पटना। बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने मंगलवार को सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े विधानसभा में पेश किए और उसके बाद आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था में 15 फीसदी की बढ़ोतरी का फैसला किया। विधानसभा में सामाजिक-आर्थिक सर्वे के आंकड़े पेश करने के बाद मंगलवार की शाम को नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें आरक्षण 15 फीसदी बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। नीतीश कुमार ने कहा है कि आरक्षण बढ़ाने का प्रस्ताव सरकार विधानसभा के इसी सत्र में पेश करेगी। राज्य की मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने आरक्षण बढ़ाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है। इसे नौ नवंबर को विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश किया जाएगा।
नीतीश सरकार द्वारा मंजूर प्रस्ताव के मुताबिक आरक्षण की सीमा बढ़ा कर 75 फीसदी की जाएगी। इसमें 27 फीसदी आबादी वाली पिछड़ी जातियों को 18 फीसदी आरक्षण मिलेगा। 36 फीसदी आबादी वाली अत्यंत पिछड़ी जातियों को 25 फीसदी और करीब 20 फीसदी आबादी वाली अनुसूचित जातियों को 20 फीसदी आरक्षण मिलेगा। अनुसूजित जनजाति का आरक्षण एक से बढ़ा कर दो फीसदी किया जाएगा। इस तरह 63 फीसदी आबादी वाली पिछड़ी और अत्यंत पिछड़ी जातियों को 43 फीसदी आरक्षण मिलेगा। महिलाओं को मिलने वाला तीन फीसदी आरक्षण को समाप्त कर दिया जाएगा। साढ़े 15 फीसदी वाली अगड़ी जातियों के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण मिलता रहेगा।
इससे पहले मंगलवार को पांच दिन के बिहार विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को बिहार के सामाजिक-आर्थिक सर्वे के आंकड़े पेश किए गए। इसके मुताबिक, बिहार में पिछड़ा वर्ग के 33.16 फीसदी, सामान्य वर्ग में 25.09 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 33.58 फीसदी, अनुसूचित जाति के 42.93 फीसदी और अनुसूचित जनजाति के 42.7 फीसदी परिवार गरीब हैं। इन परिवारों की हर स्रोत से होने वाली आमदनी छह हजार रुपए महीना से कम है। बिहार की एक तिहाई आबादी छह हजार से कम आय वाले परिवारों की है। 10 हजार रुपए महीना से कम कमाने वाले परिवारों की संख्या 64 फीसदी है।
बिहार सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक बिहार में चौतरफा गरीबी है। सिर्फ पांच फीसदी लोग सरकारी या निजी नौकरी करते हैं और तीन फीसदी से कुछ ज्यादा लोग स्वरोजगार करते हैं। महज 7.70 फीसदी लोग कृषि करते हैं और करीब 17 फीसदी लोग मजदूर हैं। 67 फीसदी लोगों को गृहिणी या विद्यार्थी की श्रेणी में रखा गया है। सिर्फ चार फीसदी लोगों के पास मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर या दूसरा चार पहिया वाहन है। राज्य में सिर्फ सात फीसदी आबादी स्नात्तक तक बढ़ाई करने वाली है। अलग अलग जातियों के हिसाब से देखें तो सवर्णों में सबसे ज्यादा गरीब भूमिहार हैं और पिछड़ों में सबसे ज्यादा गरीब यादव जाति के लोग हैं।