वाशिंगटन। अमेरिकी मतदाता 5 नंवबर को राष्ट्रपति चुनाव (Presidential Election) को लेकर अपना फैसला सुनाएंगे। डेमोक्रेट कमला हैरिस या रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप में कोई एक अगले चार वर्ष तक देश का नेतृत्व करेगा और इस दौरान प्रमुख मुद्दों पर सरकार की नीति को तय करेगा। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप देश के लिए दो बिल्कुल अलग-अलग नजरिए पेश करते हैं। आम आदमी की जेब से जुड़े आर्थिक मुद्दें और प्रजनन अधिकारों से लेकर विदेश नीति सभी पर दोनों नेताओं के विचार एक दूसरे से काफी अलग है। चुनावी अभियान में दोनों नेताओं ने भाषणों, विज्ञापनों और मीडिया इंटरव्यू के जरिए अपने विचार लोगों के सामने रखे हैं। जहां ट्रंप के कई वादे कानूनी सवाल उठाते हैं, वहीं हैरिस की कुछ योजनाओं के लिए संभवतः कांग्रेस पर डेमोक्रेटिक नियंत्रण (Democratic Control) की जरुरत पड़ेगी। हैरिस और ट्रंप दोनों के अनुसार, 2024 में ‘देश का भविष्य’ दांव पर है। हैरिस ने तर्क दिया है कि ट्रंप की फासीवादी प्रवृत्तियों और कानून के शासन की अवहेलना के कारण देश का संविधान खतरे में है।
Also Read : सुप्रीम कोर्ट ने यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट को संवैधानिक घोषित किया
दूसरी तरफ ट्रंप की दलील है कि हैरिस के कट्टरपंथी वामपंथी एजेंडे (Leftist Agenda) के कारण अमेरिकियों के लिए कोई देश नहीं बचेगा। हैरिस का कहना है कि अगर ट्रंप फिर से चुने जाते हैं तो वह राष्ट्रीय गर्भपात प्रतिबंध लगाएंगे, जिससे महिलाओं के प्रजनन स्वतंत्रता के अधिकार को समाप्त कर दिया जाएगा। उपराष्ट्रपति ने मध्यम वर्ग की मदद करने, मूल्य वृद्धि पर नकेल कसने और हाउसिंग को प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक नीतियों के पैकेज का भी वादा किया है। पूर्व राष्ट्रपति का चुनावी एजेंडा मुद्रास्फीति को समाप्त करके अर्थव्यवस्था में सुधार के वादे पर आधारित है, जो इस चुनाव में शीर्ष मुद्दा रहा है। हैरिस अभियान इन मुद्दों पर सबसे कमजोर है। उन्होंने अवैध इमिग्रेशन (खासकर दक्षिणी सीमा के जरिए होने वाला) को समाप्त करने की भी कसम खाई है। पूर्व राष्ट्रपति ने अमेरिकी मैन्युफैक्चरर को विदेशों में अपना कारोबार शुरू करने से रोकने के लिए टैरिफ बढ़ोतरी की भी धमकी दी है।