नई दिल्ली। सरकार ने वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश किया। इसे सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई और आखिर में बिल को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने का फैसला हुआ है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सदन में ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024’ पेश किया और विभिन्न दलों की मांग के अनुसार विधेयक को संसद की संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का प्रस्ताव रखा।
इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ‘‘मैं सभी दलों के नेताओं से बात करके इस संयुक्त संसदीय समिति का गठन करुंगा।’’विपक्षी सदस्यों ने विधेयक का पुरजोर विरोध किया और कहा कि यह संविधान, संघवाद और अल्पसंख्यकों पर हमला है। मोदी सरकार में शामिल एनडीए के सदस्य दलों जनता दल (यूनाइटेड), तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) और एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने विधेयक का समर्थन किया, हालांकि, तेलगू देशम ने बिल को संसदीय समिति के पास भेजने की पैरवी की।
विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि विधेयक में किसी की धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है तथा संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है।उन्होंने कहा, ‘‘वक्फ संशोधन पहली बार सदन में पेश नहीं किया गया है। आजादी के बाद सबसे पहले 1954 में यह विधेयक लाया गया। इसके बाद कई संशोधन किए गए।’’
रीजीजू ने कहा कि व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श के बाद यह संशोधन विधेयक लाया गया है जिससे मुस्लिम महिलाओं और बच्चों का कल्याण होगा।उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के समय बनी सच्चर समिति और एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का उल्लेख किया और कहा कि इनकी सिफारिशों के आधार पर यह विधेयक लाया गया।
विपक्षी दलों ने वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा में पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि यह संविधान और संघवाद पर हमला है तथा अल्पसंख्यकों के खिलाफ है।कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल ने कहा कि यह विधेयक संविधान पर हमला है।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि यह बहुत सोची समझी राजनीति के तहत हो रहा है। यादव ने दावा किया कि भाजपा अपने ‘‘हताश निराश कट्टर समर्थकों के लिए’’ यह विधेयक ला रही है।
जनता दल (यूनाइटेड) ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक मुस्लिम विरोधी नहीं है और इसे सिर्फ वक्फ संस्थाओं के कामकाज में पारदर्शिता के लिए लाया गया है।जद (यू) के नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने लोकसभा में कहा, ‘‘कई (विपक्षी) सदस्यों की बातों से लग रहा है कि यह विधेयक मुसलमान विरोधी है। यह कैसे मुसलमान विरोधी है?’’ उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने मंदिरों की बात की है, लेकिन मंदिर और संस्था में अंतर है।
शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने आरोप लगाया कि विपक्षी दल विधेयक का राजनीतिकरण कर रहे हैं और जाति एवं धर्म का नाम लेकर इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं।वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से जुड़े इस विधेयक में वर्तमान अधिनियम में दूरगामी बदलावों का प्रस्ताव दिया गया है, जिसमें वक्फ निकायों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल है।