नई दिल्ली। उत्तराखंड में इसी साल समान कानून यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो सकता है। जानकार सूत्रों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की रिटायर जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली कमेटी ने समान कानून का मसौदा तैयार कर लिया है। बताया जा रहा है कि दिवाली के बाद एक या दो दिन में ही कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार सौंप देगी। उसके बाद इसी महीने के अंत तक या दिसंबर के पहले हफ्ते में सरकार विधानसभा का सत्र बुला कर इसे पास करा सकती है। अगर ऐसा होता है कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनेगा, जहां हर नागरिक के लिए समान कानून बन जाएगा।
जानकार सूत्रों के मुताबिक जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सभी धर्मों के लिए विवाह, तलाक, संपत्ति, गोद लेने के अधिकार आदि के लिए एक समान कानून के मसौदे पर विचार किया है और उसे अंतिम रूप दिया है। बताया जा रहा है कि इसमें लड़कियों के लिए विवाह की उम्र सीमा 18 साल रखने का ही सुझाव दिया गया है और साथ ही संपत्ति में लड़कियों के बराबर अधिकार की बात कही गई है। जानकार सूत्रों के मुताबिक सरकार जो बिल विधानसभा में पेश करेगी उसमें बहुविवाह पर पूरी तरह से पाबंदी का प्रावधान होगा। साथ ही लिव इन जोड़ों के लिए अपने रिश्ते को पंजीकृत कराने का भी प्रावधान किया जाएगा।
गौरतलब है समान नागरिक संहिता भारतीय जनता पार्टी के सबसे पुराने एजेंडे में शामिल रहा है। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा शासित उत्तराखंड में इस कानून के लागू होने का भाजपा को चुनावी फायदा हो सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि उत्तराखंड का मसौदा ही केंद्र सरकार भी अपना सकती है। ध्यान रहे कुछ समय पहले उत्तराखंड की कमेटी की सदस्यों ने दिल्ली में विधि आयोग के सदस्यों से मुलाकात की थी।
बहरहार, पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मतदान से एक दिन पहले वादा किया था कि उत्तराखंड में भाजपा सरकार फिर से आती है तो समान नागरिक संहिता लागू किया जाएगी। चुनाव जीत कर सरकार बनाने के तुरंत बाद 27 मई 2022 को जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया। इसमें चार सदस्य शामिल हैं। समिति ने पूरे प्रदेश में करीब ढाई लाख लोगों की राय के आधार पर समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार किया है।