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मध्यकाल के तरीकों से महिला सुरक्षा?

UP Women CommissionImage Source: facebook

UP Women Commission: उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कुछ मध्यकालीन उपाय आजमाने की तैयारी हो रही है। आधुनिक विश्व में अफगानिस्तान, ईरान आदि कुछ देशों में ऐसे उपाय सफलतापूर्वक आजमाए जा रहे हैं।

संभवतः उनकी सफलता से प्रेरणा लेकर उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने भी उन उपायों को आजमाने की पहल की है। पता नहीं आगे क्या होगा लेकिन अगर उत्तर प्रदेश महिला आयोग जिन उपायों पर चर्चा कर रहा है उन पर अमल हो गया तो भविष्य में बनने वाले महान भारत की एक झलक दिखेगी।

हालांकि उससे महिलाएं कितनी सुरक्षित होंगी यह नहीं कहा जा सकता है। क्योंकि जो उपाय सुझाए जा रहे हैं वो महिलाओं की सुरक्षा कम सुनिश्चित करेंगे और उनका सामाजिक अलगाव ज्यादा बढ़ाएंगे।

अगर इन उपयों पर अमल हुआ तो पहले से जो सार्वजनिक स्पेस में महिलाओं की उपस्थिति कम है और वह और घटेगी।

तभी उत्तर प्रदेश महिला आयोग ने राज्य की महिलाओं की सुरक्षा के लिए जो उपाय सुझाएं हैं, उन पर चर्चा जरूरी है।

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उत्तर प्रदेश महिला आयोग चाहता है…

उत्तर प्रदेश महिला आयोग चाहता है कि राज्य में पुरुष टेलर मास्टर महिलाओं के कपड़ों की नाप न लें। इसका मतलब है कि हर दर्जी की दुकान में या बुटीक में महिलाओं की नाप के लिए महिला टेलर मास्टर रखना होगा।

अभी यह प्रस्ताव सिर्फ नाप लेने तक है। हो सकता है कि आगे इस प्रस्ताव पर भी विचार हो कि महिलाओं के कपड़ों को कोई पुरुष दर्जी हाथ भी नहीं लगा सकेगा।

क्योंकि उससे भी महिलाओं की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। सबको अपनी  दुकान में सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे ताकि यह देखा जा सके कि कोई पुरुष दर्जी किसी महिला की ड्रेस को हाथ तो नहीं लगा रहा है।

इसी तरह उत्तर प्रदेश महिला आयोग का एक प्रस्ताव है कि जिम में और योग कक्षाओं में पुरुष ट्रेनर महिलाओं को नहीं सिखाएंगे। यानी महिलाओं के लिए जिम में महिला ट्रेनर रखना होगा और योग गुरू भी महिलाएं होंगी।

पता नहीं यह नियम और कहां लागू

पता नहीं यह नियम टेलीविजन वगैरह पर योग सिखाने वालों पर लागू होगा या नहीं।

अगर आगे यह प्रस्ताव किया गया कि घर में भी महिलाएं टेलीविजन पर पुरुष योग शिक्षकों को देख कर योग की प्रैक्टिस नहीं करेंगी तो रामदेव और बालकृष्ण जैसे योग सिखाने वालों के लिए मुश्किल पैदा हो सकती है।

और वैसे भी रामदेव तो ‘शरीर के उपरार्ध के लज्जा निवारण के लिए’ जो वस्त्र होता है वह भी धारण नहीं करते हैं।

बहरहाल, उत्तर प्रदेश महिला आयोग का विचार है कि सैलून और ब्यूटी पार्लर में पुरुषों को महिलाओं के बाल नहीं काटने चाहिए। यानी महिला हेयर ड्रेसर ही महिलाओं के बाल काटे।

महिलाओं की सुरक्षा तो सुनिश्चित

इससे महिलाओं की सुरक्षा तो सुनिश्चित होगी ही ये जो जावेद हबीब किस्म के लोग बड़े डिजाइनर हेयर स्टाइलिस्ट बने फिरते हैं उनको भी इसके जरिए सबक सिखाया जा सकेगा।

ऐसे ही महिला आयोग चाहता है कि कपड़े, कॉस्मेटिक्स, ज्वेलरी आदि की दुकानों पर महिलाओं को सामान दिखाने या पसंद कराने के काम भी पुरुषों से नहीं कराया जाना चाहिए।

वहां भी महिलाएं ही महिलाओं को कपड़े आदि दिखाएं और पसंद कराएं। बसों में तो महिला सुरक्षाकर्मी रखने पर तो खैर महिला आयोग विचार कर ही रहा है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उत्तर प्रदेश महिला आयोग या उसकी देखादेखी किसी और राज्य के महिला आयोग की ओर से इससे आगे के सुझाव आते हैं या नहीं।

आगे हो सकता है कि कोई यह सिफारिश करे कि पुरुष और महिलाएं एक बस, एक ट्रेन या एक हवाई जहाज में यात्रा नहीं कर सकेंगी। महिला और पुरुष एक साथ एक स्कूल या कॉलेज में नहीं पढ़ सकेंगे।

महिलाओं को अलग क्लास में महिलाएं पढ़ाएंगी

महिलाओं को अलग क्लास में महिलाएं पढ़ाएंगी और पुरुषों छात्रों की कक्षाएं अलग लगेंगी। महिलाएं जिस बस में चलेंगी उसे महिलाएं ही चलाएंगी और उसमें पुरुषों को यात्रा करने की इजाजत नहीं होगी।

रेस्तरां में महिलाओं को कोई पुरुष वेटर सर्व नहीं करेगा।

अगर हो सके तो एक टेबल पर पुरुष और महिलाओं के साथ बैठ कर खाना खाने पर भी रोक लगनी चाहिए

कम से कम आधार कार्ड जरूर चेक हो और एक परिवार के पुरुष व महिला को ही साथ बैठने दिया जाए। इस तरह की और भी सिफारिशें हो सकती हैं।

असल में उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों एक जिम ट्रेनर ने एक महिला की हत्या कर दी थी। उसके बाद ही महिला आयोग ने महिलाओं की सुरक्षा के उपायों पर विचार किया और 28 अक्टूबर की बैठक में सभी सदस्यों की सामूहिक राय बनी कि अगर पुरुष ट्रेनर महिलाओं को जिम में नहीं सिखाएंगे तो महिलाएं सुरक्षित हो जाएंगी।

इस विचार की मौलिकता और सदस्यों की दूररदर्शिता पर सोचेंगे तो आश्चर्यमिश्रित खुशी होगी कि ऐसे महान लोगों को पैदा करने के लिए ‘भगवान ने एक बार फिर भारत भूमि को ही चुना है’। साथ ही यह सोच कर दुख भी होगा कि अभी तक इन सुझावों पर विचार ही क्यों हो रहा है, इन्हें लागू क्यों नहीं कर दिया गया!

बहरहाल, कई जगहों से, जिसमे उत्तर प्रदेश भी शामिल है, ऐसी खबरें आती हैं कि शिक्षक ने छात्रा के साथ बलात्कार किया या बलात्कार के बाद हत्या कर दी।

लेकिन पता नहीं क्यों महिला आयोग ने अभी तक यह प्रस्ताव नहीं रखा है कि लड़कियों को सिर्फ महिला शिक्षक ही पढ़ाएंगी और पुरुष छात्रों की कक्षा अलग लगेगी?

इसी तरह डॉक्टर या स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा भी महिला रोगियों के साथ बलात्कार करने की खबरें आती हैं तो यूपी महिला आयोग के हिसाब से तर्कसंगत बात तो यही होगी कि अस्पतालों में यह अनिवार्य किया जाए कि महिला रोगियों का इलाज महिला डॉक्टर ही करेंगी।

इसी तरह कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या का आरोप सिविल डिफेंस के पुरुष कर्मचारी संजय रॉय पर लगा है।

सो, तत्काल यह प्रस्ताव आना चाहिए कि सिविल डिफेंस में कहीं भी पुरुष कर्मचारी नहीं रखा जाएगा।

उत्तर प्रदेश महिला आयोग की ओर से कहा जा सकता है कि इस तरह के उपायों से न सिर्फ महिलाएं सुरक्षित होंगी, बल्कि महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

सोचें, इन उपायों पर और देश की दुर्दशा पर!

सोचें, इन उपायों पर और देश की दुर्दशा पर! अमेरिका में भारतीय मूल की एक महिला सुनीता विलियम्स महीनों से अंतरिक्ष में फंसी हैं।

अगले तीन महीने तक उनकी वापसी की संभावना नहीं है और यहां भारत के सबसे बड़े राज्य में महिला आयोग सुझाव दे रहा है कि महिलाओं के कपड़ों की नाप पुरुष नहीं लें!

एक तरफ भारत में ही महिलाएं ट्रेन और जहाज उड़ा रही हैं तो दूसरी ओर कहा जा रहा है कि महिलाओं को जिम व योग क्लास में पुरुष ट्रेनर न सिखाएं! एक तरफ महिला सैन्य अधिकारियों को कमीशन देने

सीमा पर उनको नेतृत्व सौंपने की बात हो रही है तो दूसरी ओर कहा जा रहा है कि महिलाओं के बाल पुरुष हेयर ड्रेसर नहीं काटे।

धार्मिक, सामाजिक कारणों से जो भी इस तरह के प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं उनको सोचना चाहिए कि ऐतिहासिक रूप से देश की आधी आबादी के साथ जो अन्याय हुआ है अब उसे ठीक करने का समय है।

उनके लिए हर अवसर के दरवाजे खोलने का समय है। अगर महिलाएं टेलर की दुकान में या जिम में या सैलून में सुरक्षित नहीं हैं तो यह सरकारों की विफलता है।

सरकारों को सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करनी चाहिए और महिलाओं के खिलाफ अपराध में शामिल आरोपियों को जल्दी से जल्दी सजा दिलाने की व्यवस्था करनी चाहिए।

इसकी बजाय महिलाओं को रोकने और उनके अवसर सीमित करने का कोई भी प्रस्ताव सिरे से खारिज होना चाहिए।

By अजीत द्विवेदी

संवाददाता/स्तंभकार/ वरिष्ठ संपादक जनसत्ता’ में प्रशिक्षु पत्रकार से पत्रकारिता शुरू करके अजीत द्विवेदी भास्कर, हिंदी चैनल ‘इंडिया न्यूज’ में सहायक संपादक और टीवी चैनल को लॉंच करने वाली टीम में अंहम दायित्व संभाले। संपादक हरिशंकर व्यास के संसर्ग में पत्रकारिता में उनके हर प्रयोग में शामिल और साक्षी। हिंदी की पहली कंप्यूटर पत्रिका ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, टीवी के पहले आर्थिक कार्यक्रम ‘कारोबारनामा’, हिंदी के बहुभाषी पोर्टल ‘नेटजाल डॉटकॉम’, ईटीवी के ‘सेंट्रल हॉल’ और फिर लगातार ‘नया इंडिया’ नियमित राजनैतिक कॉलम और रिपोर्टिंग-लेखन व संपादन की बहुआयामी भूमिका।

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