नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में एक ही नाम के या किसी बड़े नेता के नाम वाले उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोकने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सतीश चंद्रा और जस्टिस संदीप शर्मा की बेंच ने कहा है कि अगर किसी का नाम राहुल गांधी या लालू यादव है, तो उन्हें चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता। अदालत ने कहा- बच्चों का नाम उनके माता, पिता रखते हैं। अगर किसी के माता, पिता ने एक जैसा नाम दिया है, तो उन्हें चुनाव लड़ने से कैसे रोका जा सकता है? क्या इससे उनके अधिकारों पर असर नहीं पड़ेगा?
बेंच ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप जानते हैं मामले का हस्र क्या होगा? सर्वोच्च अदालत की फटकार के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस लेने की इच्छा जताई। कोर्ट ने उन्हें याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी। असल में साबू स्टीफन नाम के याचिकाकर्ता ने कहा था कि हाई प्रोफाइल सीटों पर मिलते जुलते नाम वाले दूसरे उम्मीदवार को चुनाव में उतारना पुराना ट्रिक है। इससे वोटरों के मन में कन्फ्यूजन पैदा होता है। एक जैसे नाम के कारण लोग गलत कैंडिडेट को वोट करते हैं, और सही उम्मीदवार को नुकसान होता है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक पार्टियां ऐसे उम्मीदवारों को जान बूझकर मैदान में उतारती हैं। इसके बदले हमनाम उम्मीदवार को पैसे, सामान और कई तरह के फायदे मिलते हैं। उन्हें भारतीय राजनीतिक और प्रशासनिक प्रणाली की कोई जानकारी नहीं होती। याचिकाकर्ता ने याचिका में हमनाम उम्मीदवारों को लेकर तत्काल कदम उठाने के लिए भारत के चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई। हालांकि, याचिकाकर्ता का पक्ष रख रहे वकील वीके बीजू ने कहा कि वे यह दावा नहीं कर रहे है कि ऐसे सभी उम्मीदवार फर्जी होते हैं या उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है। हालांकि, हमनाम उम्मीदवारों से बचने के लिए एक प्रभावी जांच और सही मैकेनिज्म की जरूरत है।