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चुनावी सभा में ट्रप पर हमला, पीएम मोदी ने दोस्त पर हुए हमले पर जताया दुख…

attack on trump: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में लगभग 100 दिन ही शेष बचे है. और ऐस में दुनिया के सबसे बड़े और ताकतवर देश अमेरिका में आत्मघाती हमला हो गया है. ट्रंप पर 14 जुलाई रविवार सुबह अचानक गोलिया चलने लगती है. इस भयावह और दिल-दहलाने वाले नजारे से अफरा-तफरी मचने लगती है. इस घटनाक्रम ने अमेरिका नही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर सरेआम हमला कर दिया गया. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हमले का कारण अभीतक साफ नहीं हो पाया है. पूर्व राष्ट्रपति पर हुए हमले का जवाब ना तो राष्ट्रपति बाइडेन के पास है और न ही जांच एजेंसी FBI के पास है. पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हमले के 18 घंटे बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने देश को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कई बातें कहीं. बाइडेन ने कहा कि अभी तक ट्रंप पर हमले का कोई मोटिव पता नहीं चला है. ट्रंप पर हुए हमले के बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 2 बार संबोधित किया है. घटनास्थल से एक AR-15 सेमी-ऑटोमेटिक राइफल बरामद हुई है.

हमले के बाद पीएम मोदी का ट्वीट

अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप पेंसिल्वेनिया के बटलर में चुनावी रैली कर रहे थे इस दौरान ट्रंप पर जानलेवा हमला किया गया. भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना पर अपने विचार व्यक्त किया है. पीएम मोदी ने कहा- “मेरे दोस्त”, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले से बेहद चिंतित हूं. घटना की कड़ी निंदा करता हूं. राजनीति और लोकतंत्र में हिंसा का कोई जगह नहीं है. उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं. हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं मृतकों के परिवार, घायलों और अमेरिकी लोगों के साथ हैं. आपकों बता दें कि विश्व मीडिया में पीएम मोदी और ट्रंप को बहुत अच्छा दोस्त माना जाता है. ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान पीएम मोदी अमेरिका भी गए थे. उसके बाद पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप 2020 में भारत यात्रा पर भी आए थे. ट्रंप और पीएम मोदी को बहुत अच्छा दोस्त माना जाता है.

हमलावर ट्रंप की ही पार्टी का आदमी

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर 14 जुलाई रविवार सुबह जानलेवा हमला हुआ. पेंसिल्वेनिया के बटलर शहर में एक चुनावी रैली में ट्रंप अपना भाषण दे रहे थे. उसी समय ट्रंप पर अचानक हु गोलीबारी वे बाल-बाल बच गए. एसॉल्ट राइफल से चली गोली उनके कान को छूते हुए गुजर गई. ट्रम्प की सुरक्षा में तैनात सीक्रेट सर्विस के स्नाइपर्स ने 20 साल के हमलावर को तुरंत ढेर कर दिया. उसकी पहचान थॉमस मैथ्यू क्रूक्स के तौर पर हुई. फायरिंग में एक आम नागरिक की भी मौत हुई है. उधर, अमेरिकी जांच एजेंसी FBI ने जो कहा है, वह भी चौंकाने वाला है. जांच एजेंसी ने कहा कि हमलावर अकेला था. उसने ट्रंप पर हमला क्यों किया गया? FBI के डायरेक्टर क्रिस्टोफर रे ने कहा कि शूटर भले ही मर गया हो लेकिन उसकी जांच जारी है. FBI के डायरेक्टर क्रिस्टोफर ने कहा कि कल हमने जो देखा वह ट्रंप पर हमला नहीं बल्कि लोकतंत्र और हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर हमला था. FBI ने आगे बताया कि हमलावर थॉमस मैथ्यू क्रूक्स के वोटर आईडी कार्ड से पता चला है कि वो ट्रंप की ही रिपब्लिकन पार्टी से था. उसने बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े एक ग्रुप को 15 डॉलर (1250 रुपए) का चंदा भी दिया था. ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव से पहले दुनिया के शक्तिशाली मुल्क के पूर्व राष्ट्रपति पर हमला होना सवालिया निशान खड़े करता है.

 

हमले से चुनावों में मिलेगी सहानुभूति

गोली ट्रंप के दाहिने कान में लगी और कान के ऊपरी हिस्से को छेदते हुए पार हो गई. तुरंत सीक्रेट सर्विस के एजेंट्स ने ट्रंप को घेरकर अपनी निगरानी में ले लिया. फायरिंग के ठीक बाद जब सीक्रेट सर्विस के एजेंट ट्रंप को लेजा रहे थे तब खून से लथपथ चेहरे के साथ ट्रंप ने अपना कसा हुआ मुक्का ऊपर उठाकर जनता के बीच लहराया और चुनाव में और मजबूती से लड़ने का अपने समर्थकों को संदेश दिया. अब सवाल उठ रहा है कि क्या इस हमले से नवंबर में होने वाले चुनावों पर असर पड़ेगा? अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में अमेरिका की हवा बदल जाएगा? क्या बाइडेन के मुकाबले ट्रंप के समर्थन में तेजी से बढ़ोत्तरी होगी. क्या अमेरिका में ट्रंप के पक्ष में नई लहर चल पड़ेगी. वैसे भी अब तक के चुनाव प्रचार में ट्रंप अपने प्रतिद्वंदी बाइडेन से आगे ही दिख रहे थे. आखिर इस हमले की तस्वीरों से अमेरिकी आम आदमी और वोटर्स के मन पर क्या असर हो सकता है? अब ये मुद्दा पूरे चुनाव कैंपेन को नई दिशा दे सकता है. बाइडेन की उम्मीदवारी को लेकर घिरे डेमोक्रेट्स प्रशासन के ऊपर ये हमला सवालों को और तीखा कर सकता है. विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाया है कि जब इतना अहम नेता अमेरिका में सुरक्षित नहीं है तो फिर कौन सुरक्षित है.

 

इतिहास खुद को दोहरा रहा..

अमेरिका में अगर सियासत और हिंसा के कनेक्शन के इतिहास को देखें तो एक लंबा काला अध्याय दिखता है. कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस द्वारा संकलित एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में राष्ट्रपतियों, निर्वाचित राष्ट्रपतियों और उम्मीदवारों के खिलाफ अलग-अलग मौकों पर 15 बार हमले किए गए. 4 जुलाई, 1776 को ब्रिटिश उपनिवेश से आजाद हुए संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के अब तक के 248 साल के इतिहास में चार राष्ट्रपतियों की पद पर रहते हत्या कर दी गई. जबकि दो दर्जन से अधिक बड़े नेताओं या पूर्व राष्ट्रपतियों पर जानलेवा हमले हुए. इसमें कई दास प्रथा को खत्म करने या अश्वेत लोगों के खिलाफ भेदभाव को खत्म करने का पक्ष लेने वाले नेता थे जो दक्षिणपंथी संगठनों का निशाना बने लेकिन ट्रंप तो खुद दक्षिणपंथ समर्थक हैं. ऐसे में उन पर हमले के पीछे किसी संगठन
का हाथ है या ये लोन वुल्फ अटैक का मामला है ये तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा. अब्राहम लिंकन, जेम्स ए गारफिल्ड, विलियम मैककिनले, जॉन एफ कैनडी की पद पर रहते हुए हत्या कर दी गई. ट्रंप पर किया गया हमला चुनावों को किस दिशा में मोड़ता है ये तो वक्त ही बताएगा.

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