जब सूरज आग के गोले सा लगे और धरती गर्म तवे जैसी तो अक्सर मुंह से निकल जाता है, “उफ़, क्या जानलेवा गर्मी है।” भारत में इस साल की गर्मी सचमुच जानलेवा है। शाब्दिक अर्थ में भी जानलेवा। उसने सैकड़ों की जान ली है।मगर हम भारतीय गर्मी का मुकाबला करना जानते हैं – गर्म खाना, गर्म मौसम और गर्म (चिपचिपी) राजनीति – हम इन सबको बरदास्त कर लेते हैं।बावजूद इसके इस साल की गर्मीका सामना भारी पड रहा है। हीटवेव ने कई लोगों की जान ली है। पिछले महीने हुई मौतों की संख्या चिंताजनक थी। उत्तरप्रदेश में करीब 200 लोग मारे गए वहीं बिहार में यह संख्या 47 रही।“गर्मी के कारण इतने लोग मर रहे हैं कि हमें आराम करने के लिए एक मिनट भी नहीं मिल रहा है। रविवार को मुझे 26 लाशें ढोनी पड़ीं,” उत्तरप्रदेश के देवरिया शहर के शव वाहन चालक जितेन्द्र कुमार यादव ने एपी एजेंसी को बताया था।
इस बीच लंदन में उल्टी गिनती करने वाली एक घड़ी लगाई गई है जो दिखाती है कि ग्लोबल वार्मिग के भयावह दुष्प्रभावों के अपरिहार्य होने में कितना समय बाकी है। इसका उद्घाटन सम्राट चार्ल्स तृतीय और लंदन के मेयर ने किया। इस घड़ी को लगाने का उद्देश्य है ग्लोबल वार्मिग को 1.5 डिग्री सेंटीग्रेड तक सीमित रखने के लिए दुनिया को प्रेरित करना। अगर हमें जलवायु को तहस-नहस होने से बचाना है तो इस लक्ष्य की प्राप्ति आवश्यक है। जलवायु संबंधी उल्टी गिनती दिखाने वाली पहली घड़ी सितंबर 2020 में न्यूयार्क में लगाई गई थी। उसके बाद बर्लिन, सिओल, रोम, ग्लासगो और अब लंदन में इसे लगाया गया है। भारत को भी इसकी जरूरत है।
जलवायु संबंधी इस उल्टी गिनती के बारे में अगर बात की जाए तो स्थिति भयावह है। अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल प्रिडिक्शन के आंकड़ों के मुताबिक सोमवार 3 जुलाई 2023 विश्व स्तर पर अब तक का सबसे गर्म दिन था। इस दिन दुनिया का औसत तापमान 17.01 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। अगस्त 2016 में यह 16.92 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा था, जो इससे पहले का अधिकतम स्तर था और जिसने सारी दुनिया को झुलसा दिया था। सोमवार वाकई बहुत गर्म था। क्या आपने भी ऐसा महसूस किया?
अमेरिका से लेकर चीन और मध्यपूर्व से लेकर यूके तक हम जलाने वाली, पसीने से सराबोर कर देने वाली गर्मी से जूझ रहे हैं। यहां तक कि अंटार्टिका, जहां अभी सर्दियां चल रही हैं, में भी तापमान असामान्य रूप से ज्यादा है जिससे ग्लेशियरों के पिघलने की स्पीड बढ़ गई है और सूर्य वहां ज्यादा तेज चमकने लगा है। यूक्रेन का वेरनाद्स्की शोध केन्द्र, जो इस विशाल बर्फीले महाद्वीप के अर्जेंटीन द्वीप पर स्थित है, में भी जुलाई का अब तक का अधिकतम तापमान 8.7 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।
इस सबका नतीजा है: फसलों को नुकसान और महंगाई – टमाटर 120 रू. किलो बिक रहा है। वायु प्रदूषण – कुछ हफ्ते पहले न्यूयार्क की स्थिति दिल्ली जैसी हो गई थी। और तूफ़ान – बिपरजॉय साईक्लोन जिससे राजस्थान के बाड़मेर में बाढ़ आ गई थी। बढ़ती हुई गर्मी के चलते एसी और कूलरों की संख्या बढ़ रही है जिसका अर्थ है और ज्यादा कोयले, तेल और गैस का खनन और इस्तेमाल, जो कि ग्लोबल वार्मिंग के प्रमुख कारण हैं और जलवायु को बेहतर बनाने की राह में रोड़ा हैं। इसलिए दुनिया की सारी सरकारों के लिए जरूरी है कि वे उल्टी गिनती दर्शाने वाली इस घड़ी पर नजर रखें, हर सड़क और नुक्कड़ पर इसे लगाएं ताकि फॉसिल फ्यूल्स का इस्तेमाल धीरे-धीरे कम करने और दुनिया को रिन्यूएबल एनर्जी के इस्तेमाल की ओर ले जाने के अपने वायदे को पूरा करने की तैयारी कर सकें। वैज्ञानिक जलवायु संकट से चिंतित हैं और इस साल अल नीनो ने इसकी गंभीरता कोई और बढ़ा दिया है। इस हफ्ते की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र विश्व मौसम संगठन (डब्लूएमओ) ने इस संबंध में चेतावनी जारी की। पिछला बड़ा अल नीनो प्रभाव सन् 2016 में हुआ था जो तब तक का सबसे गर्म साल था।
जलवायु परिवर्तन पर अन्तरसरकारी पैनल के अनुसार मानव जाति के पास 1.5 डिग्री का लक्ष्य हासिल करने के लिए केवल 6 वर्ष हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हमें बहुत बुरे हालातों का सामना करना पड़ेगा। घड़ी लगातार टिक-टिक कर रही है, समय बहुत कम है, और दुनिया गर्म होती जा रही है। हमारे नेताओं को और हमें यह समझना होगा कि अगर गर्मी हमारी जान ले लेगी (और वो जान ले रही है) तो आर्थिक प्रगति और समृद्धि हमारे किस काम की रहेगी।
गर्मी बढ़ रही है। हमारे शरीर में इलेक्ट्रोलाईट्स की कमी हो रही है और मैं सोच रही हूं आखिर क्या हासिल करने के लिए हम इस धरती को नष्ट कर रहे हैं? क्या तबाही ही मानव की विरासत है? ये विचार डरावने और भयावह हैं। (कॉपी: अमरीश हरदेनिया)