देश में आमने सामने के चुनाव का मैदान सज गया है। कई दशक के बाद पहली बार यह होता दिख रहा है कि लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर दो गठबंधनों के बीच सीधा मुकाबला होगा और राज्यों में भी लोकसभा का चुनाव आमने सामने का होगा। जहां गठबंधन नहीं है वहां भी कोई त्रिकोणात्मक मुकाबला होता नहीं दिख रहा है। विपक्षी गठबंधन ने आमने सामने चुनाव की तैयारी वोट के गणित के आधार पर की है। पिछले चुनाव में भाजपा को 37 फीसदी वोट मिले थे और तमाम सहयोगियों को मिला कर उसका वोट 40 फीसदी पहुंचा था। Lok Sabha Election 2024
इसका मतलब था कि 60 फीसदी मतदाताओं ने भाजपा के खिलाफ वोट डाला था। विपक्षी गठबंधन की कोशिश इस 60 फीसदी वोट का 70 फीसदी हासिल करना है। अगर ऐसा हो जाता है तो उसका वोट भाजपा से ज्यादा हो जाएगा। तभी दूसरी ओर भाजपा ने सबसे ज्याद वोट हासिल करके 272 का जादुई आंकड़ा पार करने की बजाय 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करके 370 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए के लिए चार सौ सीटें हासिल करने का लक्ष्य तय किया है। Lok Sabha Election 2024
अब तक हुए लोकसभा के 17 चुनावों में चार सौ सीट तो एक बार कांग्रेस पार्टी को हासिल हो चुकी है लेकिन किसी पार्टी को 50 फीसदी वोट नहीं मिले हैं। जब राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 1984 में 415 सीटें हासिल की थीं, तब भी कांग्रेस को 48 फीसदी ही वोट मिले थे। नरेंद्र मोदी को बतौर प्रधानमंत्री 2019 में 303 सीटें और 37 फीसदी वोट मिले थे। इस बार वे 50 फीसदी वोट हासिल करने का लक्ष्य लेकर लड़ रहे हैं तो दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन बिखरे हुए विपक्षी वोट को एकजुट करने और उसका बड़ा हिस्सा हासिल करने की तैयारी के साथ चुनाव लड़ रहा है। ध्यान रहे इससे पहले जब भी आमने सामने का चुनाव हुआ है तब सत्तारुढ़ दल की हार हुई है। Lok Sabha Election 2024
पहली बार 1977 में और दूसरी बार 1989 में यह देखने को मिला था। तभी इस बार का लोकसभा चुनाव बहुत अहम होने वाला है। इसमें यह तय होगा कि विपक्ष एकजुट होकर भी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को हरा पाएगा नहीं और इतने ध्रुवीकरण के बाद कोई गठबंधन 50 फीसदी वोट हासिल कर पाता है या नहीं? Lok Sabha Election 2024
कई जानकार मान रहे हैं कि इस बार विपक्ष का वैसा गठबंधन नहीं है, जैसा 1977 में था या जिस तरह का गठबंधन 1989 में था। लेकिन ऐसा नहीं है। इस बार भी विपक्षी पार्टियों ने आमने सामने की लड़ाई का गठबंधन बना लिया है और जहां गठबंधन बना हुआ नहीं दिख रहा है वहां उसे जान बूझकर छोड़ा गया है। यानी गठबंधन को उसी तरह से डिजाइन किया गया है। वहां भी मुकाबले आमने सामने का ही होगा। तीन राज्य अपवाद हैं, जहां त्रिकोणात्मक मुकाबले की संभावना फिलहाल दिख रही है।
पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच मुकाबला होगा, जिसमें तीसरा कोण अकाली दल और भाजपा की वजह से बनेगा। इसी तरह आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस बनाम टीडीपी गठबंधन का मुकाबला होगा, जिसमें तीसरा कोण बनने की कोशिश कांग्रेस कर रही है। तीसरा राज्य तेलंगाना है, जहां कांग्रेस और केसीआर की पार्टी का मुकाबला होगा, जिसमे भाजपा तीसरा कोण बनेगी। इसके अलावा तीन राज्य ऐसे हैं, जहां तीसरी पार्टी लड़ेगी लेकिन मुकाबला त्रिकोणात्मक नहीं होगा।
केरल में लेफ्ट और कांग्रेस मोर्चे का आमने सामने का मुकाबला है। भाजपा अकेले लड़ेगी लेकिन वह लड़ाई को त्रिकोणात्मक नहीं बना पाएगी। इसी तरह पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस और भाजपा की लड़ाई होगी, जिसमें अगर कांग्रेस अलग भी रही तो वह और लेफ्ट मिल कर तीसरा कोण नहीं बन पाएंगे। केरल और पश्चिम बंगाल में मुकाबला आमने सामने का ही होगा। ओडिशा में मुकाबला बीजू जनता दल बनाम भाजपा है, जबकि कांग्रेस तीसरा कोण बनाने की कोशिश करेगी। कह सकते हैं कि देश की 543 लोकसभा सीटों में से साढ़े चार सौ से ज्यादा सीटों पर आमने सामने की लड़ाई होनी है।
आमने सामने की लड़ाई यानी भाजपा के एक उम्मीदवार के मुकाबले विपक्ष का एक उम्मीदवार उतारने के सिद्धांत पर पिछले साल मई में चर्चा हुई थी और सहमति भी बनी थी। लेकिन बाद में ऐसा लगा कि विपक्ष की यह रणनीति कागजी बन कर रह जाएगी क्योंकि कांग्रेस हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में चुनाव हार गई और उसके बाद विपक्षी गठबंधन के मुख्य नेता नीतीश कुमार अलग होकर वापस एनडीए में चले गए। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि विपक्षी पार्टियां उस झटके से उबर गई हैं और एकजुट होकर लड़ने की तैयारी कर रही हैं। Lok Sabha Election 2024
जिन दो राज्यों के नेताओं को लेकर सबसे ज्यादा आशंका जताई जा रही थी उन्होंने कांग्रेस के साथ तालमेल कर लिया। अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल को लेकर आशंका जताई जा रही थी। लेकिन अखिलेश ने कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में 17 सीटें दीं, जिसके बदले में कांग्रेस उनके लिए मध्य प्रदेश में एक सीट छोड़ने पर राजी हो गई। इसी तरह कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली, हरियाणा, गुजरात और गोवा में तालमेल कर लिया।
कांग्रेस की जहां पुरानी सहयोगी पार्टियां हैं यानी जहां पुराना यूपीए मौजूद है वहां भी जल्दी ही तालमेल हो जाएगा। महाराष्ट्र में कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने 48 में से 40 सीटों का फैसला कर लिया है। आठ सीटों पर मामला अटका है, जिसमें छह सीटें मुंबई की हैं। तमिलनाडु में डीएमके ने कांग्रेस को नौ सीटें देने का ऐलान कर दिया है लेकिन तीन या चार सीटों पर अदला बदली की चर्चा हो रही है। Lok Sabha Election 2024
इसी तरह बिहार, झारखंड और जम्मू कश्मीर में भी पुरानी सहयोगी पार्टियों के साथ सीटों पर कमोबेश सहमति बन गई है। इस तरह देश के ज्यादातर राज्यों में एनडीए बनाम ‘इंडिया’ की लड़ाई का मैदान सज गया है। विपक्षी गठबंधन ने धीरे धीरे चुनाव का एजेंडा तय करना भी शुरू कर दिया है। Lok Sabha Election 2024
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