नई दिल्ली। महिला आरक्षण बिल, जिसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम का नाम दिया गया है, लोकसभा से तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत से पास हो गया है। बिल के पक्ष में 454 सांसदों ने वोट डाला, जबकि दो लोगों ने बिल के खिलाफ वोट किया। वोटिंग का ऑटोमेटिक सिस्टम नए संसद भवन में भी काम नहीं कर सका और पर्ची के जरिए मतदान हुआ। गुरुवार को इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा। माना जा रहा है कि विशेष सत्र के आखिरी दिन यानी शुक्रवार को उच्च सदन में इस पर चर्चा होगी और इसे पास किया जाएगा।
संविधान में 128वें संशोधन बिल पर बुधवार को लोकसभा में करीब 60 सांसदों ने अपनी बात रखी, जिसका अंत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया और उसके बाद बिल को मतदान के लिए रखा गया। कांग्रेस की ओर से सोनिया और राहुल गांधी दोनों ने भाषण दिया और दोनों ने इस बिल में अन्य पिछड़ी जाति की महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान करने की मांग की। हालांकि कांग्रेस ने बिल के मौजूदा स्वरूप का समर्थन किया।
बिल पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि अगले साल के लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद जनगणना और परिसीमन का काम होगा और उसके बाद महिला आरक्षण लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा- यह आरक्षण सामान्य, एससी और एसटी में समान रूप से लागू होगा। चुनाव के बाद तुरंत ही जनगणना और डिलिमिटेशन होगा और महिलाओं की भागीदारी जल्दी ही सदन में बढ़ेगी। उन्होंने विपक्षी पार्टियों पर तंज करते हुए कहा कि विरोध करने से रिजर्वेशन जल्दी नहीं आएगा।
राहुल गांधी ने अपने भाषण में कहा था कि देश को चलाने वाले 90 में से सिर्फ तीन सचिव ही ओबीसी हैं, इसका जवाब देते हुए शाह ने राहुल का नाम लिए बिना कहा कि देश को सरकार चलाती है, सचिव नहीं। उन्होंने कहा कि कुल भाजपा सांसदों में 85 ओबीसी से हैं। कुल भाजपा विधायकों में 27 फीसदी ओबीसी से हैं। भाजपा के एमएलसी में 40 फीसदी ओबीसी हैं। इससे पहले बुधवार की सुबह केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बिल के बारे में जानकारी दी, जिसके बाद सोनिया गांधी ने चर्चा की शुरुआत की।
दिन भर हुई बहस का का जवाब देने के लिए खड़े हुए अमित शाह ने कहा- संविधान को संशोधित करने वाले 128वें संशोधन पर बात करने के लिए मैं यहां खड़ा हूं। ये कहते ही विपक्ष का हंगामा शुरू कर दिया। इस पर शाह मुस्कुराते हुए राहुल गांधी की तरह बोले- डरो मत। इसके आगे उन्होंने कहा- महिला आरक्षण बिल युग बदलने वाला विधेयक है। शाह ने कहा- कुछ लोगों के लिए महिला सशक्तिकरण चुनाव जीतने का मुद्दा हो सकता है, लेकिन मेरी पार्टी और मेरे नेता मोदी के लिए यह मुद्दा राजनीति नहीं, बल्कि मान्यता का मुद्दा है।