नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ मेयर के चुनाव को लेकर अभूतपूर्व फैसला सुनाया है। अदालत ने 30 जनवरी को हुए चुनाव की नतीजे को पलट दिया है और आम आदमी पार्टी के हारे हुए या जान बूझकर हराए गए उम्मीदवार को मेयर घोषित कर दिया है। सर्वोच्च अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया। संविधान का अनुच्छेद 142 संविधान को ‘संपूर्ण न्याय’ की शक्ति देता है। जब कानून या न्यायिक फैसलों से कोई समाधान नहीं निकलता हो तो ऐसी स्थिति में अदालत विवाद को खत्म करने के लिए ऐसा फैसला दे सकती है, जो उस विवाद के तथ्यों की रोशनी में अनुकूल हो।
इस अनुच्छेद और अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए सर्वोच्च अदालत ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के साझा उम्मीदवार कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ का मेयर घोषित कर दिया। इससे पहले 30 जनवरी को हुए चुनाव में पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने आप और कांग्रेस के आठ वोट अवैध घोषित कर दिया था और भाजपा के उम्मीदवार को जीत दिला दी थी। मंगलवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आठ रद्द किए गए वोट की सही माना और 12 वोट जो पहले सही थे, उनको मिलाकर 20 वोट के आधार पर कुलदीप कुमार को मेयर घोषित कर दिया।
गौरतलब है कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव के बाद एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह कई बैलेट पेपर्स पर निशान लगाते हुए दिखाई दे रहे थे। यह मामला आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट से सारे बैलेट, वीडियो फुटेज और तथ्य सुरक्षित रखने को कहा था। मंगलवार की सुनवाई में अदालत ने इन सबका मुआयना किया। उसके बाद फैसला पलट दिया और साथ ही अनिल मसीह को अवमानना के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा- अदालत यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया इस तरह के हथकंडों से नष्ट न हो। इसलिए हमारा विचार है कि अदालत को ऐसी असाधारण परिस्थितियों में बुनियादी लोकतांत्रिक जनादेश सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाना चाहिए। अदालत ने आगे कहा- संपूर्ण न्याय करना इस अदालत की जिम्मेदारी, पूरी चुनाव प्रक्रिया को रद्द करना सही नहीं है। कोई भी बैलेट फटा हुआ या क्षतिग्रस्त नहीं था। पीठासीन अधिकारी मसीह गलत कार्य का दोषी है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- वीडियो देखने के बाद सामने आया है कि रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह ने कुछ बैलेट पेपर पर एक खास निशान लगाया था। सभी आठ वोट याचिकाकर्ता उम्मीदवार कुलदीप कुमार को गए थे। उन्होंने कहा- रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह ने वोट को अमान्य करने के लिए निशान लगाए। हमने आरओ को उसके कृत्य में गलत पाए जाने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी। पीठासीन अफसर ने स्पष्ट रूप से अपने अधिकार से परे काम किया। इस मामले में पहली ही सुनवाई में अदालत ने वीडियो देखने को बाद कहा था कि यह लोकतंत्र की हत्या जैसा है।