नई दिल्ली। सर्वोच्च अदालत ने रामदेव की कंपनी पंतजलि को कड़ी फटकार लगाई है और लोगों को गुमराह करने वाले दवा के विज्ञापनों पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही सर्वोच्च अदालत ने अवमानना का नोटिस भी जारी किया है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल कंपनी को गुमराह करने वाले विज्ञापन नहीं देने का निर्देश दिया था। कंपनी ने इसे नजरअंदाज किया। इस पर सर्वोच्च अदालत ने कंपनी और उसके प्रबंधन निदेशक आचार्य बालकृष्ण को अवमाननानोटिस जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, आईएमए की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई की थी। इसमें याचिका में कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया। इस मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च को होगी।
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच मंगलवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा- पतंजलि भ्रामक दावे करके देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों को ठीक कर देंगी, जबकि इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। अदालत ने कहा- पतंजलि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट में बताई गई बीमारियों के इलाज का दावा करने वाले अपने उत्पादों का विज्ञापन नहीं कर सकती। अदालत ने सरकार से भी पूछा कि पतंजलि के विज्ञापनों के खिलाफ ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट के तहत क्या कार्रवाई की गई है।
सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसीटर जनरल, एएसजी ने कहा कि इस बारे में आंकड़े इकट्ठा किए जा रहे हैं। कोर्ट ने इस जवाब पर नाराजगी जताई और कंपनी के विज्ञापनों पर नजर रखने का निर्देश दिया। इससे पहले आईएमए ने दिसंबर 2023 और जनवरी 2024 में प्रिंट मीडिया में जारी किए गए विज्ञापनों को कोर्ट के सामने पेश किया। इसके अलावा 22 नवंबर 2023 को पतंजलि के सीईओ बालकृष्ण के साथ रामदेव की एक प्रेस कांफ्रेंस के बारे में भी बताया। पतंजलि ने इन विज्ञापनों में मधुमेह और अस्थमा को पूरी तरह से ठीक करने का दावा किया था। ये प्रेस कांफ्रेंस सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के एक दिन बाद की गई थी।
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