नई दिल्ली। बांग्लादेश (Bangladesh) में राजनीतिक अशांति के बीच शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने सोमवार को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चली गईं। राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन (Mohammad Shahabuddin) ने ढाका के बंगभवन में एक बैठक की अध्यक्षता की। इसमें तीनों सशस्त्र बलों के प्रमुखों, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों के साथ अंतरिम सरकार के गठन पर चर्चा की गई। बैठक में बीएनपी अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया (Begum Khalida Zia) को तत्काल रिहा करने का निर्णय लिया गया।
राष्ट्रपति की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि शहाबुद्दीन की अगुवाई में हुई बैठक में “बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया (Begum Khalida Zia) को तत्काल रिहा करने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। बैठक में आरक्षण विरोधी आंदोलन (Anti-Reservation Movement) में मारे गए लोगों की याद में एक शोक प्रस्ताव भी पेश किया गया और दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की गई। बैठक में अंतरिम सरकार बनाने का निर्णय लिया गया और सभी से देश में कानून व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने में धैर्य और सहनशीलता बरतने का आग्रह किया गया। लूटपाट और हिंसक गतिविधियों को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई का भी निर्णय लिया गया। इसके अलावा, आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करने का निर्णय लिया गया।
बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि किसी भी समुदाय को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। इससे पहले, हसीना के भारत रवाना होने पर बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकर-उज-जमान (Vikar-Uz-Zaman) ने उनके इस्तीफे की पुष्टि की और कहा कि देश चलाने के लिए जल्द ही अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा। रविवार को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में 100 से अधिक लोगों के मारे जाने और 1,000 से अधिक लोगों के घायल होने की खबर है। देश के प्रमुख दैनिक ‘द डेली स्टार’ ने बताया कि तीन सप्ताह से जारी प्रदर्शनोंं में मरने वालों की संख्या 300 को पार कर गई है।
छात्रों के नेतृत्व में चल रहे प्रदर्शन ने प्रधानमंत्री हसीना के नेतृत्व वाली सरकार पर भारी दबाव डाला है। छात्र 1971 में खूनी गृहयुद्ध में पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा आरक्षण को घटाकर पांच प्रतिशत करने के बाद, छात्र नेताओं ने विरोध प्रदर्शन रोक दिया, लेकिन भड़के प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार ने उनके सभी नेताओं को रिहा करने के उनके आह्वान को नजरअंदाज कर दिया। वे प्रधानमंत्री हसीना के इस्तीफे की मांग पर अड़ गए।
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