रोम। इतालवी सीनेट ने प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी (Georgia Meloni) की सरकार द्वारा पेश विवादास्पद संवैधानिक सुधार को मंजूरी दे दी है। रोम में मंगलवार को संसद के निचले सदन में सुधार के पक्ष में कुल 109 सदस्यों ने मतदान किया, जबकि 77 ने इसके खिलाफ मतदान किया। विधेयक को कानून बनने से पहले अब भी कई बाधाओं को पार करना है। मतदान के बाद सत्तारूढ़ दलों ने जश्न मनाया, जबकि विपक्ष ने विरोध किया। संवैधानिक सुधार में यह प्रावधान है कि भविष्य में प्रधानमंत्री को पूरे पांच साल के लिए सीधे चुना जाएगा। जीतने वाले उम्मीदवार यानी प्रधानमंत्री का समर्थन करने वाले गठबंधन को संसद (Parliament) के दोनों सदनों में कम से कम 55 प्रतिशत सीटें दी जाएंगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसके पास बिना किसी बाधा के काम करने योग्य बहुमत है।
इटली में संविधान संशोधन (Constitutional Amendment) के लिए दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से विधेयक का पारित होना अनिवार्य है। सीनेट में प्राप्त 109 वोट दो-तिहाई के आंकड़े से काफी कम थे। चैंबर ऑफ डेप्युटीज (Chamber Of Deputies) में भी इसे दो-तिहाई बहुमत मिलने की उम्मीद नहीं है। यदि दो-तिहाई बहुमत नहीं मिलता है तो प्रस्तावित संशोधन पर जनमत संग्रह होगा। पिछली बार ऐसा जनमत संग्रह 2016 में हुआ था। उस समय सरकार के मुखिया माटेओ रेन्ज़ी को हार का सामना करना पड़ा और इसके परिणामस्वरूप उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। रोम की दक्षिणपंथी सरकार इतालवी सरकारों की पुरानी अस्थिरता से निपटने के लिए यह संविधान संशोधन लेकर आई है।
द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) के अंत के बाद से इटली में कुल मिलाकर लगभग 70 सरकारें बन चुकी हैं। कई लोग इस बात से सहमत हैं कि राजनीतिक व्यवस्था (Political System) में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है, लेकिन मेलोनी सरकार के प्रस्तावित सुधार की विपक्ष ने तीखी आलोचना की है। उन्हें डर है कि मेलोनी (Meloni) संसद और राष्ट्रपति से महत्वपूर्ण शक्तियां छीन सकती हैं। विपक्षी नेता एली श्लेन (Eli Schlein) ने कहा कि यह सुधार इटली में सरकारी ढांचे को बिल्कुल उलट देगा, और एक ही व्यक्ति के पास शक्तियां केंद्रित हो जाएंगी। विपक्ष ने योजना की खिलाफत की घोषणा की है।
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