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अमरवाड़ा के रण में शाह विरुद्ध शाह

भोपाल। अमरवाड़ा विधानसभा के उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने धीरन शाह इनवाती को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। भाजपा पहले ही कमलेश शाह को प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। जिनका नामांकन पत्र भी दाखिल हो गया है। कांग्रेस प्रत्याशी आज नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। कल नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख है।
दरअसल, अपने-अपने करणों से भाजपा और कांग्रेस छिंदवाड़ा विधानसभा के उपचुनाव को जीतने के लिए अभी से एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं जबकि मतदान 10 जुलाई को है। भाजपा ने लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से भाजपा में आए कमलेश शाह को पहले ही प्रत्याशी घोषित कर चुकी है और नामांकन पत्र दाखिल करते समय कमलेश शाह के साथ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष डॉ विष्णु दत्त शर्मा सहित भाजपा के सभी स्थानीय नेता मौजूद रहे।

भाजपा ने पूरी रणनीति बना ली है जिसमें लगभग 10 सभाएं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की होगी। प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा संगठन की बूथ स्तर पर जमावट पुख्ता करेंगे। लगभग एक दर्जन विधायक को अमरवाड़ा में तैनात किया जाएगा। मंत्री संपत्तियां उईके के प्रभारी बनाई गई है और हेमंत खंडेलवाल सह प्रभारी बनाए गए हैं। भाजपा का चुनाव अभियान क्षेत्र में शुरू हो गया है लेकिन कांग्रेस ने प्रत्याशी चयन में अच्छी खासी कसरत की है और तब जाकर आंचल कुंड दरबार के सेवक सुखराम दादा के बेटे धीरन शाह को प्रत्याशी घोषित किया है। पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस के पास अलग-अलग नाम आ रहे थे जिसमें नवीन मरकाम और चंपालाल कुर्चे का नाम तेजी से उभरा था लेकिन गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने जब रावेन भलावी को प्रत्याशी घोषित किया तब कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदली और आंचल कुंड दरबार के सेवक सुखराम दादा के बेटे धीरन शाह को प्रत्याशी घोषित कर दिया।

कांग्रेस की रणनीति आदिवासी मतदाताओं को अपनी और एकजुट करने की है। अभी प्रयास यह भी होगा कि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का समर्थन कांग्रेस को मिल जाए। आंचल कुंड के सेवादार सुखराम दादा की आदिवासी परिवारों में अच्छी पकड़ है। हरिया हो या आदिवासी हर कोई दादा दरबार में जाकर हाजिरी लगाता है। इस कारण इस परिवार को सब लोग जानते हैं और कांग्रेस अब इसी संबंधों को आधार बनाकर उपचुनाव में कमलेश शाह से बदला लेने की तैयारी में है। यहां बताते चलें कि आंचल कुंड धाम बाबा कंगाल दास ने स्थापित किया था। यह जगह आदिवासियों की आस्था का केंद्र है। बाबा की तीसरी पीढ़ी के सेवादार सुखराम दास जी महाराज ने बताया कि करीब 100 साल पहले कंगाल दास बाबा की जिद पर खंडवा के धूनी वाले दादा ने इस आंचल कुंड में धुनी जलाई थी। आंचल कुंड दरबार से ही 1980 में कमलनाथ ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी आंचल कुंड दरबार गए थे।

कुल मिलाकर अमरवाड़ा के रण में कौन होगा शहंशाह, फिलहाल भाजपा कांग्रेस ने अपने-अपने शाह को मैदान में उतार दिया है। भाजपा जहां पहले प्रत्याशी घोषित करके अमरवाड़ा विधानसभा को 54 शक्ति केंद्रों में विभाजित कर उनकी प्रभारी नियुक्त कर चुकी है। भाजपा यह सीट जीतने के लिए पूरा जोर लगा रही है, क्योंकि वह कमलनाथ की क्षेत्र में वापसी नहीं देना होना चाहती है। क्षेत्र में पन्ना प्रभारियों को अभी से सक्रिय कर दिया गया है। एक-एक वोट पर भाजपा का फोकस रहेगा। ऐसे में कांग्रेस ने आदिवासियों के आस्था से जुड़े दरबार का प्रत्याशी देकर मुकाबला को रोचक बनाने की कोशिश की है।

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