Uttrakhand Tunnel Landslide :- यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर धरासू व बड़कोट के बीच सिलक्यारा के पास निर्माणाधीन सुरंग में हुए भूस्खलन हादसे के बाद से राहत व बचाव कार्य लगातार जारी है। निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन हादसे के बाद मौके पर पहुंचे आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने सुरंग के अंदर लैंडस्लाइड का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि सुरंग के अंदर सभी मजदूर सुरक्षित हैं। उन्हें पाइपलाइन के जरिए खाना, पानी और ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही हैं। सिलक्यारा टनल हादसे में फंसे 40 मजदूरों को निकालने में अभी एक से दो दिन का और वक्त लग सकता है। मजदूरों को सुरंग से निकालने के लिए देहरादून से ऑगर मशीन मंगवाई गई है, जिसकी मदद से ही मजदूरों की बाहर निकाला जाएगा।
फिलहाल मजदूरों के पास पांच से छह दिन के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन है। मलबा हटाने के लिए जेसीबी व अन्य मशीनों की मदद ली जा रही है। इसके अलावा मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए देहरादून से ऑगर मशीन मंगवाई गई है। मशीन आने में चौबीस घंटे का समय लग सकता है। इस मशीन से सीवर लाइन बनाने की तरह बोरिंग की जाएगी। इससे ढाई फीट व्यास के पाइप डाले जाएंगे, जिससे सभी मजदूर बाहर आ जाएंगे। इस काम में एक से दो दिन का समय लग सकता है। जिस स्थान पर मजदूर हैं, वहां करीब पांच से छह दिन के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन है। इसके अलावा पाइपलाइन से भी ऑक्सीजन भेजी जा रही है।
उत्तरकाशी की एसपी अर्पण यदुवंशी ने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। सभी एजेंसिया और तकनीकी विशेषज्ञों की टीम घटना स्थल पर पहुंच चुकी है। 60 मीटर मलबे में से 20 मीटर से ज्यादा मलबा हटा दिया गया है। सुरंग में अंदर फंसे 40 लोगों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन, भोजन और पानी भेजा जा रहा है। सुरंग में फंसे हुए परिवार के सदस्यों से भी संपर्क किया गया है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में दीपावली के दिन यानी 12 नवंबर को सुबह करीब 5.30 बजे बड़ा हादसा हो गया था। यहां निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में मुहाने से करीब 230 मीटर अंदर मलबा और बोल्डर गिर गए थे। जिस समय यह हादसा हुआ, टनल के अंदर 40 मजदूर मौजूद थे, जो अंदर ही फंसे हुए हैं। उनको निकालने के लिए कल सुबह से ही रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। (आईएएनएस)