नई दिल्ली। महिला आरक्षण बिल पर लोकसभा में हुई चर्चा के दौरान कांग्रेस के दोनों शीर्ष नेताओं, सोनिया और राहुल गांधी ने आरक्षण के भीतर अन्य पिछड़ी जाति यानी ओबीसी के लिए आरक्षण की मांग की। राहुल गांधी ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के बगैर महिला आरक्षण अधूरा है तो उससे पहले सोनिया ने कहा कि महिला आरक्षण बिल में ओबीसी महिलाओं के लिए भी प्रावधान होना चाहिए।
सोनिया ने अपने भाषण में कहा- स्थानीय निकायों में महिलाओं को आरक्षण देने वाला कानून सबसे पहले मेरे पति राजीव गांधी लाए थे, जो राज्यसभा में सात वोटों से गिर गया था। बाद में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने उसे पास करवाया। इसी का नतीजा है कि देशभर के स्थानीय निकायों में 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं। राजीव का सपना अभी आधा ही पूरा हुआ है, यह बिल पास होने से सपना पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कानून को परिसीमन तक नहीं रोका जाए, इसे तुरंत अमल में लाया जाए।
बाद में राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा- मैं महिला आरक्षण बिल के समर्थन में हूं, लेकिन ये अधूरा है। जब सांसदों को पुरानी संसद से नई संसद में ले जाया जा रहा था तो राष्ट्रपति को मौजूद होना चाहिए था। उन्होंने कहा- हमारे इंस्टीट्यूशंस में ओबीसी की भागीदारी कितनी है, मैंने इसकी रिसर्च की। सरकार चलाने वाले जो 90 सेक्रेटरी हैं, उनमें से तीन सिर्फ तीन ही ओबीसी से हैं। इसे जल्दी से जल्दी बदलिए। ये ओबीसी समाज का अपमान हैं।
एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले, समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव और डीएमके सांसद कनिमोझी ने भी बिल में ओबीसी महिलाओं को आरक्षण देने की मांग की। सुप्रिया सुले ने कहा कि सरकार बड़ा दिल करके बिल में एससी, एसटी और ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था करे। सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा कि बिल में ओबीसी और अल्पसंख्यक महिलाओं को भी आरक्षण दिया जाना चाहिए।