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मजबूरी में मध्य वर्ग को रैवड़ी

modi budget 2025Image Source: ANI

modi budget 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के पहले पूर्ण बजट को लेकर सुरजीत भल्ला जैसे अर्थशास्त्री उम्मीद कर रहे थे कि यह 1991 के पीवी नरसिंह राव की सरकार के बजट की तरह हो सकता है।

उन्होंने उम्मीद जताई थी कि 2025 का बजट 1991 का क्षण होगा। दूसरी तरफ कुछ अन्य अर्थशास्त्री पी चिदंबरम के 1987 के ड्रीम बजट की तरह का बजट आने की उम्मीद कर रहे थे।

निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया उसे देख कर यह नहीं कहा जा सकता है कि किसकी उम्मीदें कितनी पूरी हुईं। लेकिन यह जरूर है कि सबको कुछ न कुछ देकर खुश करने का प्रयास इस बजट में किया गया है।

वित्त वर्ष 2025-26 के आम बजट की जो सबसे  सहज और सरल व्याख्या हो सकती है वह ये है कि इस बजट के जरिए वित्त मंत्री ने हर बॉक्स में सही का निशान लगाया है।

आय पर कर छूट के अलावा किसी भी दूसरी चीज के साथ ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की गई है। कहीं अगर बजट आवंटन कम हुआ या बढ़ा है तो वह इतना कम है कि ज्यादा फर्क नहीं दिख रहा है।

सरकार ने कोई नीतिगत बदलाव नहीं किया है। जिस आर्थिक सुधार की उम्मीद की जा रही थी वह कहीं नहीं दिखी है।(modi budget 2025)

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बजट के बारे में कुछ भी कहने से पहले नरेंद्र मोदी सरकार की इस बुनियादी खूबी को समझना जरूरी है कि सरकार का हर कदम चुनावी राजनीति के लिहाज से उठाया जाता है।

दूसरी बुनियादी खूबी यह है कि नरेंद्र मोदी और उनकी टीम किसी गलती को सुधारने में बहुत समय नहीं लगाते हैं। यानी कोर्स करेक्शन तुरंत किया जाता है।

इन दो कसौटियों पर बजट को देखने की जरुरत है। ध्यान रहे पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में देश के मतदाताओं ने भाजपा को झटका दिया था।(modi budget 2025)

मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को पहली बार इस तरह के झटके का सामना करना पड़ा। सो, सरकार ने तत्काल कोर्स करेक्शन शुरू किया।

इसलिए तीसरी सरकार के पहले पूर्ण बजट में उन तमाम सेक्टर्स में बदलाव का प्रयास दिखा, जो भाजपा के समर्थक मतदाता समूहों से जुड़ा है।

यह कांग्रेस और भाजपा दोनों की सरकारों का फर्क है। कांग्रेस को 2009 के लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत मध्य वर्ग ने दिलाई थी, जो मनमोहन सिंह सरकार द्वारा अमेरिका के साथ की गई परमाणु संधि से खुश हुआ था। लेकिन कांग्रेस ने जनादेश की गलत व्याख्या की और मध्य वर्ग को पूरी तरह से छोड़ दिया।

भाजपा ने ऐसा नहीं किया

भाजपा ने ऐसा नहीं किया है। भाजपा ने 2024 में मिले जनादेश की गलत व्याख्या नहीं की है। 2024 का नैरेटिव यह है कि गरीब, पिछड़े, दलित, वंचित, आदिवासी आदि समूह भाजपा के खिलाफ हो गए

जाति गणना, आरक्षण बढ़ाने और संविधान बचाने का कांग्रेस व विपक्षी पार्टियों का नैरेटिव कामयाब हुआ, जिससे भाजपा की सीटें कम हुईं।(modi budget 2025)

लेकिन भाजपा को पता है कि समस्या वह नहीं है। कम से कम नरेंद्र मोदी के केंद्र में रहते ओबीसी वोट की समस्या भाजपा के सामने नहीं आएगी। भाजपा की असली समस्या मध्य वर्ग की उदासीनता है।

भाजपा को लग रहा था कि सिर्फ वैचारिक फैसलों से मध्य वर्ग को भावनात्मक रूप से अपने साथ जोड़े रख सकती है।

सलिए 2019 से 2024 के कार्यकाल में भाजपा ने अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला किया और राममंदिर का उद्घाटन किया।

उसको लग रहा था कि इतने भर से मध्य वर्ग भाजपा का साथ देता रहेगा। मध्य वर्ग इससे संतुष्ट तो हुआ लेकिन उसे अपनी सरकार से कुछ और चाहिए था।

12 लाख तक की सालाना आय कर मुक्त(modi budget 2025)  

मध्य वर्ग को दिख रहा था कि सरकार किसान सम्मान निधि के नाम पर लाखों करोड़ रुपए बांट रही है। मुफ्त अनाज योजना पर लाखों करोड़ बांटे जा रहे हैं।

राज्यों की सरकारें महिला सम्मान योजना के नाम पर हजारों करोड़ रुपए बांट रही है। इन सबके बदले मध्य वर्ग को कुछ नहीं मिल रहा था उलटे उसके ऊपर कर का बोझ बढ़ रहा था।

तभी उसकी उदासीनता बढ़ रही थी। इस बार बजट में उस वर्ग में फिर से उत्साह जगाने और सक्रिय होकर भाजपा के साथ जुड़ने के लिए बड़ा कदम उठाया गया है।

पहली बार किसी सरकार ने कमाई पर लगने वाले कर में इतनी बड़ी छूट दी है। सरकार ने एक झटके में 12 लाख रुपए तक की सालाना आय को कर से पूरी तरह से मुक्त कर दिया है।

यह मध्य वर्ग को बड़ी राहत देने वाली बात है। सरकार ने एक साथ इतनी बड़ी छूट देकर यह भी सुनिश्चित किया है कि मध्य वर्ग कंजूसी छोड़ कर खर्च करना शुरू करे।(modi budget 2025)

खर्च बढ़ना इसलिए जरूरी है ताकि आर्थिकी की गाड़ी की रफ्तार बढ़े। भाजपा की राजनीतिक मजबूरी थी कि मध्य वर्ग को खुश करे लेकिन यही आर्थिक मजबूरी भी थी।

उसने पूंजीगत खर्च करके देख लिया। अब समझ में आया है कि लोगों के हाथ में पैसा नहीं होगा और लोग खर्च नहीं करेंगे तो आर्थिकी की गाड़ी आगे नहीं बढ़ेगी। इसलिए उसने लोगों के हाथ में पैसे छोड़ने का फैसला किया।

स्वास्थ्य के बजट को 1.94 फीसदी

लेकिन ऐसा नहीं है कि इसके लिए किसी और नाराज किया गया है। आम बजट में बाकी समूहों के लिए जो आवंटन होता है उसमें कोई खास बदलाव नहीं किया गया है।

कटौती या बढ़ोतरी इतनी मामूली है कि किसी को पता नहीं चलेगा। मिसाल के तौर पर सरकार ने सामाजिक सुरक्षा की सबसे बड़ी योजना महात्मा गांधी नरेगा में आवंटन पिछली बार की तरह 86 हजार करोड़ रुपए का ही रखा है।

अगर जरुरत हुई तो बाद में इसे संशोधित किया जा सकता है। इसके अलावा सामाजिक विकास की योजनाओं में थोड़ा थोड़ा ही सही लेकिन बढ़ोतरी की गई है।(modi budget 2025)

जैसे सरकार ने ग्रामीण विकास के बजट में बड़ा यानी करीब सवा फीसदी की बढ़ोतरी की है। रुपए में कहें तो 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का इजाफा किया है।

पिछले बजट में ग्रामीण विकास के लिए संशोधित बजट आवंटन कुल बजट का 4.04 फीसदी था, जो इस बार 5.27 फीसदी कर दिया गया है।

इसी तरह स्वास्थ्य के बजट को 1.87 फीसदी से बढ़ा कर 1.94 फीसदी किया गया है।

उच्च शिक्षा के बजट को सरकार ने 0.99 फीसदी पर स्थिर रखा है तो स्कूली शिक्षा का बजट 1.43 फीसदी से बढ़ा कर 1.55 फीसदी कर दिया गया है। समाज कल्याण में भी आवंटन 0.99 फीसदी से बढ़ा कर 1.19 फीसदी कर दिया गया है।

भाजपा समर्थकों की नजर रक्षा बजट पर

बुनियादी ढांचा सेक्टर में जरूर सरकार ने बहुत बढ़ोतरी नहीं की है लेकिन वहां भी ओवरऑल आवंटन बढ़ा है।(modi budget 2025)

सरकार ने उसमें 11 हजार करोड़ रुपए की प्रतीकात्मक बढ़ोतरी की है और उसे 11.21 लाख करोड़ रुपए पर रखा है। रोड परिवहन में आवंटन 5.95 से घटा कर 5.67 फीसदी और संचार के सेक्टर में आवंटन 2.64 से घटा कर 1.60 फीसदी किया गया है।

लेकिन ऊर्जा सेक्टर में आवंटन को 0.42 से बढ़ा कर 0.43 फीसदी किया गया है और आवास सेक्टर में आवंटन को 1.35 फीसदी से बढ़ा कर 1.91 फीसदी कर दिया गया है।

जाहिर है सरकार ने उस सेक्टर में आवंटन कम किया है, जिसमें निजी क्षेत्र की कंपनियां ज्यादा काम कर रही हैं। आवास जैसे सेक्टर में आवंटन बढ़ाया है क्योंकि सरकार को ज्यादा से ज्यादा लोगों को सस्ते आवास मुहैया कराने हैं।

सरकार को पता है कि भाजपा समर्थकों की नजर रक्षा बजट पर भी होती है।(modi budget 2025)

इसलिए उसमें ज्यादा छेड़छाड़ नहीं की गई है। सरकार ने रक्षा निर्माण का क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए खोल दिया है।

साथ ही रक्षा खर्च का आवंटन 13.45 फीसदी पर रखा है, जो पहले 13.59 फीसदी थी। इसमें पेंशन और अन्य खर्च भी शामिल हैं।

सरकार ने विज्ञान व प्रौद्योगिकी के बजट आवंटन में बहुत बड़ा इजाफा किया है। पिछली बार इस सेक्टर में आवंटन 0.31 फीसदी था, जिसे बढ़ा कर 0.76 फीसदी कर दिया गया है। यानी दोगुने से ज्यादा बढ़ोतरी की गई है। सरकार रिसर्च पर खर्च बढ़ाना चाहती है।

बीमा सेक्टर में विदेशी निवेश की मंजूरी (modi budget 2025)

सरकार ने किसी सेक्टर में कोई नीतिगत बदलाव नहीं किया सिवाए इसके कि बीमा सेक्टर में सौ फीसदी विदेशी निवेश की मंजूरी दी।

बजट से एक दिन पहले सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार की ओर से तैयार जो आर्थिक सर्वे पेश किया गया उसमें कहा गया था कि सरकार रास्ते से हटे और निजी सेक्टर को विकास की बागडोर थमाए।

लेकिन सरकार ने इस दिशा में सावधानी से कदम उठाया है। कृषि से लेकर एमएसएमई और स्टार्ट अप से लेकर महिला तक को सरकार ने कर्ज लेने की सुविधा तो बढ़ाई है लेकिन कोई बड़ा आवंटन नहीं किया है।

गिग वर्कर्स की मौजूदगी को स्वीकार करना, उनका पहचान पत्र बनाना और उन्हें पांच लाख रुपए तक की मुफ्त इलाज की योजना में शामिल करना एक सीमित लेकिन अच्छी पहल है।(modi budget 2025)

By अजीत द्विवेदी

संवाददाता/स्तंभकार/ वरिष्ठ संपादक जनसत्ता’ में प्रशिक्षु पत्रकार से पत्रकारिता शुरू करके अजीत द्विवेदी भास्कर, हिंदी चैनल ‘इंडिया न्यूज’ में सहायक संपादक और टीवी चैनल को लॉंच करने वाली टीम में अंहम दायित्व संभाले। संपादक हरिशंकर व्यास के संसर्ग में पत्रकारिता में उनके हर प्रयोग में शामिल और साक्षी। हिंदी की पहली कंप्यूटर पत्रिका ‘कंप्यूटर संचार सूचना’, टीवी के पहले आर्थिक कार्यक्रम ‘कारोबारनामा’, हिंदी के बहुभाषी पोर्टल ‘नेटजाल डॉटकॉम’, ईटीवी के ‘सेंट्रल हॉल’ और फिर लगातार ‘नया इंडिया’ नियमित राजनैतिक कॉलम और रिपोर्टिंग-लेखन व संपादन की बहुआयामी भूमिका।

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