्रेस वे बने हैं, परंतु दिल्ली सरकार ने एक नई या वैकल्पिक सड़क का निर्माण नहीं कराया। उलटे पहले से बनी सड़कों का रखरखाव भी सरकार नहीं कर पाई है। दिल्ली में सीवरेज प्रबंधन इतना खराब है कि पिछले साल बरसात में दिल्ली की सड़कों पर चारों तरफ गंदा पानी भरा हुआ था। दिल्ली की सड़कों और यहां तक कि फुटपाथ पर भी अतिक्रमण की वजह से लोगों का चलना दूभर हो गया है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के नागरिकों के सामने ऐतिहासिक अवसर है। 21वीं सदी के पहले 25 साल बरबाद करने वालों को सबक सिखाने और आप-दा से मुक्ति पाने का यह अवसर पांच फरवरी को मतदान के रूप में मिल रहा है। इसमें संदेह नहीं है कि मतदाता हमेशा सोच समझ कर वोट करते हैं। तभी दिल्ली के मतदाताओं ने लगातार तीन लोकसभा चुनावों में सभी सात सीटों पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को जिताया। उन्हीं मतदाताओं ने विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी पर भरोसा किया। एक नई बनी पार्टी पर भरोसा करके लोगों ने लगातार दो बार प्रचंड बहुमत से सत्ता दी। लेकिन बदले में उन्हें क्या मिला? श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता रहा और दिल्ली लगातार पिछड़ती गई। राष्ट्रीय राजधानी होने के बावजूद दिल्ली में विकास की गाड़ी पूरी तरह ठहर गई। दिसंबर 2013 में श्री अरविंद केजरीवाल जो वादे करके सत्ता में आए और 49 दिन की सरकार चलाने के बाद इस्तीफा दिया उनमें से कोई भी वादा पूरा नहीं किया। अगले चुनाव में यानी जनवरी 2015 में उन्होंने गोलपोस्ट बदल दिया और नए वादे किए। उसके अगले चुनाव में यानी 2020 में उन्होंने दूसरे वादे किए और अब 2025 में नए वादे कर रहे हैं।
वास्तविकता यह है कि पिछले 10 साल में दिल्ली के लोगों को सिर्फ वादे सुनने को मिले हैं। सिर्फ झूठ सुनने को मिला है। सिर्फ धोखा मिला है। उनको छला गया है और उनके बच्चों का भविष्य अंधकारमय कर दिया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के लोगों को याद दिलाया कि पिछले 25 साल में यानी 21वीं सदी की पहली चौथाई में सरकार चलाने वालों यानी कांग्रेस और आप-दा वालों ने दिल्ली की दो पीढ़ियों का जीवन बरबाद कर दिया। फरवरी 2015 से सितंबर 2024 तक लगातार साढ़े नौ साल मुख्यमंत्री रहे श्री अरविंद केजरीवाल सिर्फ इस बात का ढोल पीटते रहे कि वे दिल्ली के लोगों को मुफ्त में बिजली और पानी दे रहे हैं और महिलाओं को बस पास दे रहे हैं। परंतु उन्होंने कभी नहीं बताया कि दिल्ली के लोगों को इसकी कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है। उन्होंने दिल्ली के बुनियादी ढांचे को पूरी तरह से चौपट कर दिया। दिल्ली की सड़कों की स्थिति 90 के दशक के पिछड़े राज्यों की सड़कों जैसी हो गई है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की पहले से दिल्ली के चारों तरफ एक्सप्रेस वे बने हैं, परंतु दिल्ली सरकार ने एक नई या वैकल्पिक सड़क का निर्माण नहीं कराया। उलटे पहले से बनी सड़कों का रखरखाव भी सरकार नहीं कर पाई है। दिल्ली में सीवरेज प्रबंधन इतना खराब है कि पिछले साल बरसात में दिल्ली की सड़कों पर चारों तरफ गंदा पानी भरा हुआ था। दिल्ली की सड़कों और यहां तक कि फुटपाथ पर भी अतिक्रमण की वजह से लोगों का चलना दूभर हो गया है।
शिक्षा और स्वास्थ्य के जिस दिल्ली मॉडल की बात की जाती है उसकी वास्तविकता यह है कि दिल्ली में एक भी नया स्कूल नहीं बना है और न एक नया कॉलेज दिल्ली सरकार ने बनाया है। दिल्ली में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्थित तरीके से समाप्त कर दी गई। एक समय पूरे देश की शिक्षा राजधानी रही दिल्ली में शिक्षा को स्तरहीन बना दिया गया। अच्छे शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई। दिल्ली की आप-दा सरकार ने सिर्फ इतना काम किया कि पुराने स्कूलों का रंग रोगन करा कर चमका दिया और कुछ नए क्लासरूम जोड़ दिए। लेकिन न कोई नया स्कूल बनाया और न अच्छे शिक्षकों की नियुक्ति की। यही स्थिति स्वास्थ्य सेक्टर की है। दिल्ली में पिछले 10 साल में एक भी अस्पताल नहीं बना। कोरोना की महामारी में कैसे लोग सड़कों पर ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे थे और दवाओं या जांच के लिए इधर उधर भटक रहे थे उसे दिल्ली के लोग भूले नहीं होंगे। उस समय अगर केंद्र सरकार के अस्पताल नहीं होते तो दिल्ली के लोगों की क्या हालत होती उसका सिर्फ अंदाजा लगाया जा सकता है।
दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने से पहले श्री अरविंद केजरीवाल ने झूठ बोलने का जो सिलसिला शुरू किया वह अभी तक जारी है। उनके झूठ को सिलसिलेवार तरीके से ऐसे समझ सकते हैं।
पहला, श्री केजरीवाल ने दिसंबर 2013 से पहले अपने बच्चों की कसम खाकर कहा था कि वे सरकार बनाने के लिए कांग्रेस की मदद नहीं लेंगे। लेकिन उसी चुनाव के बाद उन्होंने कांग्रेस के आठ विधायकों की मदद से सरकार बनाई और मुख्यमंत्री बने। उन्हें अपने बच्चों की खाई कसम तोड़ने में एक क्षण का समय नहीं लगा तो समझा जा सकता है कि दिल्ली के लोगों के लिए उनके मन में क्या भाव हो सकता है! केजरीवाल ने बाद में कई जगह कांग्रेस से तालमेल करके चुनाव लड़ा।
दूसरा, केजरीवाल ने अपनी राजनीति इसी बात से शुरू की थी कि वे लोकपाल बनाएंगे और भ्रष्टाचार को पूरी तरह से खत्म करेंगे। इसी नाम पर उनका आंदोलन हुआ था और इसी काम के लिए उन्होंने सरकार बनाई थी। लेकिन आज तक दिल्ली में लोकपाल का अता पता नहीं है और भ्रष्टाचार की स्थिति इस बात से समझी जा सकती है कि आम आदमी पार्टी के आठ विधायकों ने यह कहते हुए पार्टी से इस्तीफा दिया है कि पार्टी और सरकार दोनों भ्रष्टाचार के दलदल में डूबे हैं। खुद श्री केजरीवाल शराब नीति बनाने के लिए एक सौ करोड़ रुपए से ज्यादा की रिश्वत लेने के आरोप में जेल गए। उनके उप मुख्यमंत्री और तत्कालीन आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया भी जेल गए। उनके स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन हवाला मामले में जेल गए। उनके एक मंत्री वक्फ की जमीन हड़पने के मामले में जेल गए। उनके एक मंत्री फर्जी सर्टिफिकेट के मामले में जेल गए। यानी भ्रष्टाचार मिटाने आए थे और पूरी सरकार ही आकंठ भ्रष्टाचार में डूब गई।
तीसरा, देश के दो दर्जन से ज्यादा नेताओं के नाम जारी करके उन्होंने कहा कि ये सभी लोग देश के सबसे भ्रष्ट नेता हैं। उनमें महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल तक के नेताओं के नाम था। लेकिन बाद में सभी नेताओं से उन्होंने या तो लिखित या मौखिक माफी मांगी और उसके बाद उन्हीं के साथ मिल कर राजनीति की।
चौथा, श्री अरविंद केजरीवाल ने अपने को आम आदमी की तरह पेश किया। वे नीले रंग की वैगन आर गाड़ी से चलते थे और आम आदमी की तरह कपड़े पहनते थे। उन्होंने कहा कि सरकार बनी तो वे और उनके मंत्री बड़ी गाड़ी नहीं लेंगे, बंगला नहीं लेंगे, सरकारी सुरक्षा नहीं लेंगे आदि आदि। वास्तविकता क्या है? अभी दिल्ली चुनाव के बीच चुनाव आयोग ने पंजाब पुलिस की सुरक्षा वापस करने को कह दिया तो श्री केजरीवाल और उनकी पूरी पार्टी चुनाव आयोग के पीछे पड़ी है। वास्तव में श्री केजरीवाल ने दिल्ली और पंजाब पुलिस दोनों की सुरक्षा ले रखी है। अब सीएजी की रिपोर्ट से यह खुलासा हो गया है कि उन्होंने अपने रहने के लिए जो बंगला तैयार कराया उसके रेनोवेशन पर कम से कम 33 करोड़ रुपए खर्च किए। वे ‘शीशमहल’ में रहते हैं और बड़ी गाड़ियों के काफिले से दो दो राज्यों की सुरक्षा लेकर चलते हैं। उनके सारे मंत्री भी ऐसी ही विलासिता का जीवन जीते हैं।
पांचवां, श्री केजरीवाल ने कहा कि सरकार बनी तो यमुना नदी को साफ करेंगे। वास्तविकता यह है कि दिल्ली में यमुना पहले से कई सौ गुना ज्यादा गंदी हो गई। सफाई का कोई अभियान तो नहीं ही चला उलटे दिल्ली के 37 बड़े नालों का यमुना में गिरना जारी रहा। दिल्ली सरकार सीवर ट्रीटमेंट प्लांट्स नहीं लगा पाई। आज यमुना दिल्ली में मृत हो गई है और उसके पानी में मल की मात्रा 13 सौ गुना ज्यादा हो गई है। अब 10 साल के बाद श्री केजरीवाल ने खुद स्वीकार किया है कि वे यमुना साफ करने में सफल नहीं हुए। उन्होंने फिर वादा किया है कि एक कार्यकाल और मिला तो यमुना साफ करेंगे। लेकिन दिल्ली का कोई व्यक्ति उनके वादे पर कैसे भरोसा कर सकता है?
छठा, श्री केजरीवाल ने वादा किया था कि वे दिल्ली के हर घर में पीने का साफ पानी पहुंचाएंगे। परंतु पिछले 10 साल में दिल्ली में पानी की आपूर्ति की व्यवस्था और खराब होती गई है। दिल्ली के घरों में सीधे नाली का पानी सप्लाई हो रहा है। श्री केजरीवाल जब मुख्यमंत्री बने थे तब दिल्ली में 14 हजार किलोमीटर लंबी पाइप लाइन थी, जो आज 15,300 किलोमीटर है। यानी सिर्फ 13 सौ किलोमीटर पाइप लाइन जुड़ी, जबकि उनका वादा पांच हजार किलोमीटर पाइप लाइन जोड़ने का था। दिल्ली में कहीं भी नालों की सफाई नहीं होती है और कहां नाले का पानी दिल्ली जल बोर्ड के पानी से मिल जाता है, किसी को पता नहीं चल पाता। श्री केजरीवाल कह रहे हैं कि वे मुफ्त में पानी दे रहे हैं। लेकिन पानी की गुणवत्ता इतनी खराब हो गई है कि लोगों का जीवन संकट में पड़ रहा है। लोग पानी से जुड़ी बिमारियों से मर रहे हैं।
सातवां, श्री केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली को प्रदूषण से मुक्त कराएंगे। परंतु उन्होंने इस दिशा में कोई काम नहीं किया। 2022 तक वे पंजाब की तत्कालीन कांग्रेस सरकार और हरियाणा व उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार को प्रदूषण के लिए दोषी ठहराते रहे। जब पंजाब में खुद आम आदमी पार्टी की सरकार बन गई तो उसे छोड़ दिया और अब हरियाणा व उत्तर प्रदेश सरकार पर जिम्मेदारी डालते हैं। उन्होंने दिल्ली में प्रदूषण खत्म करने के लिए कोई पहल नहीं की। अब स्थिति यह है कि अक्टूबर से लेकर फरवरी तक यानी पांच महीने दिल्ली के लोगों का दम घुटता है। हर दिन दिल्ली के लोगों के जीवन के क्षण कम होते जा रहे हैं।
आठवां, श्री केजरीवाल ने दिसंबर 2013 के चुनाव में निर्भया कांड का खूब राजनीतिक इस्तेमाल किया था और कहा था कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए वे दिल्ली के चप्पे चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे लगवाएंगे और कोई कोना अंधकार में नहीं छोड़ेंगे। वास्तविकता यह है कि दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे और अब भी अनेक इलाके अंधकार में डूबे रहते हैं, जिसका फायदा उठा कर महिलाओं के प्रति अपराध होता है।
नौवां, उन्होंने पूरी दिल्ली में मुफ्त वाई फाई की सेवा देने का वादा किया है, लेकिन दिल्ली के लोगों को पता है कि उन्हें कहीं भी मुफ्त में सुरक्षित वाई फाई सेवा नहीं मिल रही है।
दसवां, श्री केजरीवाल ने वादा किया कि दिल्ली के झुग्गीवालों को घर देंगे। 10 साल बाद अब फिर वे यही वादा दोहरा रहे हैं। दिल्ली में हर झुग्गीवाले को घर देने के लिए आठ से 10 लाख घर बनाने होंगे लेकिन वास्तविकता यह है कि श्री केजरीवाल की सरकार ने एक भी घर नहीं बनाया। उलटे जो घर पहले से बने हुए थे वह भी उन्होंने झुग्गी वालों को नहीं दिया क्योंकि उसका श्रेय उनको नहीं मिल रहा था।
ग्यारहवां, श्री केजरीवाल ने पंजाब में महिलाओं को हर महीने नकद पैसे देने का वादा किया था लेकिन तीन साल बाद भी वह वादा पूरा नहीं हुआ। अब वे वही वादा दिल्ली में कर रहे हैं। दिल्ली में भी उन्होंने पिछले साल फरवरी में वादा किया था कि वे महिलाओं को हर महीने 11 सौ रुपए देंगे। लेकिन एक साल बाद किसी भी महिला को एक रुपया नहीं मिला। अब वे कह रहे हैं कि सरकार बनी तो 21 सौ रुपया महीना देंगे। उनके इस वादे पर किसको भरोसा होगा?
बारहवां, श्री केजरीवाल ने वादा किया कि वे विश्व स्तर की चिकित्सा सुविधा दिल्ली के सरकारी अस्पतालों या मोहल्ला क्लीनिक में दे रहे हैं। लेकिन जब उनको कोविड हुआ या श्री मनीष सिसोदिया की पत्नी बीमार हुईं तो सब इलाज के लिए मैक्स या अपोलो अस्पताल गए। हकीकत यह है कि दिल्ली में पहले से चल रही ढाई सौ डिस्पेंसरीज बंद हो गईं।
तेरहवां, श्री केजरीवाल का दावा है कि वे मुफ्त में बिजली दे रहे हैं। लेकिन बिजली कनेक्शन के फिक्स्ड चार्ज बढ़ा कर कंपनियों ने पहले ही लोगों का बिल बढ़ा दिया है। वास्तविकता यह है कि दिल्ली में बड़ी आबादी का बिजली और पानी की बिल पहले से काफी बढ़ गया है।
दिल्ली में श्री अरविंद केजरीवाल के 10 साल के शासन को देख कर हिंदी फिल्म ‘दामिनी’ का डायलॉग याद आता है कि, ‘आम आदमी को मिलती है तो सिर्फ तारीख पे तारीख पे तारीख’। उसी तरह श्री केजरीवाल के शासन में लोगों को मिला है सिर्फ झूठ पर झूठ पर झूठ! परंतु अब इस झूठ, धोखे, फरेब और ठगी से मुक्ति पाने का समय आ गया है। दिल्ली के नागरिकों से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया है कि दिल्ली को सुंदर बनाना चाहते हैं, विश्वस्तरीय बनाना चाहते हैं ताकि दुनिया भर के जो लोग यहां आएं वे भारत और उसकी राजधानी के बारे में अच्छी धारणा लेकर जाएं। दिल्ली को सुंदर बनाने के लिए, पीने के साफ पानी और स्वच्छ हवा के लिए, बुनियादी ढांचे के विकास के लिए, रोजगार और आवास के लिए हरित विकास के लिए, अच्छी शिक्षा व स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए आवश्यक है कि दिल्ली के लोग आप-दा से मुक्ति पाएं। उन्होंने पिछले 27 साल में बाकी सबको आजमा लिया है। अब भाजपा और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा दिखाने और अपना व आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बेहतर बनाने का अवसर है। आशा है कि दिल्ली के लोग यह अवसर नहीं चूकेंगे।
(लेखक दिल्ली में सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग (गोले) के कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त विशेष कार्यवाहक अधिकारी हैं।)