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अब भाजपा संगठन में होगा जोश और होश का समन्वय

भोपाल। वर्ष 2020 के संगठन चुनाव में भाजपा ने मंडल अध्यक्षों के लिए जिला अध्यक्षों के लिए आयु सीमा तय की थी जिसके कारण कुछ जगह योग्य और अनुभवी लोग संगठन से बाहर हो गए और कुछ जगह ऐसे लोग पदों पर आ गए जो पार्टी की गंभीरता को संप्रेषित नहीं कर पाए। शायद यही कारण है कि इस बार पार्टी भाजपा संगठन चुनाव में आयु सीमा का कोई बंधन नहीं रखेगी बल्कि योग्य और अनुभवी को प्राथमिकता देगी।

दरअसल, कोई भी प्रयोग तभी सफल माना जाता है जब परिणाम अनुकूल आए। भाजपा ने पिछले कुछ वर्षों में पीढ़ी परिवर्तन का धीमा सा अभियान चलाया हुआ है, लेकिन कुछ जगहों पर इसके कारण पार्टी को नुकसान हुआ क्योंकि अनुभवी लोग घर बैठ गए पार्टी ने भले ही भारी बहुमत से विधानसभा चुनाव और लोकसभा की सभी 29 सीटें जीत ली हो लेकिन पार्टी जानती है कि चुनाव के समय कैसे राष्ट्रवाद के नाम पर मोदी के नाम पर अनुभवी लोगों को मैदान में उतारा तब जाकर यह जीते हुई है और कहीं-कहीं तो उसी समय नेताओं से कह दिया गया था कि आगे से ऐसा नहीं होगा। जोश के साथ होश का समन्वय पार्टी के अंदर बनाया जाएगा।

यहां तक कि विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 70 पार उम्रदराज नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा जिसका फायदा भी पार्टी को मिला अन्यथा नागौद से नागेंद्र सिंह, जगन्नाथ रघुवंशी, विशाल सिंह, जयंत मलैया, हजारीलाल दांगी, प्रेम शंकर वर्मा, जयसिंह मरावी, अजय बिश्नोई जैसे लोगों को चुनाव मैदान में उतारा। बुंदेलखंड में वरिष्ठ नेता गोपाल भार्गव को पार्टी ने नौवीं बार चुनाव मैदान बता रहा जिससे आसपास के इलाकों में भी पार्टी को फायदा मिल सके।

बहरहाल, इस बार के संगठन चुनाव में पिछली बार की तरह उम्र का कोई बंधन नहीं रहेगा बल्कि योग्य नेताओं और कार्यकर्ताओं को मौका मिलेगा। वर्ष 2020 में संगठन चुनाव के दौरान भाजपा ने मंडल अध्यक्षों के लिए 35 वर्ष और जिला अध्यक्षों के लिए 50 वर्ष तक की आयु सीमा तय कर दी थी जिसके कारण कई जगह अप्रिय स्थिति बनी जहां योग्य और सक्षम होते हुए भी अधिक उम्र के कारण मंडल अध्यक्ष या जिला अध्यक्ष नहीं बन पाए थे, बल्कि उनकी जगह जो लोग बने वह पार्टी में जिले के अंदर ही समन्वय नहीं बना सके विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जिलों में जाकर समन्वय बनाना पड़ा और चुनाव में वरिष्ठ नेताओं को घर से निकलने में कड़ी मेहनत करनी पड़ी I

शायद यही कारण है कि इस बार संगठन चुनाव में पार्टी ने उम्र का कोई क्राइटेरिया नहीं रखने का फैसला किया है और अब संगठन में मिले-जुले चेहरे दिखाई देंगे युवाओं के साथ-साथ बुजुर्गों को भी संगठन में पर्याप्त महत्व दिया जाएगा यही नहीं जिस तरह से वरिष्ठ नेताओं को विधानसभा चुनाव में टिकट देकर पार्टी ने उन क्षेत्रों के आसपास का माहौल बनाया था उसी तरह अब संगठन के साथ-साथ सरकार में भी वरिष्ठ नेताओं की वापसी की जाएगी जिससे कि संगठन में सरकार का सकारात्मक संदेश प्रदेश में जा सके इसके लिए संगठन चुनाव में तो असर दिखेगा ही आगामी दिनों मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडलों की नियुक्तियों में भी वे वरिष्ठ चेहरे दिखाई देंगे जो पार्टी की स्थापना दिवस से पार्टी के लिए लगातार काम कर रहे हैं जिनके पास कार्यकर्ताओं की मजबूती टीम भी है और आम जनता में जिनकी स्वच्छ छवि है।
कुल मिलाकर अब भाजपा में संगठन और सरकार में जोश और होश का बेहतर समन्वय दिखाई देगा। युवाओं को भी पर्याप्त मौका दिया जाएगा लेकिन अनुभवी नेताओं के अनुभव का लाभ भी पार्टी लेती रहेगी जिससे कि भविष्य में पार्टी को मुश्किलों का सामना न करना पड़े।

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