हरियाणा में चुनाव की घोषणा हो जाने के बाद भी कांग्रेस की आंतरिक कलह समाप्त नहीं हो रही है। पार्टी दो गुटों में बंटी हुई है और दोनों के नेता खुल कर एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं। पिछले दिनों चुनाव पर विचार के लिए बैठक हुई तो बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने ही राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा और प्रदेश अध्यक्ष उदयभान भिड़ गए। दोनों ने एक दूसरे पर आरोप लगाए। बाद में कुमारी शैलजा ने कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की और सफाई पेश की। बताया जा रहा है कि उन्होंने सोनिया गांधी के सामने भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा की शिकायत की। हुड्डा परिवार को सारी ताकत दिए जाने का उन्होंने विरोध किया। हुड्डा विरोधी खेमा यह दावा कर रहे है कि अगर इन उनके भरोसा रहा गया तो पिछली बार की तरह ही कांग्रेस 30 के करीब सीटें तो जीत सकती है लेकिन सरकार नहीं बनेगी।
तभी कहा जा रहा है कि अब सोनिया गांधी पहल करके गुटबाजी खत्म कराएंगी। ध्यान रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा दोनों पुराने नेता हैं और राहुल गांधी के सक्रिय राजनीति में आने से पहले कांग्रेस के बड़े नेता थे। तभी सोनिया गांधी खुद पहल कर रही हैं। हुड्डा विरोधी खेमे में रणदीप सुरजेवाला भी हैं, जिनको राहुल गांधी ने आगे बढ़ाया। इस खेमे की एक नेता किरण चौधरी पार्टी छोड़ कर भाजपा में जा चुकी हैं। फिर भी कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने हुड्डा विरोधी मशाल जलाई हुई है। कांग्रेस को स्वतंत्र रूप से यह फीडबैक है कि अगर दोनों खेमों में सुलह नहीं हुई तो कांग्रेस का संकट बढ़ जाएगा। माना जा रहा है कि शैलजा की वजह से जाट के साथ दलित जुड़ेंगे और तभी कांग्रेस भाजपा के बड़े सामाजिक समीकरण का मुकाबला कर पाएगी। राज्य में चुनाव की घोषणा हो गई है और एक चरण में सभी 90 सीटों पर एक अक्टूबर को मतदान होगा। इसकी अधिसचूना पांच सितंबर को जारी होगी। उससे पहले सोनिया गांधी को विवाद सुलझाना होगा।